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Articles by टॉम फेल्टेन

व्यवस्था का परमेश्वर

सुरेश ने दवा कैबिनेट में मिली सभी दवाएँ ले लीं। टूटे और अव्यवस्था से भरे परिवार में पले-बढ़े उसका जीवन अस्त-व्यस्त था। उसके पिता द्वारा उसकी माँ के साथ नियमित रूप से दुर्व्यवहार किया जाता था जब तक कि उसके पिता ने अपनी जान नहीं ले ली। अब सुरेश स्वयं को “ख़त्म” कर लेना चाहता था। लेकिन फिर मन में ख्याल आया, मरने के बाद मैं कहां जाऊंगा? परमेश्वर की कृपा से, सुरेश की उस दिन मृत्यु नहीं हुई। और समय के साथ, एक मित्र के साथ बाइबल का अध्ययन करने के बाद, उसने यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार किया। जिस चीज़ ने सुरेश को परमेश्वर की ओर आकर्षित किया वह सृष्टि में सुंदरता और व्यवस्था को देखना था। उसने कहा, ''मैं. . . ऐसी चीज़ें देखता हूँ जो बहुत सुंदर है। यह सब किसी ने बनाया है।”

उत्पत्ति 1 में, हम उस परमेश्वर के बारे में पढ़ते हैं जिसने वास्तव में सभी चीज़ों की रचना की। और यद्यपि "पृथ्वी पूरी तरह से अस्त-व्यस्त थी" (पद 2), वह अव्यवस्था से व्यवस्था लाया। उसने "उजाले को अंधकार से अलग किया" (पद 4), समुद्र के बीच भूमि स्थापित की (पद 10), और पौधों और प्राणियों को उनकी "जाति" के अनुसार बनाया (पद 11-12, 21, 24-25), वह जिसने "आकाश और पृथ्वी की रचना की और सब कुछ अपनी जगह पर रखा" (यशायाह 45:18 ) जैसा कि सुरेश ने पाया, कि मसीह के प्रति समर्पित जीवन में शांति और व्यवस्था है।

जीवन अव्यवस्थित और चुनौतीपूर्ण हो सकता है। परमेश्वर की स्तुति करो कि वह "अव्यवस्था का नहीं, परन्तु शान्ति का परमेश्वर है" (1 कुरिन्थियों 14:33)। आइए आज उसे पुकारें और उससे उस सुंदरता और व्यवस्था को खोजने में हमारी मदद करने के लिए कहें जो वह अकेले प्रदान करता है।

 

परमेश्वर की महान सामर्थ्य (शक्ति)

मार्च 1945 में, "घोस्ट आर्मी" (Ghost Army) ने अमेरिकी सेना को राइन नदी पार करने में मदद की - जिससे सहयोगियों को द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चिमी मोर्चे पर काम करने के लिए एक महत्वपूर्ण आधार मिला। सैनिक निश्चित रूप से मनुष्य थे, कोई भूत नहीं, वे सभी 23वें हेड क्वार्टर स्पेशल ट्रूप (फौजी  टुकड़ी) का हिस्सा थे। इस अवसर पर, 1,100 लोगों की टीम ने इन्फ्लेटेबल डिकॉय टैंक (युद्ध के मैदान में असली दिखने वाले नकली टैंक),  ब्लास्टिंग सेना, और स्पीकर पर वाहन ध्वनि प्रभाव, और बहुत कुछ का उपयोग करके 30,000 पुरुषों की नकल की। घोस्ट आर्मी के सदस्यों की अपेक्षाकृत कम संख्या के कारण दुश्मन को डर लगने लगा क्योंकि वह कहीं अधिक बड़ी ताकत प्रतीत हो रही है।

मिद्यानी और उनके सहयोगी भी छोटी सेना के सामने काँपे थें जो रात में बड़ी दिखाई दे रही थी (न्यायियों 7:8-22)। गिदोन को, जो एक न्यायाधीश, भविष्यवक्ता और इस्राएल का सैन्य नेता था, परमेश्वर ने उसकी छोटी सेना को दुश्मन के लिए आतंक का स्रोत बनाने के लिए इस्तेमाल किया था। जिन्होंने ध्वनि प्रभाव (नरसिंगे फूँक कर, , और ललकार कर टूटे हुए मिट्टी के घड़े, चिल्ला चिल्लाकर ) और दिखाई देने वाली वस्तुओं (चमकती मशालें) का भी उपयोग किया ताकि उनकी सेना "टिड्डियों के घने झुंड के सामान फैली" नज़र आये (पद- 12) और शत्रु सेना को यह विश्वास हो जाए कि वे एक विशाल शत्रु का सामना कर रहे हैं। इस्राएल ने उस रात अपने दुश्मन को परमेश्वर की आज्ञा से 32,000 लोगों से घटाकर केवल 300 की सेना के साथ हरा दिया (पद 2-8)। क्यों? क्योंकि इससे यह स्पष्ट हो जाए कि वास्तव में लड़ाई किसने जीती। जैसा कि परमेश्वर ने गिदोन से कहा, "मैंने तुम्हें उन पर विजय दिलाई है (मैं उसे तेरे हाथ कर देता हूं)।" (पद- 9 NLT)। 

जब हम कमज़ोर और हीन महसूस करते हैं, तो आइए परमेश्वर की तलाश करें और केवल उनकी शक्ति में आराम करें। क्योंकि उनकी "सामर्थ्य [हमारी] निर्बलता में सिद्ध होती है" (2 कुरिन्थियों 12:9)।

मीठी नींद

सैल के दिमाग में बुरी यादें और आरोप लगाने वाले सन्देश भर गए l नींद उससे दूर थी क्योंकि उसके हृदय में डर भर गया था और उसकी त्वचा पर पसीना आ गया था l यह उसके बप्तिस्में से पहले की रात थी, और वह दुष्ट विचारों के आक्रमण को रोक नहीं सका l सैल को यीशु से मुक्ति मिल गयी थी और वह जानता था कि उसके पाप माफ़ कर दिए गए हैं, लेकिन आत्मिक लड़ाई जारी रही l तभी उसकी पत्नी ने उसका हाथ थाम लिया और उसके लिए प्रार्थना की l कुछ क्षण बाद, सैल के दिल में डर की जगह शांति ने ले ली l वह उठा और उसने वे शब्द लिखे जो वह बप्तिस्मा लेने से पहले साझा करेगा—कुछ ऐसा जो वह करने में सक्षम नहीं था l इसके बाद उसे मीठी नींद का अनुभव हुआ l 

राजा दाऊद भी जानता था कि एक बेचैन रात कैसी महसूस होती है l अपने बेटे अबशालोम से भागना जो उसका सिंहासन चुराना चाहता था (2 शमुएल 15-17), वह जानता था कि “दस हज़ार मनुष्य . . . [उसके] विरुद्ध चारों ओर पांति बांधे खड़े” थे (भजन 3:6) l दाऊद ने विलाप करते हुए कहा, “मेरे सतानेवाले . . . बहुत हैं” (पद.1) l हालाँकि डर औए संदेह पर जीत हासिल की जा सकती थी, फिर भी उसने अपने “ढाल” यानि परमेश्वर को पुकारा (पद.3) l बाद में, उसने पाया कि वह “लेट सकता है और सो सकता है . . . क्योंकि यहोवा [उसे] संभालता है” (पद.5) l 

जब भय और संघर्ष हमारे मन को जकड़ लेते हैं और आराम की जगह बेचैनी ले लेती है, तो ईश्वर से प्रार्थना करने पर आशा मिलती है l हालाँकि हमें सैल और दाऊद की तरह तत्काल मीठी नींद का अनुभव नहीं हो सकता है, “शांति से [हम] लेट सकते हैं और . . .निश्चित [रह सकते हैं]”(4:8) l क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ है और वह हमारा विश्राम होगा l

अजीब जगहें

परमेश्वर, ऐसा क्यों हो रहा है?क्या हमारे लिए सचमुच यह आपकी योजना है?

जब मैं, एक पति और छोटे बच्चों का का उस समय पिता, एक गंभीर कैंसर  से जूझ रहा था, तो ये प्रश्न और भी अधिक मेरे दिमाग में घूमने लगे। इसके अलावा, हमारे परिवार ने हाल ही में एक मिशन टीम के साथ काम किया था, जिसने कई बच्चों को यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में प्राप्त करते देखा था। परमेश्वर स्पष्ट फल लाता रहा है। का उस समय बहुत खुशी हुई और अब ये?

एक प्यारे घर से निकाले जाने और एक अजीब नई दुनिया में धकेल दिए जाने के बाद एस्तेर ने संभवतःपरमेश्वर  से प्रश्न और प्रार्थनाएँ कीं (एस्तेर 2:8)। उसके चचेरे भाई मोर्दकै ने उसे अनाथ होने के बाद अपनी बेटी के रूप में पाला था (पद 7)। लेकिन फिर उसे राजा के महल में रखा गया और अंततः उसकी रानी के रूप में ऊपर उठाया गया (पद 17)। मोर्दकै को स्वाभाविक रूप से इस बात की चिंता थी कि एस्तेर के साथ "क्या हो रहा है" (पद 11)। लेकिन समय के साथ, दोनों को एहसास हुआ किपरमेश्वर ने उसे "ऐसे समय के लिए" महान शक्ति के स्थान पर रहने के लिए बुलाया था (4:14) - एक ऐसा स्थान जिसने उसके लोगों को विनाश से बचाने की अनुमति दी (अध्याय 7-8).

यह स्पष्ट है कि परमेश्वर ने अपनी संपूर्ण योजना के तहत एस्तेर को एक अजीब जगह पर रखा था। उसने मेरे साथ भी ऐसा ही किया. चूंकि मैंने कैंसर से लंबी लड़ाई लड़ी, इसलिए मुझे कई रोगियों और देखभाल करने वालों के साथ अपना विश्वास साझा करने का सौभाग्य मिला। वह तुम्हें किस अजीब जगह पर ले गया है? उस पर यकीन करो। वह अच्छा है, और उसकी योजनाएँ भी अच्छी हैं (रोमियों 11:33-36)।

दीवारें ढाही गयी, एकता मिली

1961 से, बर्लिन की दीवार के कारण परिवार और दोस्त अलग हो गए थे। उस वर्ष पूर्वी जर्मन सरकार द्वारा बनाए गए अवरोध ने उसके नागरिकों को पश्चिम जर्मनी की ओर भागने से रोक दिया। वास्तव में, 1949 से संरचना के निर्माण के दिन तक, यह अनुमान लगाया गया है कि 25 लाख से अधिक पूर्वी जर्मनी के लोग पश्चिम की ओर चले गए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन 1987 में दीवार पर खड़े हुए सुविदित रूप से कहा, "इस दीवार को गिरा दो।" उनके शब्दों में परिवर्तन का व्यापक/प्रत्यक्ष झलक दिखा जो 1989 में दीवाल के ढाहे जाने के परिणति के साथ हुआ—जिसके परिणामस्वरूप जर्मनी का हर्षोल्लासपूर्ण पुनर्मिलन हुआ। 

 

पौलुस ने यीशु द्वारा गिराई गई "अलग करनेवाले दीवार" के बारे में लिखा (इफिसियों 2:14)। यह दीवार यहूदियों (परमेश्वर के चुने हुए लोग) और अन्यजातियों (अन्य सभी लोगों) के बीच मौजूद था। यरूशलेम में हेरोदेस महान द्वारा बनवाया गया और इसे प्राचीन मंदिर में विभाजन दीवार (सोरेग/soreg) द्वारा दर्शाया गया था। इसने अन्यजातियों को मंदिर के बाहरी आँगन से परे प्रवेश करने से रोकता था, हालाँकि वे भीतरी आँगन देख सकते थे। लेकिन यीशु यहूदियों और अन्यजातियों और परमेश्वर और सब लोगों के बीच "शांति" और पुनर्मिलन लाए। उन्होंने “क्रूस पर बैर को नाश करके,” “अलग करनेवाले दीवार को . . . ढा दिया” (पद.14,16)। “मेल-मिलाप का सुसमाचार” इसे मसीह में विश्वास द्वारा सब को एकजुट होना सम्भव बना दिया (पद.17-18)।

 

आज कई चीजें हमें बांट सकती हैं। चूँकि ईश्वर हमें वह प्रदान करता है जिसकी हमें आवश्यकता है, आइए हम यीशु में मिली शांति और एकता को जीने का प्रयास करें (पद.19-22)।

प्यार में सामना करना

उन्होंने कई काम अच्छा से किया, लेकिन एक समस्या थी। सभी ने इसे देखा। फिर भी क्योंकि वह अपना अधिकांश काम बहुत अच्छा से पूरी करता था, इसलिए उसका क्रोध के समस्या को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया गया। वास्तव में, उसका सामना कभी नहीं किया गया। दुख की बात है कि इसके परिणामस्वरूप पिछले कुछ वर्षों में कई लोगों को चोट पहुंचा। और, अंत में, इसके कारण उसका कैरियर समय से पहले ही खत्म हो गया, जो मसीह में इस भाई का बहुत अच्छा हो सकता था। काश मैंने बहुत पहले ही प्रेम में उसका सामना किया होता। 

प्रेम में किसी के पाप का सामना कैसे करना चाहिए, परमेश्वर इसका सही तस्वीर उत्पत्ति 4 में, प्रदान करते है। कैन क्रोधित हो गया। एक किसान होने के नाते उन्होंने,"यहोवा के पास भूमि की उपज में से कुछ भेंट ले आया"(पद 3)।  लेकिन परमेश्वर ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह उसे जो लाया था वह स्वीकार्य नहीं था। कैन की भेंट को अस्वीकार कर दिया गया था और वह "अति क्रोधित हुआ, और उसके मुँह पर उदासी छा गई।" (पद 5) तो परमेश्वर ने उसका सामना किया और कहा, “तू क्यों क्रोधित हुआ?"(पद 6) उसने फिर कैन से कहा कि वह अपने पाप से मुड़ जाए और अच्छा और सही का पीछा करें। दुख की बात है कि कैन ने परमेश्वर के वचनों को अनदेखा किया और एक भयानक कार्य किया।(पद 8)

हालाँकि हम दूसरों को पापपूर्ण व्यवहार से दूर होने के लिए मजबूर नहीं कर सकते, लेकिन हम करुणापूर्वक उनका सामना कर सकते हैं। हम "प्रेम में सच्‍चाई" बोल सकते हैं ताकि हम दोनों " मसीह में बढ़ते जाएँ"( इफिसियों 4:15) और, जैसे परमेश्वर हमें सुनने के लिए कान देते हैं, हम दूसरों से सत्य के कठिन शब्द भी स्वीकार कर सकते हैं।

जानना और प्रेम करना

खेल लेखक जोनाथन जार्क्स ने अपने सशक्त लेख "क्या मेरा बेटा तुम्हें जानता है?" में टर्मिनल (अंतिम चरण का)  कैंसर से अपनी लड़ाई और दूसरों द्वारा अपनी पत्नी और छोटे बेटे की अच्छी देखभाल करने की इच्छा के बारे में लिखा। चौंतीस वर्षीय व्यक्ति ने यह लेख अपनी मृत्यु से ठीक छह महीने पहले लिखा था। जार्क्स, यीशु में विश्वास करने वाले, जार्क्स जिसके पिता की मृत्यु तब हो गई थी जब वह एक युवा वयस्क थे, उन्होंने पवित्रशास्त्र से कुछ वचन साझा किये जो विधवाओं और अनाथों की देखभाल के बारे में बताते है (निर्गमन 22:22; यशायाह 1:17; जेम्स 1:27)। और अपने दोस्तों को निर्देश देते हुए उन्होंने लिखा कि, "जब मैं तुम्हें स्वर्ग में देखूंगा, तो केवल एक ही चीज पूछूंगा- क्या तुमने मेरे बेटे और मेरी पत्नी की अच्छी तरह देखभाल करी ? . . . क्या मेरा बेटा तुम्हें जानता है?”

राजा दाऊद ने सोचा कि “क्या शाऊल के घराने में से कोई अब तक बचा है जिसको मैं [अपने प्रिय मित्र] योनातन के कारण प्रीति दिखाऊँ" (2 शमूएल 9:1)। योनातन का बेटा, मपीबोशेत, जो एक दुर्घटना के कारण "दोनों पैरों से लंगड़ा" था (पद- 3) (देखें 4:4), को राजा के पास लाया गया। दाऊद ने उस से कहा, तेरे पिता योनातान के कारण मैं निश्चय तुझको प्रीति दिखाऊंगा। और तेरे दादा शाऊल की सारी भूमि तुझे फेर दूंगा, और तू मेरी मेज पर नित्य भोजन किया कर” (9:7)। दाऊद ने मपीबोशेत की प्रेमपूर्ण देखभाल दिखाई, और यह संभव है कि समय के साथ वह वास्तव में उसे जान भी गया होगा (देखें 19:24-30)।

यीशु ने हमें दूसरों से वैसे ही प्रेम करने के लिए बुलाया है जैसे वह हमसे प्रेम करता है (यूहन्ना 13:34)।और जिस तरह वह हमारे अंदर और हमारे माध्यम से कार्य करता है, उसी तरह हम भी दूसरों को सही मायने में अच्छी तरह से जानें और उनसे प्रेम करें।

अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना

2021 में एक इंजीनियर की इच्छा थी  कि  वह इतिहास में किसी से भी अधिक दूर तक तीर चलाये ओर एक नया रिकार्ड़ बनाये।  इसलिये उसने 2028 फीट के रिकॉर्ड पर निशाना साधा। नमक के समतल पर अपनी पीठ के बल लेटे हुए, उसने अपने आप बनाये, पैर से चलाये जाने वाले धनुष की ड़ोरी को पीछे खींच लिया, और निशाना लगाने के लिए तैयार हो गया। उसे उम्मीद थी कि यह एक मील (5280 फीट) से अधिक की दूरी का एक नया रिकॉर्ड होगा। गहरी साँस लेकर उसने तीर छोड़ दिया। पर एक मील तो क्या वास्तव में वह एक फुट से भी कम दूरी तक ही गया – और उसके पैर में जा लगा —और ओह! उसने  काफी नुकसान पहुँचाया। 

कभी–कभी हम गलत महत्वकांक्षा के साथ लाक्षणिक (प्रतीकात्मक) रूप से अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार सकते हैं (अपना नुकसान कर सकते हैं)। याकूब और यूहन्ना जानते थे कि महत्वाकांक्षी रूप से कुछ अच्छा चाहने का क्या मतलब होता है,लेकिन गलत कारणों (उद्देश्य) के लिए। उन्होंने यीशु से माँगा, कि “तेरी महिमा में हम में से एक तेरे दहिने और दूसरा तेरे बांए बैठे।” (मरकुस 10:37)। यीशु ने शिष्यों से कहा था कि वे “बारह सिंहासनों पर बैठकर इस्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करेंगे।” (मत्ती 19:28)  इसलिए यह देखना आसान है कि उन्होंने यह अनुरोध क्यों किया। समस्या ? वे स्वार्थी रूप से मसीह की महिमा में अपना ऊंचा दर्जा और शक्ति की तलाश कर रहे थे। यीशु ने उनसे कहा कि उनकी महत्वाकांक्षा गलत है (मरकुस 10:38) बरन “जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने।” (पद 43)।

जब हम मसीह के लिए अच्छे और महान कार्य करने का लक्ष्य रखते हैं, तो क्या हम उसकी बुद्धि और मार्गदर्शन की तलाश कर सकते हैं — विनम्रतापूर्वक दूसरों की सेवा करें जिस प्रकार मसीह ने बहुत ही अच्छी तरह से किया (पद 45)।

खुले स्थान ढूँढना

अपनी पुस्तक मार्जिन(Margin) में, डॉ. रिचर्ड स्वेन्सन लिखते हैं, “हमारे पास सांस लेने के लिए थोड़ी जगह होनी चाहिए l हमें सोचने के लिए स्वतंत्रता और चंगा करने के लिए अनुमति चाहिए l हमारे रिश्ते वेग/गति से भूखे मर रहे हैं . . . हमारे बच्चे धरती पर घायल हैं, हमारे उच्च गति वाले नेक इरादों से कुचले जा रहे हैं l क्या ईश्वर अब थकान का समर्थक है? क्या वह अब लोगों को शांत जल के पास नहीं ले जाता? अतीत के उन पूर्ण खुले स्थानों को किसने लूटा, और हम उन्हें कैसे वापस ला सकते हैं?” स्वेन्सन कहते हैं कि हमें जीवन में कुछ शांत, उपजाऊ “भूमि” की ज़रूरत है जहाँ हम ईश्वर में विश्राम पाएँ और उससे मिल सकें l

क्या वह गूंजता है? खुली जगहों की तलाश करना मूसा अच्छी तरह से जानता था l “हठीले” लोगों की अगुवाई करते हुए (निर्गमन 33:5), वह अक्सर परमेश्वर की उपस्थिति में विश्राम और मार्गदर्शन के लिए अलग जाता था l अपने “मिलापवाले तम्बू” (पद.7) में “यहोवा मूसा से इस प्रकार आमने-सामने बातें करता था, जिस प्रकार कोई अपने भाई से” (पद.11) l यीशु भी “जंगलों में अलग जाकर प्रार्थना किया करता था” (लूका 5:16) l दोनों ने पिता के साथ अकेले समय बिताने के महत्व को समझा l

हमें भी अपने जीवन में मार्जिन/गुंजाइश बनाना चाहिए, विश्राम में और ईश्वर की उपस्थिति में बिताए कुछ अधिक और खुले स्थान l उसके साथ समय बिताने से हमें बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी—हमारे जीवन में स्वस्थ सीमाएं और हदें ऐसी होंगी ताकि हमारे पास उसे और दूसरों को अच्छी तरह से प्यार करने के लिए बैंडविड्थ/bandwidth उपलब्ध हो l

आइए आज हम खुले स्थानों में ईश्वर की खोज करें l