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Articles by टिम गस्टफसन

परमेश्वर के शांति के दूत

नोरा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में गईं क्योंकि वह न्याय के मुद्दे को बहुत प्रभावी ढंग से महसूस करती थी। जैसी  की योजना बनाई गई थी, प्रदर्शन शांत था। प्रदर्शनकारी शांत भाव से शहर के निचले इलाके में चले।

तभी दो बसें रुकीं। आंदोलनकारी शहर के बाहर से आये थे, जल्द ही दंगा भड़क गया। नोरा का दिल टूट गया, वह चली गई। ऐसा लग रहा था कि उनके अच्छे इरादे निष्फल हो गए।

जब प्रेरित पौलुस ने यरूशलेम के मंदिर का दौरा किया, तो पौलुस का विरोध करने वाले लोगों ने उसे वहां देखा। वे "एशिया प्रांत से" थे (प्रेरितों के काम 21:27) और यीशु को अपने जीवन के जीने के तरीके के लिए खतरा मानते थे। पौलुस के बारे में झूठ और अफवाहें फैलाते हुए, उन्होंने तुरंत परेशानी खड़ी कर दी (पद 28-29)। भीड़ ने पौलुस को मंदिर से खींच लिया और उसको मारा। सिपाही दौड़ते हुए आये।

जब उसे गिरफ्तार किया जा रहा था, पौलुस ने रोमन कमांडर से पूछा कि क्या वह भीड़ को संबोधित कर सकता है (पद 37-38)। जब अनुमति दी गई, तो उन्होंने भीड़ से उनकी अपनी भाषा में बात की, उन्हें आश्चर्यचकित किया और उनका ध्यान आकर्षित किया (पद 40)। और ठीक उसी तरह, पौलुस ने दंगे को मृत धर्म से बचाव की अपनी कहानी साझा करने के अवसर में बदल दिया था (22:2-21)।

कुछ लोगों को हिंसा और विभाजन पसंद है। हिम्मत मत हारो। वे जीतेंगे नहीं, परमेश्वर हमारी हताश दुनिया के साथ अपनी रोशनी और शांति साझा करने के लिए साहसी विश्वासियों की तलाश कर रहा है। जो संकट प्रतीत होता है वह आपके लिए किसी को परमेश्वर का प्रेम दिखाने का अवसर हो सकता है।

 

खलनायकों को बचाना

कॉमिक पुस्तक का नायक(हीरो) हमेशा ही लोकप्रिय रहा है l केवल 2017 में ही, छः सुपरहीरो फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस बिक्री में $4 बिलियन(ख़रब) अमरीकी डॉलर कमाए l परन्तु लोग क्यों बड़े एक्शन फिल्मों की ओर आकर्षित होते हैं?

शायद इसलिए क्योंकि, कुछ हद तक, ऐसी कहानियाँ परमेश्वर की बड़ी कहानी के समान दिखाई देती हैं l एक नायक(हीरो) है, एक खलनायक(villain) है, लोग जिन्हें बचाना ज़रूरी  है, और ढेर सारे दिलचस्प एक्शन l

इस कहानी में, सबसे बड़ा खलनायक शैतान है, हमारी आत्माओं का शत्रु l परन्तु इसके साथ और ढेर सारे “छोटे” खलनायक भी हैं l उदाहरण के लिए, दानिय्येल की पुस्तक में, एक नबूकदनेस्सर है, उस समय के ज्ञात संसार का राजा, जिसने ऐसे हर एक को मारने का निर्णय लिया जो उसकी विशाल मूर्ति को दंडवत नहीं करता था (दानिय्येल 3:1-6) l जब तीन साहसी यहूदी अधिकारियों ने इनकार किया (पद.12-18), परमेश्वर ने नाटकीय रूप से उनको उस धधकती भट्टी से बचाया (पद.24-27) l

परन्तु एक आश्चर्जनक मोड़ में, हम इस खलनायक के हृदय को बदलते हुए देखते हैं l इस असाधारण धटना के प्रतिउत्तर में, नबूकदनेस्सर कहता है, “धन्य है शद्रक, मेशक, और अबेदनगो का परमेश्वर” (पद.28) l

परन्तु उसने परमेश्वर का अनादर करनेवाले किसी भी व्यक्ति को मारने की धमकी दी (पद.29), नहीं समझते हुए कि परमेश्वर को उसकी सहायता नहीं चाहिए थी l नबूकदनेस्सर अध्याय 4 में और अधिक परमेश्वर के विषय सीखनेवाला था – परन्तु वह एक अलग कहानी है l

जो हम नबूकदनेस्सर में देखते हैं वह केवल एक खलनायक नहीं है, परन्तु आत्मिक यात्रा में एक व्यक्ति l परमेश्वर के उद्धार की कहानी में, हमारा नायक(हीरो) यीशु, हर एक के पास पहुँचता है जिसे बचाव की ज़रूरत है – जिसमें हमारे बीच के खलनायक भी सम्मिलित हैं l

उपवास का सार

भूख की पीड़ा मेरे आत्मसंयम को विफल कर रही थी l मेरे सलाहकार ने उपवास को परमेश्वर पर केन्द्रित होने के लिए एक मार्ग के तौर पर अनुशंसित किया था l परन्तु जैसे-जैसे दिन बीतता गया, मैं विचार करने लगा : “यीशु ने यह चालीस दिनों तक कैसे किया? मैंने पवित्र आत्मा के ऊपर शांति, सामर्थ्य, और धीरज के लिए…

पत्थर एक लालसा

फर्नान्डो पेस्सोआ की पुर्तगाली कविता “ओडे मारीटीमा” की एक पंक्ति कहती है, “आह, हर घाट पत्थर की लालसा है!” पेस्सोआ की घाट भावनाओं का प्रतिरूप है जिसका हम अनुभव करते हैं जब एक जलयान धीरे-धीरे हमसे दूर जाता है l यह जलयान कूच कर जाता है परन्तु घाट वहीं रहता है, आशा और स्वप्न, वियोग और चाह की स्थायी स्मारक l हम खोयी हुयी वस्तुओं के लिए लालायित होते हैं, और उन बातों के लिए जिन तक हमारी पहुँच नहीं l

पुर्तगाली शब्द (saudade) जिसका अनुवाद “लालसा” है अतीत के लिए लालायित होने का सदर्भ देता है जो हम अनुभव करते हैं – एक गहरी लालसा जो परिभाषा को चुनौती देती है l कवि अवर्णनीय का वर्णन कर रहा है l

हम कह सकते हैं कि नबो पहाड़ मूसा की “पत्थर की लालसा” थी l नबो पहाड़ से उसने टकटकी लगाकर प्रतिज्ञात देश को देखा – एक देश जहां वह नहीं पहुंचनेवाला था l मूसा के लिए परमेश्वर के शब्द – “मैं ने इसको तुझे साक्षात् दिखला दिया है, परन्तु तू पार होकर वहाँ जाने न पाएगा” (व्यवस्थाविवरण 34:4) – कठोर प्रतीत हो सकते हैं l परन्तु यदि हम केवल यही देखते हैं, हम घटना के केंद्र से चूक जाते हैं l परमेश्वर मूसा से अत्यधिक आराम की बातें बोल रहा है : “जिस देश के विषय में मैं ने अब्राहम, इसहाक, और याकूब से शपथ खाकर कहा था, कि मैं इसे तेरे वंश को दूँगा वह यही है” (पद.4) l जल्द ही, मूसा नबो से कुछ करके कनान से कहीं बेह्तार देश में जानेवाला था (पद.5) l

जीवन हमें घाट पर खड़ा हुआ पाता है l प्रिय लोग चले जाते हैं; आशा धूमिल हो जाती है; स्वप्नों का अंत हो जाता है l इन सबके मध्य हम अदन की प्रतिध्वनि और स्वर्ग की झलक का अनुभव करते हैं l हमारी लालसाएं हमें परमेश्वर की ओर इंगित करती हैं l वही हमारी पूर्णता है जिसकी हम लालसा करते हैं l