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Articles by टॉम फेल्टेन

चेतावनी की ध्वनि

कच्ची मछली और वर्षा का जल l तिमोथी नाम का एक ऑस्ट्रेलियाई नाविक तीन महीने तक केवल इन्हीं प्रावधानों पर जीवित रहा l तूफ़ान से क्षतिग्रस्त बेड़ा/लकड़ी के लट्ठो को बांधकर बनाया गया नौकाcatamaran] पर असहाय होकर, वह उम्मीद खो रहा था—प्रशांत महासागर में भूमि से 1,200 मील दूर डोल रहा था l लेकिन तभी मेक्सीकन टूना नाव(मछली पकड़ने वाली नाव) के चालाक दल ने उसकी अस्थिर नाव को देखा और उसे बचा लिया l बाद में, दुबले-पतले और मौसम से पीड़ित व्यक्ति ने कहा, “मेरी जान बचाने वाले कप्तान और मछली पकड़ने वाली कंपनी का, मैं बहुत आभारी हूँ!”

तिमोथी ने अपनी कटु अनुभव के बाद धन्यवाद दिया, लेकिन दानिय्येल नबी ने संकट से पहले, उसके दौरान और बाद में एक धन्यवादी हृदय प्रकट किया l अन्य यहूदियों के साथ यहूदा से बेबीलोन में निर्वासित किये जाने के बाद(दानिय्येल 1:1-6), दानिय्येल शासन में आ गया लेकिन उसे अन्य अगुओं से धमकी मिली जो उसे मरवाना चाहते थे(6:1-7) l उसके शत्रुओं ने बेबीलोन के राजा से एक आदेश पर हस्ताक्षर करवाया कि जो कोई भी “किसी और . . . देवता से विनती करे, वह सिंहों की मांद में डाल दिया जाए”(पद.7) l सच्चे परमेश्वर से प्रेम करने और  उसकी सेवा करने वाला दानिय्येल, क्या करता? “जैसा वह . . . अपने परमेश्वर के सामने घुटने टेककर प्रार्थना और धन्यवाद करता था, वैसा ही तब भी करता [रहा]”(पद.10) l उसने धन्यवाद दिया, और अपने धन्यवादी हृदय को पुरुस्कृत किया गया क्योंकि परमेश्वर ने उसके जीवन को बचाया उसे सम्मान दिलाया(पद.26-28) l 

जैसा कि प्रेरित पौलुस ने लिखा, परमेश्वर हमें “हर बात में धन्यवाद [करने]” में सहायता करें(1 थिस्सलुनीकियों 5:18) l चाहे हम किसी संकट का सामना कर रहे हों या अभी-अभी उसमें से निकले  हों, एक धन्यवादी प्रतिक्रया उसका सम्मान करती है और हमारे विश्वास को बनाए रखने में मदद करती है l 

एक खूबसूरत आश्चर्य

जोती हुयी भूमि में एक रहस्य था—कुछ छिपा हुआ l अपने विवाह की पचासवीं वर्षगाँठ की तैयारी में, ली विल्सन(Lee Wilson) ने अपनी पत्नी को शायद सबसे भव्य पुष्प उपहार देने के लिए अपनी अस्सी एकड़ भूमि अलग कर दी थी l उसने गुप्त रूप से सूरजमुखी के अनगिनत बीज बोए जिनसे अंततः 1.2 मिलियन(1,200,000) सुनहरे पौधे बन गए—जो उनकी पत्नी के पसंदीदा थे l जब सूरजमुखी ने अपने पीले मुकुट/सिर उठाए, तो रिनीRenee) ली(Lee) के प्यार के खूबसूरत प्रदर्शन से हैरान हो गयी l 

नबी यशायाह के द्वारा यहूदा के लोगों से बात करते हुए, परमेश्वर ने उनके साथ एक रहस्य साझा किया : “यद्यपि वे अभी देख नहीं सकते थे, उसके प्रति उनकी अविश्वासयोग्यता के लिए उनके विरुद्ध न्याय का वादा करने के बाद,(यशायाह 3:1-4:1), एक नया और सुनहरा दिन उदय होगा l “उस समय इस्राएल के बचे हुओं के लिए यहोवा की डाली, भूषण और महिमा ठहरेगी, और भूमि की उपज, बड़ाई और शोभा ठहरेगी”(4:2) l हाँ, उन्हें बेबीलोन के हाथों तबाही और दासत्व का अनुभव होगा, लेकिन फिर एक सुन्दर “डाली”—भूमि से एक नयी कोपल—दिखायी देगी l उसके लोगों में से बचे हुए अलग किये हुए लोग (“पवित्र,” पद.3), शुद्ध किये हुए (पद.4), और उसके द्वारा प्रेमपूर्वक नेतृत्व और देखभाल किये हुए (पद.5-6) l 

हमारे दिन अंधकारमय लग सकते हैं, और परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं की पूर्ति छिपी हुयी है l लेकिन जब हम विश्वास के साथ उससे जुड़े रहेंगे, एक दिन उसकी सभी “बहुमूल्य और बड़ी प्रतिज्ञाएँ” पूरी हो जाएंगी(2 पतरस 1:4) l एक खूबसूरत नया दिन इंतज़ार कर रहा है l   

अद्भुत शिक्षा

सोफिया रॉबर्ट्स ने पहली बार ओपन हार्ट सर्जरी देखी जब वह लगभग ग्यारह वर्ष की थीं। हालाँकि  ऐसी चिकित्सा प्रक्रिया को देखने के लिए उसकी उम्र थोड़ी कम लग सकती है , लेकिन आपको यह बताना आवश्यक है कि उसके पिता, डॉ. हेरोल्ड रॉबर्ट्स जूनियर, एक हृदय सर्जन हैं। 2022 में, सोफिया - जो अब तीस साल की है और एक सर्जरी रेजिडेंट चिकित्सक है - उसने अपने पिता के साथ मिलकर एक सफल महाधमनी (ऑर्टिक) वाल्व बदलाव किया। हेरोल्ड ने कहा, “इससे बेहतर क्या हो सकता है? मैंने जिस बच्ची को साइकिल चलाना सिखाया . . . अब, उसे यह सिखाना कि मानव हृदय का ऑपरेशन कैसे किया जाता है, बहुत ही अद्भुत बात है।" 

 

कुछ ही होंगे जो बच्चे को सर्जरी करना सिखाए, पर सुलैमान आने वाली पीढ़ी को कुछ और सिखाने के महत्व का वर्णन करता है - परमेश्वर और उसके मार्गों का आदर करना। बुद्धिमान राजा ने बड़े उत्साह से अपने पुत्र के साथ वो सब बांटा जो उसने परमेश्वर के साथ उसके रिश्ते में सीखा: “मेरे बेटे, . . .अपने सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना” (नीतिवचन 3:1, 5), “यहोवा का भय मानना” (पद 7), “यहोवा का आदर करना” (पद 9), और “यहोवा के अनुशासन का तिरस्कार मत करना” ( पद 11). सुलैमान जानता था कि परमेश्वर अपने बच्चों से "प्रेम करता है" और "प्रसन्न" होता है जो स्वेच्छा से उसका सुधार और मार्गदर्शन ग्रहण करते हैं (पद 12)।

आइए अगली पीढ़ी को सिखाएं कि हमारे अद्भुत, महिमामय परमेश्वर पर भरोसा रखना, उनका भय मानना, उनका आदर करना और विनम्रतापूर्वक उनके अनुरूप ढलने का क्या मतलब है। ऐसा करने में उसके साथ साझेदार होना एक अत्याधिक सौभाग्य है और हाँ , बहुत ही अद्भुत भी!

इंतज़ार के काबिल

एक ठहराव के बारे में बातें करें(Talk about a layover) l फिर स्ट्रिंगर को तूफ़ान के कारण विलंबित हुई उड़ान में चढ़ने के लिए अठारह घंटे इंतज़ार करना पड़ा l हालाँकि, उनका धैर्य और दृढ़ता काम आई l न केवल उसे अपने गंतव्य तक उड़ान भरने और महत्वपूर्ण व्यावसायिक बैठकों में समय पर पहुँचने का अवसर मिला, बल्कि वह उड़ान में एकमात्र यात्री भी था! अन्य सभी यात्रियों ने हार मान ली या अन्य व्यवस्थाएँ की l फ्लाइट परिचारक ने उसे जो भी खाने की चीज़ चाहिए दी, और स्ट्रिंगर कहते हैं, “बेशक, मैं आगे की पंक्ति में बैठा था l जब पूरा विमान आपके पास है तो क्यों नहीं?” परिणाम निश्चित रूप से इंतज़ार के लायक था l 

अब्राहम ने वह भी सहन किया जो एक लम्बी देरी जैसा महसूस हुआ होगा l बहुत पहले जब उसे अब्राम के नाम से जाना जाता था, परमेश्वर ने उससे कहा था कि वह उसे “एक बड़ी जाति [बनाएगा]” और “भूमण्डल के सारे कुल [उसके] द्वारा आशीष पाएंगे” (उत्पत्ति 12:2-3) l पचहत्तर वर्षीय व्यक्ति के लिए केवल एक ही समस्या थी (पद.4) : वह बिना उत्तराधिकारी के एक महान राष्ट्र कैसे बन सकता था? और यद्यपि उसकी प्रतीक्षा कभी-कभी अधूरी रह जाती थी (उसने और पत्नी सारै ने कुछ गलत विचारों के साथ परमेश्वर को अपना वादा पूरा करने में “सहायता” करने का प्रयास किया—देखें 15:2-3; 16:1-2, जब “पुत्र इसहाक उत्पन्न हुआ तब अब्राहम एक सौ वर्ष का था”(21:5) l उसके विश्वास का बाद में इब्रानियों के लेखक द्वारा गुणगान किया गया(11:8-12) l

इंतज़ार करना कठिन हो सकता है l और, अब्राहम की तरह, हम इसे पूरी तरह से नहीं कर सकते है l लेकिन जब हम प्रार्थना करते हैं और ईश्वर की योजनाओं में आराम करते हैं, तो क्या वह हमें दृढ़ रहने में मदद कर सकता है l उसमें, यह हमेशा प्रतीक्षा के लायक है l 

परिवर्तनकारी आराधना

सुसी अस्पताल की गहन गहन चिकित्सा यूनिट (आईसीयू )के बाहर बैठकर रो रही थी - कमजोर कर देने वाले डर ने उसे घेर रखा था। । उसके दो महीने के बच्चे के छोटे फेफड़े पानी से भरे हुए थे, और डॉक्टरों ने कहा कि वे उसे बचाने की पूरी कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्होंने कोई गारंटी नहीं दी। उस पल में वह कहती है कि  “उसने पवित्र आत्मा की मीठी कोमल आवाज की आहट सुनी  जो उसे परमेश्वर की आराधना करने की याद दिला रही थी। ।" गाने की ताकत न होने के कारण, उसने अस्पताल में अगले तीन दिनों तक अपने फोन पर प्रशंसा गीत बजाए। जैसे ही उसने आराधना की, उसे आशा और शांति मिली। आज, वह कहती है कि उस अनुभव ने उसे सिखाया कि "आराधना परमेश्वर को नहीं बदलती, लेकिन यह आपको निश्चित रूप से बदल देती है।" 

निराशाजनक परिस्थितियों का सामना करते हुए, दाऊद ने प्रार्थना और स्तुति में परमेश्वर को पुकारा (भजन संहिता 30:8)। एक समीक्षक का कहना है कि भजनकार ने "प्रशंसा और परिवर्तन में जारी अनुग्रह के लिए" प्रार्थना की। परमेश्वर ने दाऊद के "विलाप को नृत्य में बदल दिया" और उसने घोषणा की कि वह "हमेशा परमेश्वर की स्तुति करेगा" - सभी परिस्थितियों में ( पद 11-12)। हालाँकि दर्दनाक समय के दौरान परमेश्वर की स्तुति करना कठिन हो सकता है, लेकिन यह परिवर्तन का कारण बन सकता है। निराशा से आशा की ओर, भय से विश्वास की ओर। और वह दूसरों को प्रोत्साहित करने और बदलने के लिए हमारे उदाहरण का उपयोग कर सकता है ( पद 4-5)। 

परमेश्वर की कृपा से सूसी का बच्चा स्वस्थ हो गया। हालाँकि जीवन में सभी चुनौतियाँ समाप्त नहीं होंगी जैसा कि हम आशा करते हैं, वह हमें बदल सकता है और हमें नए आनंद से भर सकता है (पद 11) क्योंकि हम अपने दर्द में भी उसकी आराधना करते हैं। 

 

मसीह में अंत तक डटे रहना

जैसे ही गैंडालफ द ग्रे ने सरुमन द व्हाइट का सामना किया, यह स्पष्ट हो गया कि सरुमन उस काम से मुड़ गया है जो उसे करना चाहिए था - मध्य-पृथ्वी को सौरॉन की दुष्ट शक्ति से बचाने में मदद करने का काम। ऊपर से, सरुमन सॉरोन के साथ भी मिल गया! जे.आर.आर. टॉल्किन के क्लासिक काम पर आधारित फिल्म द फ़ेलोशिप ऑफ़ द रिंग के इस दृश्य में, दो पूर्व मित्र अब एक अच्छाई-विपरीत-बुराई की महाकाव्य लड़ाई में भिड़ गए। काश, सरुमन ने अंत तक जो उसे करना था उसे जारी रखा होता और वही किया होता जो वह जानता था कि सही था!

राजा शाऊल को भी अंत तक बने रहने में परेशानी हुई। एक लेख में, उसने ठीक ही "ओझों और भूतसिद्धि करने वालों को [इस्राएल से] निकाल दिया था" (1 शमूएल 28:3)। अच्छा कदम, क्योंकि परमेश्वर ने घोषणा की थी कि तंत्र-मंत्र में हाथ डालना "घृणित" है (व्यवस्थाविवरण 18:9-12)। लेकिन जब परमेश्वर ने राजा की प्रार्थना का उत्तर नहीं दिया - उसकी पिछली विफलताओं के कारण - कि विशाल पलिश्ती सेना से कैसे निपटा जाए, तो शाऊल ने कहा: "मेरे लिए किसी भूतसिद्धि करने वाली को ढूंढो, कि मैं उसके पास जाकर उस से पूछूं" (1 शमूएल 28:7) एक बिलकुल ही उलटफेर बात! शाऊल एक बार फिर असफल हुआ क्योंकि वह अपने ही आदेश के विरुद्ध गया - जो वह जानता था कि वह सही था।

एक सहस्राब्दी बाद, यीशु ने अपने चेलों से कहा, “तुम्हारी बात हाँ की हाँ और नहीं की नहीं हो; क्योंकि जो कुछ इस से अधिक होता है वह बुराई से होता है ” (मत्ती 5:37)। दूसरे शब्दों में, यदि हमने स्वयं को मसीह की आज्ञा मानने के लिए प्रतिबद्ध किया है, तो यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी शपथ निभाएँ और सच्चे रहें। आइए उन चीजों को करने में लगे रहें क्योंकि परमेश्वर हमारी मदद करते हैं।

 

व्यवस्था का परमेश्वर

सुरेश ने दवा कैबिनेट में मिली सभी दवाएँ ले लीं। टूटे और अव्यवस्था से भरे परिवार में पले-बढ़े उसका जीवन अस्त-व्यस्त था। उसके पिता द्वारा उसकी माँ के साथ नियमित रूप से दुर्व्यवहार किया जाता था जब तक कि उसके पिता ने अपनी जान नहीं ले ली। अब सुरेश स्वयं को “ख़त्म” कर लेना चाहता था। लेकिन फिर मन में ख्याल आया, मरने के बाद मैं कहां जाऊंगा? परमेश्वर की कृपा से, सुरेश की उस दिन मृत्यु नहीं हुई। और समय के साथ, एक मित्र के साथ बाइबल का अध्ययन करने के बाद, उसने यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार किया। जिस चीज़ ने सुरेश को परमेश्वर की ओर आकर्षित किया वह सृष्टि में सुंदरता और व्यवस्था को देखना था। उसने कहा, ''मैं. . . ऐसी चीज़ें देखता हूँ जो बहुत सुंदर है। यह सब किसी ने बनाया है।”

उत्पत्ति 1 में, हम उस परमेश्वर के बारे में पढ़ते हैं जिसने वास्तव में सभी चीज़ों की रचना की। और यद्यपि "पृथ्वी पूरी तरह से अस्त-व्यस्त थी" (पद 2), वह अव्यवस्था से व्यवस्था लाया। उसने "उजाले को अंधकार से अलग किया" (पद 4), समुद्र के बीच भूमि स्थापित की (पद 10), और पौधों और प्राणियों को उनकी "जाति" के अनुसार बनाया (पद 11-12, 21, 24-25), वह जिसने "आकाश और पृथ्वी की रचना की और सब कुछ अपनी जगह पर रखा" (यशायाह 45:18 ) जैसा कि सुरेश ने पाया, कि मसीह के प्रति समर्पित जीवन में शांति और व्यवस्था है।

जीवन अव्यवस्थित और चुनौतीपूर्ण हो सकता है। परमेश्वर की स्तुति करो कि वह "अव्यवस्था का नहीं, परन्तु शान्ति का परमेश्वर है" (1 कुरिन्थियों 14:33)। आइए आज उसे पुकारें और उससे उस सुंदरता और व्यवस्था को खोजने में हमारी मदद करने के लिए कहें जो वह अकेले प्रदान करता है।

 

परमेश्वर की महान सामर्थ्य (शक्ति)

मार्च 1945 में, "घोस्ट आर्मी" (Ghost Army) ने अमेरिकी सेना को राइन नदी पार करने में मदद की - जिससे सहयोगियों को द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चिमी मोर्चे पर काम करने के लिए एक महत्वपूर्ण आधार मिला। सैनिक निश्चित रूप से मनुष्य थे, कोई भूत नहीं, वे सभी 23वें हेड क्वार्टर स्पेशल ट्रूप (फौजी  टुकड़ी) का हिस्सा थे। इस अवसर पर, 1,100 लोगों की टीम ने इन्फ्लेटेबल डिकॉय टैंक (युद्ध के मैदान में असली दिखने वाले नकली टैंक),  ब्लास्टिंग सेना, और स्पीकर पर वाहन ध्वनि प्रभाव, और बहुत कुछ का उपयोग करके 30,000 पुरुषों की नकल की। घोस्ट आर्मी के सदस्यों की अपेक्षाकृत कम संख्या के कारण दुश्मन को डर लगने लगा क्योंकि वह कहीं अधिक बड़ी ताकत प्रतीत हो रही है।

मिद्यानी और उनके सहयोगी भी छोटी सेना के सामने काँपे थें जो रात में बड़ी दिखाई दे रही थी (न्यायियों 7:8-22)। गिदोन को, जो एक न्यायाधीश, भविष्यवक्ता और इस्राएल का सैन्य नेता था, परमेश्वर ने उसकी छोटी सेना को दुश्मन के लिए आतंक का स्रोत बनाने के लिए इस्तेमाल किया था। जिन्होंने ध्वनि प्रभाव (नरसिंगे फूँक कर, , और ललकार कर टूटे हुए मिट्टी के घड़े, चिल्ला चिल्लाकर ) और दिखाई देने वाली वस्तुओं (चमकती मशालें) का भी उपयोग किया ताकि उनकी सेना "टिड्डियों के घने झुंड के सामान फैली" नज़र आये (पद- 12) और शत्रु सेना को यह विश्वास हो जाए कि वे एक विशाल शत्रु का सामना कर रहे हैं। इस्राएल ने उस रात अपने दुश्मन को परमेश्वर की आज्ञा से 32,000 लोगों से घटाकर केवल 300 की सेना के साथ हरा दिया (पद 2-8)। क्यों? क्योंकि इससे यह स्पष्ट हो जाए कि वास्तव में लड़ाई किसने जीती। जैसा कि परमेश्वर ने गिदोन से कहा, "मैंने तुम्हें उन पर विजय दिलाई है (मैं उसे तेरे हाथ कर देता हूं)।" (पद- 9 NLT)। 

जब हम कमज़ोर और हीन महसूस करते हैं, तो आइए परमेश्वर की तलाश करें और केवल उनकी शक्ति में आराम करें। क्योंकि उनकी "सामर्थ्य [हमारी] निर्बलता में सिद्ध होती है" (2 कुरिन्थियों 12:9)।

मीठी नींद

सैल के दिमाग में बुरी यादें और आरोप लगाने वाले सन्देश भर गए l नींद उससे दूर थी क्योंकि उसके हृदय में डर भर गया था और उसकी त्वचा पर पसीना आ गया था l यह उसके बप्तिस्में से पहले की रात थी, और वह दुष्ट विचारों के आक्रमण को रोक नहीं सका l सैल को यीशु से मुक्ति मिल गयी थी और वह जानता था कि उसके पाप माफ़ कर दिए गए हैं, लेकिन आत्मिक लड़ाई जारी रही l तभी उसकी पत्नी ने उसका हाथ थाम लिया और उसके लिए प्रार्थना की l कुछ क्षण बाद, सैल के दिल में डर की जगह शांति ने ले ली l वह उठा और उसने वे शब्द लिखे जो वह बप्तिस्मा लेने से पहले साझा करेगा—कुछ ऐसा जो वह करने में सक्षम नहीं था l इसके बाद उसे मीठी नींद का अनुभव हुआ l 

राजा दाऊद भी जानता था कि एक बेचैन रात कैसी महसूस होती है l अपने बेटे अबशालोम से भागना जो उसका सिंहासन चुराना चाहता था (2 शमुएल 15-17), वह जानता था कि “दस हज़ार मनुष्य . . . [उसके] विरुद्ध चारों ओर पांति बांधे खड़े” थे (भजन 3:6) l दाऊद ने विलाप करते हुए कहा, “मेरे सतानेवाले . . . बहुत हैं” (पद.1) l हालाँकि डर औए संदेह पर जीत हासिल की जा सकती थी, फिर भी उसने अपने “ढाल” यानि परमेश्वर को पुकारा (पद.3) l बाद में, उसने पाया कि वह “लेट सकता है और सो सकता है . . . क्योंकि यहोवा [उसे] संभालता है” (पद.5) l 

जब भय और संघर्ष हमारे मन को जकड़ लेते हैं और आराम की जगह बेचैनी ले लेती है, तो ईश्वर से प्रार्थना करने पर आशा मिलती है l हालाँकि हमें सैल और दाऊद की तरह तत्काल मीठी नींद का अनुभव नहीं हो सकता है, “शांति से [हम] लेट सकते हैं और . . .निश्चित [रह सकते हैं]”(4:8) l क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ है और वह हमारा विश्राम होगा l