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Articles by टिम गस्टफसन

अपने शत्रु से प्रेम

द्वितीय विश्व युद्ध के समय, अमेरिकी नौसेना के मेडिकल कॉर्प्समैन/corpsman(सेना में चिकित्सीय अर्दली) लिन वेस्टन शत्रु के कब्जे वाले टापुओं पर धावा बोलने के दौरान नौसैनिकों के साथ तट पर गए l अनिवार्य रूप से, अत्यधिक हताहत हुए थे l उन्होंने घायल लड़ाकों को बाहर निकालने के लिए उनकी मरहम-पट्टी करने का पूरा प्रयास किया l एक समय, उनकी इकाई को एक शत्रु सैनिक मिला जिसके पेट में गंभीर घाव था l उस चोट में उस व्यक्ति को पानी नहीं दिया जा सकता था l उसे जीवित रखने के लिए, वेस्टन ने अंततःशिरा प्लाज्मा(intravenous plasma) दिया l 

“उस प्लाज्मा को हमारे मित्रों के लिए बचाकर रखो, नौसैनिक!” नौसैनिकों में से एक चिल्लाया l वेस्टन ने उसको अनदेखा किया l वह जानता था कि यीशु क्या करता : “अपने बैरियों से प्रेम रखो”(मत्ती 5:44) l 

यीशु ने उन चुनौतीपूर्ण शब्दों को बोलने से कहीं अधिक उन्हें जीता था l जब एक शत्रुतापूर्ण भीड़ ने उसे पकड़ कर महायाजक के पास ले गयी, “जो मनुष्य यीशु को पकड़े हुए थे, वे उसे ठठ्ठों में उड़ाकर पीटने लगे”(लूका 22:63) l उनके दिखावटी मुकदमों और अमल के दौरान दुर्व्यवहार जारी रहा l यीशु ने इसे केवल सहन नहीं किया l जब रोमी सैनिकों ने उसे क्रूस पर चढ़ाया, तो उसने उनकी क्षमा के लिए प्रार्थना की(23:34) l 

हो सकता है कि हमारा सामना किसी वास्तविक शत्रु से न हो जो हमें मारने का प्रयास कर रहा हो l लेकिन विदित है कि उपहास और तिरस्कार सहना कैसा होता है l हमारी स्वाभाविक प्रतिक्रिया क्रोध में प्रतिक्रिया देना होता है l यीशु ने मानक बताया : “अपने सतानेवालों के लिए प्रार्थना करो”(मत्ती 5:44) l 

महान विभाजन

एक उत्कृष्ट/क्लासिक पीनट्स(Peanuts) कॉमिक स्ट्रिप में, लाइनस का मित्र ग्रेट पमकिन/बड़ा कद्दू(Great Pumpkin) में उसके विश्वास के लिए उसे डांटता है l उदास होकर चलते हुए, लाइनस कहता है, “तीन चीज़ें है जो मैंने सीखी हैं कि कभी भी लोगों के साथ चर्चा नहीं करनी चाहिए . . . धर्म, राजनीति और ग्रेट पमकिन!”

ग्रेट पमकिन केवल लाइनस के दिमाग में मौजूद था, लेकिन अन्य दो विषय बिल्कुल वास्तविक हैं—राष्ट्रों, परिवारों और मित्रों को विभाजित करते हैं l यह समस्या यीशु के समय में भी उत्पन्न हुयी थी l फरीसी अत्यधिक धार्मिक थे और पुराने नियम की व्यवस्था का शब्दशः पालन करने का प्रयास करते थे l हेरोदी लोग(यहूदियों का एक सम्प्रदाय जो यीशु का विरोध करते थे) अधिक राजनितिक थे, फिर भी दोनों समूह यहूदी लोगों को रोमी उत्पीड़न से मुक्त देखना चाहते थे l ऐसा प्रतीत होता है कि यीशु उनके लक्ष्यों को साझा नहीं करता था l इसलिए वे एक राजनितिक रूप से आरोपित प्रश्न के साथ उसके पास आए : क्या कैसर को कर देना उचित है या नहीं?(मरकुस 12:14-15) l यदि यीशु ने हाँ कहा, तो लोग उससे नाराज़ हो जाएंगे l यदि उसने नहीं कहा, तो रोमी उसे विद्रोह के लिए गिरफ्तार कर सकते थे l 

यीशु ने एक सिक्का माँगा l “यह छाप और नाम किसका है?” उसने पुछा(पद.16) l हर कोई जानता था कि यह कैसर का था l यीशु के शब्द आज भी गूंजते हैं : “जो कैसर का है वह कैसर को, और जो परमेश्वर का है परमेश्वर को दो”(पद.17) l अपनी प्राथमिकताओं को व्यवस्थित रखते हुए, यीशु उनके जाल से बचा रहा l 

यीशु अपने पिता की इच्छा पूरी करने आया था l उसकी अगुआई का अनुसरण करते हुए, हम भी सब से ऊपर परमेश्वर और उसके राज्य की तलाश कर सकते हैं, ध्यान को सभी मतभेदों से हटाकर उस व्यक्ति की ओर निर्देशित कर सकते हैं जो सत्य है l 

भुगतान

1921 में, कलाकार सैम रोडिया(Sam Rodia) ने अपने वाट्स टावर्स(Watts Towers) का निर्माण शुरू किया l तैतीस साल बाद, सत्रह मूर्तिकला लॉस एंजेल्स(Los Angeles) के ऊपर तीस मीटर तक ऊंची हो गयीं l संगीतकार जेरी गार्सिया(Jerry Garcia) रोडिया के जीवन-कार्य को ख़ारिज कर रहे थे l गार्सिया ने कहा, “यही भुगतान/परिणाम/ईनाम है l” “वह चीज़ जो आपके मरने के बाद भी मौजूद रहती है l” फिर उन्होंने कहा, “वाह, यह मुझे पसंद नहीं है l’

तो उसके लिए भुगतान क्या था? उनके सहयोगी बॉब वियर(Bob Wier) ने उनके दर्शन को संक्षेप में बताया : “अनंत काल में कुछ भी याद नहीं किया जाएगा l तो क्यों न केवल आनंद लिया जाए?” 

एक धनी, बुद्धिमान व्यक्ति ने एक बार वह सब कुछ करके जो वह संभवतः कर सकता था “भुगतान/ईनाम(payoff)” खोजने की कोशिश की l उसने लिखा, “चल, मैं तुझ को आनंद के द्वारा जाचूँगा”(सभोपदेशक 2:1) l लेकिन उसने कहा, “न तो बुद्धिमान का और न मूर्ख का स्मरण सर्वदा बना रहेगा”(पद.16) l उसने निष्कर्ष निकला, “जो काम संसार में किया जाता है मुझे बुरा मालूम हुआ”(पद.17) l 

यीशु का जीवन और सन्देश ऐसे अदूरदर्शी जीवन(shortsighted living) का मौलिक रूप से विरोध करता है l यीशु हमें “बहुतायत का जीवन” देने के लिए आया (यूहन्ना 10:10) और हमें आनेवाले जीवन को ध्यान में रखते हुए इस जीवन को जीना सिखाया l उसने कहा, “पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो” “परन्तु अपने लिए स्वर्ग में धन इकट्टा करो”(मत्ती 6:19-20) l फिर उसने निचोड़/रहस्य बताया : “पहले तुम परमेश्वर के राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएँगी”(पद.33) l 

यही भुगतान है—सूर्य के नीचे और उसके पार भी l 

एक वर्ष में बाइबिल

1960 में, ओटो प्रेमिंगर ने अपनी फिल्म एक्सोडस से विवाद खड़ा कर दिया। यह फिल्म द्वितीय विश्व युद्ध के बाद फिलिस्तीन में प्रवास करने वाले यहूदी शरणार्थियों का एक काल्पनिक विवरण प्रदान करती है। फिल्म का अंत एक युवा यहूदी लड़की और एक अरब व्यक्ति के शवों के साथ होता है, जो हत्या के शिकार थे। इन्हें एक ही कब्र में दफनाया गया होता है, जो जल्द ही इस्राएल राष्ट्र में तब्दील होगा।

प्रीमिंगर निष्कर्ष हम पर छोड़ते है। क्या यह निराशा का रूपक है, एक सपना जो हमेशा के लिए दफन हो गया है? या यह आशा का चिन्ह है, क्योंकि घृणा और शत्रुता के इतिहास वाले दो लोग एक साथ आए हैं - मृत्यु में और जीवन में?

शायद कोरह के पुत्र, जिन्हें भजन 87 लिखने का श्रेय दिया जाता है, इस दृश्य के दूसरे भाग को चुनते है। वें ऐसी शांति की आशा रखते है जिसका हम अभी भी इंतजार कर रहे हैं। यरूशलेम के बारे में, उन्होंने लिखा, "हे परमेश्वर के नगर, तेरे विषय में महिमामय बातें कही कही गई हैं।" " (पद 3)। उन्होंने उस दिन के बारे में गाया जब यहूदी लोगों के खिलाफ युद्ध के इतिहास वाले सभी राष्ट्र उस सच्चे परमेश्वर को स्वीकार करने के लिए एक साथ आएंगे: राहाब (मिस्र), बेबीलोन, पलिश्ती, सोर, कुश (पद 4)। सभी यरूशलेम और परमेश्वर की ओर खींचे जाएंगे।

भजन का समापन उत्सव (आनन्द) मनाने वाला है है। यरूशलेम में लोग गाएंगे, " हमारे सब सोते तुझी में हैं" (पद 7)। वे किसके लिए गा रहे हैं? वह जो जीवित जल है, सारे जीवन का स्रोत है (यहुन्ना 4:14)। केवल यीशु ही है जो स्थायी शांति और एकता लाएँगे।

वन का अँधेरा कमरा(Forest Darkroom)

सेना टोनी वैकेरो को एक फोटोग्राफर के रूप में मौका नहीं देगी, लेकिन ऐसी स्थिति ने उन्हें नहीं रोका l तोप के गोलों और छर्रों से जो मानो पेड़ों से बरस रहें हों से बचने के डरावने क्षणों के बीच, उसने वैसे भी तस्वीरें लीं l फिर, जब उसके मित्र सो गए, तो उसने अपने फिल्म विकसित करने के लिए रसायनों को मिलाने के लिए उनके हेलमेट का उपयोग किया l रात का जंगल अँधेरा कमरा(darkroom/कमरा जहां फोटो बनाए जाते हैं) बन गया जिसमें वैकेरो ने द्वितीय विश्व युद्ध के हर्टगेन वन(Hurtgen Forest) की लड़ाई का एक कालातीत/असामयिक रिकॉर्ड बनाया l 

राजा दाऊद अपने हिस्से की लड़ाइयों और अँधेरे समय से गुजरा l 2 शमूएल 22 कहता है, “यहोवा ने दाऊद को उसके सब शत्रुओं और शाऊल के हाथ से बचाया” (पद.1) l दाऊद ने उन अनुभवों का उपयोग परमेश्वर की विश्वासयोग्यता का रिकॉर्ड तैयार करने के लिए किया l उसने कहा, “मृत्यु के तरंगों ने तो मेरे चारों ओर घेरा डाला, नास्तिकपन/विध्वंश की धाराओं ने मुझे को घबरा दिया”(पद.5) l दाऊद जल्द ही हताशा से आशा की ओर मुड़ गया : “अपने संकट में मैं ने यहोवा को पुकारा और अपने परमेश्वर के सम्मुख चिल्लाया”(पद.7) l दाऊद ने परमेश्वर की अचूक सहायता के लिए उसकी स्तुति करना सुनिश्चित किया l उसने कहा, “यहोवा, तू ही मेरा दीपक है, और यहोवा मेरे अंधियारे को दूर करके उजियाला कर देता है l तेरी सहायता से मैं दल पर धावा करता, अपने परमेश्वर की सहायता से मैं शहरपनाह फांद जाता हूँ” (पद.29-30) l 

दाऊद ने अपनी कठिनाइयों को संसार को अपने विश्वासयोग्य परमेश्वर के बारे में बताने के अवसर में बदल दिया l हम भी ऐसा ही कर सकते हैं l आखिरकार, हम उस पर भरोसा करते हैं जो अन्धकार को प्रकाश में बदल देता है l 

एक राष्ट्रीय कैम्पआउट

हमने तारों के नीचे डेरा डाला, हमारे और अनंत पश्चिम अफ़्रीकी आकाश के बीच कुछ भी नहीं था। शुष्क मौसम में तम्बू की कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन आग महत्वपूर्ण थी। "आग को कभी बुझने मत देना," पिताजी ने लकड़ी के लट्ठों को छड़ी से कुरेदते हुए कहा। आग जंगली जानवरों को दूर रखती है।  परमेश्वर की रचनाएँ अद्भुत हैं, लेकिन आप कभी नहीं चाहेंगे कि कोई तेंदुआ या साँप आपके शिविर स्थल में घूमता रहे।

पिताजी घाना के ऊपरी क्षेत्र में एक मिशनरी थे, और उनमें हर चीज़ को एक शिक्षण क्षण में बदलने की क्षमता थी। कैम्पिंग कोई अपवाद नहीं था। 

परमेश्वर ने कैम्पआउट को अपने लोगों के लिए  शिक्षण  के रूप में भी उपयोग किया। साल में एक बार, पूरे एक सप्ताह के लिए, इस्राएलियों को " घने वृक्षों की डालियां, और खजूर के पत्ते - और नालों में के मजनू और अन्य पत्तेदार पेड़ों" से बने आश्रयों में रहना था (लैव्यव्यवस्था 23:40)। उद्देश्य दोहरा था।  परमेश्वर ने उनसे कहा, " सात दिन तक तुम झोंपड़ियों में रहा करना, अर्थात् जितने जन्म के इस्त्राएली हैं वे सब के सब झोंपड़ियों में रहें, इसलिये कि तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी के लोग जान रखें, कि जब यहोवा हम इस्त्राएलियों को  मिस्र देश से निकाल कर ला रहा था तब उस ने उनको झोंपड़ियों में टिकाया था; (पद 42-43)। लेकिन यह उत्सवपूर्ण भी होना था, "अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने सात दिन तक आनन्द करना " (पद 40)।

हो सकता है कि कैंपिंग करना आपके मनोरंजन का विचार न हो, लेकिन परमेश्वर ने अपनी अच्छाई को याद करने के एक आनंददायक तरीके के रूप में इस्राएलियों के लिए एक सप्ताह का कैंपआउट स्थापित किया। हम अपनी छुट्टियों के मूल अर्थ को आसानी से भूल जाते हैं। हमारे त्योहार हमारे प्यारे परमेश्वर के चरित्र की खुशी भरी याद दिला सकते हैं। उन्होंने मनोरंजन भी रचाया।  

 

शेबना का कब्र

तमिल राजनेता करुणानिधि चाहते थे कि उन्हें चेन्नई में मरीना समुद्र तट/Marina beach के पास उनके गुरु सीएन अन्नादुरैके बगल में दफनाया जाए, लेकिन वह नहीं चाहते थे कि उनका तर्कवादी(rationalist) विश्वास प्रणाली के अनुसार कोई धार्मिक संस्कार किया जाए l 

हालाँकि एक विशाल स्मारक उनके विश्राम स्थल को चिह्हित करता है, लेकिन उनकी विश्वास प्रणाली ने उन्हें मानव अस्तित्व की सच्चाइयों से सीमित नहीं किया, जो कि जीवन और मृत्यु सच्चाई है l गंभीर सच्चाई यह है कि जीवन हमारे बिन, हमारे जाने के प्रति उदासीन होकर चलता रहता है l 

यहूदा के इतिहास में एक कठिन समय के दौरान, शेबना, “राजघराने के पद पर नियुक्त भंडारी” ने मृत्यु के बाद अपनी विरासत सुनिश्चित करने के लिए अपने लिए एक कब्र बनवाई l परन्तु परमेश्वर ने, अपने नबी यशायाह के द्वारा, उससे कहा, “यहाँ तेरा कौन है कि तू ने अपनी कबर यहाँ खुदवायी है? तू अपनी कबर ऊंचे स्थान में खुदवाता और अपने रहने का स्थान चट्टान में खुदवाता है?(यशायाह 22:16) l नबी ने उससे कहा, “[परमेश्वर] तुझे मरोड़कर गेंद के समान लम्बे चौड़े देश में फेंक देगा . . . वहाँ तू मरेगा”(पद.18) l 

शेबना बात से चूक गया था l मायने यह नहीं रखता कि हमें कहाँ दफनाया जाएगा; महत्वपूर्ण यह है कि हम किसकी सेवा करते हैं l जो लोग यीशु की सेवा करते हैं उन्हें यह असीम सांत्वना मिलती है : “जो मृतक प्रभु में मरते हैं, वे अब से धन्य हैं” (प्रकाशितवाक्य 14:13) l हम ऐसे परमेश्वर की सेवा करते हैं जो हमारे “प्रस्थान/मृत्यु” के प्रति कभी उदासीन नहीं रहता है l वह हमारे आगमन की आशा करता है और घर में हमारा स्वागत करता है!

 

एक अकेली आवाज़

प्रथम विश्व युद्ध के समापन पर पेरिस शांति सम्मेलन के बाद, फ्रांसीसी मार्शल फर्डिनेंड फोच ने कटुतापूर्वक कहा, "यह शांति नहीं है। यह बीस वर्षों के लिए युद्धविराम है।” फोच का विचार उस लोकप्रिय राय का खंडन करता है कि यह भयावह संघर्ष "सभी युद्धों को समाप्त करने वाला युद्ध" होगा। बीस साल और दो महीने बाद, द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया। फोच सही थे।

बहुत समय पहले, मीकायाह, जो उस समय अपने क्षेत्र में परमेश्वर का एकमात्र सच्चा भविष्यवक्ता था, ने लगातार इस्राएल के लिए गंभीर सैन्य परिणामों की भविष्यवाणी की थी (2 इतिहास 18:7)। इसके विपरीत, राजा अहाब के चार सौ झूठे भविष्यवक्ताओं ने जीत की भविष्यवाणी की: जो दूत मीकायाह को बुलाने गया था, उस ने उस से कहा,"सुन नबी लोग एक ही मुँह से राजा के विषय शुभ वचन कहते हैं, इसलिए तेरी बात उनकी सी हो, तू भी शुभ वचन कहना" (पद 12)।

मीकायाह ने उत्तर दिया, "जो कुछ मेरा परमेश्वर कहे वही मैं भी कहूँगा" (पद 13)। उसने भविष्यवाणी की कि कैसे इस्राएल "बिना चरवाहे की भेड़ों की नाईं पहाड़ियों पर तितर-बितर हो जाएगा" (पद 16)। मीकायाह सही था। अरामियों ने अहाब को मार डाला और उसकी सेना भाग गई (पद 33-34; 1 राजा 22:35-36)।

मीकायाह की तरह, हम जो यीशु का अनुसरण करते हैं, एक संदेश बाटते हैं जो लोकप्रिय राय से मेल नहीं खाता। यीशु ने कहा, "बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता" (यूहन्ना 14:6)। कई लोगों को यह संदेश पसंद नहीं आता क्योंकि यह अत्यंत सकरा लगता है। सभी के लिए नहीं है, लोग कहते हैं। फिर भी मसीह एक आरामदायक संदेश लाता है जो सभी के लिए है। वह हर उस व्यक्ति का स्वागत करता है जो उसकी ओर मुड़ता है।

 

परमेश्वर के शांति के दूत

नोरा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में गईं क्योंकि वह न्याय के मुद्दे को बहुत प्रभावी ढंग से महसूस करती थी। जैसी  की योजना बनाई गई थी, प्रदर्शन शांत था। प्रदर्शनकारी शांत भाव से शहर के निचले इलाके में चले।

तभी दो बसें रुकीं। आंदोलनकारी शहर के बाहर से आये थे, जल्द ही दंगा भड़क गया। नोरा का दिल टूट गया, वह चली गई। ऐसा लग रहा था कि उनके अच्छे इरादे निष्फल हो गए।

जब प्रेरित पौलुस ने यरूशलेम के मंदिर का दौरा किया, तो पौलुस का विरोध करने वाले लोगों ने उसे वहां देखा। वे "एशिया प्रांत से" थे (प्रेरितों के काम 21:27) और यीशु को अपने जीवन के जीने के तरीके के लिए खतरा मानते थे। पौलुस के बारे में झूठ और अफवाहें फैलाते हुए, उन्होंने तुरंत परेशानी खड़ी कर दी (पद 28-29)। भीड़ ने पौलुस को मंदिर से खींच लिया और उसको मारा। सिपाही दौड़ते हुए आये।

जब उसे गिरफ्तार किया जा रहा था, पौलुस ने रोमन कमांडर से पूछा कि क्या वह भीड़ को संबोधित कर सकता है (पद 37-38)। जब अनुमति दी गई, तो उन्होंने भीड़ से उनकी अपनी भाषा में बात की, उन्हें आश्चर्यचकित किया और उनका ध्यान आकर्षित किया (पद 40)। और ठीक उसी तरह, पौलुस ने दंगे को मृत धर्म से बचाव की अपनी कहानी साझा करने के अवसर में बदल दिया था (22:2-21)।

कुछ लोगों को हिंसा और विभाजन पसंद है। हिम्मत मत हारो। वे जीतेंगे नहीं, परमेश्वर हमारी हताश दुनिया के साथ अपनी रोशनी और शांति साझा करने के लिए साहसी विश्वासियों की तलाश कर रहा है। जो संकट प्रतीत होता है वह आपके लिए किसी को परमेश्वर का प्रेम दिखाने का अवसर हो सकता है।