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Articles by टिम गस्टफसन

मैं कर ही नहीं सकता हूँ

उदास विद्यार्थी दुखी होकर बोला, “मैं कर ही नहीं सकता हूँ l” पन्ने पर उसे केवल छोटे अक्षर, कठिन विचार, और बेरहम निर्धारित तिथि दिखाई दे रही थी l उसे अपने शिक्षक की सहायता की ज़रूरत थी l

यीशु का पहाड़ी उपदेश “अपने शत्रु से प्रेम करो” (मत्ती 5:44) पढ़कर हमें भी उसी प्रकार का अनुभव हो सकता है l  क्रोध एक बुरा हत्यारा है (पद.22) कुदृष्टि व्यभिचार के बराबर है (पद.28) l और अगर हम इन मानकों पर जीवन बिताने की हिम्मत करते हैं, तो हमारा सामना इससे होता है : तुम सिद्ध बनो, जैसा तुम्हारा स्वर्गिक पिता सिद्ध है” (पद.48) l

ऑस्वाल्ड चेम्बर्स कहते हैं, “पहाड़ी उपदेश निराशा उत्पन्न करता है” l किन्तु उन्होंने इसे अच्छा पाया, क्योंकि “निराशा के समय हम कंगाल की तरह [यीशु] के पास आकर उसे स्वीकार करना चाहते हैं l”

परमेश्वर अक्सर सहजज्ञान से हटकर कार्य करता है l जिन्हें मालुम है कि वे अपने ऊपर भरोसा करके नहीं कर सकते हैं, वे ही पमेश्वर का अनुग्रह स्वीकार करते हैं l जिस तरह प्रेरित पौलुस कहते हैं, “अपने बुलाए जाने को तो सोचो कि न शरीर के अनुसार बहुत ज्ञानवान . . . परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है कि ज्ञानवानों को लजित करे” (1 कुरिन्थियों 1:26-27) l

परमेश्वर की बुद्धिमत्ता में, सिद्ध शिक्षक हमारा उद्धारकर्ता भी है l जब हम विश्वास से उसके पास आते हैं, उसके पवित्र आत्मा के द्वारा हम [उसकी धार्मिकता], और पवित्रता, और छुटकारा” का आनंद लेते हैं (पद.30), और उसके लिए जीने के लिए अनुग्रह और सामर्थ्य भी पाते हैं l इसीलिए वह कह सकता था, “धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है” (मत्ती 5:3) l

गहराई का परमेश्वर

जीवविज्ञानी वार्ड एप्पलटन्स कहते है, “जब आप गहरे समुद्र में जाते हैं, और हर बार जब आप नमूना इकठ्ठा करते हैं, आपको नयी प्रजाति मिलेगी l हाल ही के एक वर्ष में,  विज्ञानियों ने समुद्र के सतह के नीचे के जीवन में 1,451 नयी प्रजातियों को पहचाना l हम समुद्र के नीचे के आधे संसार को नहीं जानते हैं l

अय्यूब 38-40 में, परमेश्वर ने अय्यूब के लाभ के लिए अपनी सृष्टि की समीक्षा की l तीन काव्यात्मक अध्यायों में, परमेश्वर ने मौसम के आश्चर्य को, कायनात की विशालता को, और अपने-अपने निवास में रहनेवाले विविध प्राणियों के विषय समझाया l ये वे वस्तुएं हैं जिनको हम ध्यान से देख सकते हैं l उसके बाद परमेश्वर ने एक पूरे अध्याय में अद्भुत लिव्यातान के विषय बताया l लिव्यातान एक भिन्न प्राणी है जिसका कवच चारों ओर के आक्रमण को विफल कर सकता है (अय्यूब 41:7,13), आकर्षक शक्ति वाला (पद.12), और उसके दांत चारों ओर से डरावने हैं (पद.14) l उसके मुँह से जलते हुए पलीते निकलते हैं, और . . . उसके नथुनों से . . . धुआँ निकलता है (पद.19-20) l “धरती पर उसके तुल्य और कोई नहीं है (पद.33) l

बिलकुल ठीक, तो परमेश्वर एक विशालकाय जंतु के विषय बातचीत करता है जिसे हम सबों ने नहीं देखा है l क्या अय्यूब 41 की मुख्य  बात यही है?
नहीं! अय्यूब 41 परमेश्वर के आश्चर्जनक चरित्र सम्बन्धी हमारी समझ को विस्तार देता है l भजनकार ने यह लिखते हुए इसे और विस्तारित किया, “. . . समुद्र बड़ा और बहुत ही चौड़ा है, . . . और लिव्यातान भी जिसे तू ने वहां खेलने के लिए बनाया है” (भजन 104:25-26) l  लिव्यातान का उल्लास l

हमारे पास समुद्र में खोज करने के लिए वर्तमान है l हमारे पास महाप्रतापी, रहस्मय, उल्लासित परमेश्वर के विषय जानने के लिए अनंत काल होगा l

किसी के होने का भाव

पिछली रात मैं देर तक बाहर था, जिस तरह मैं शनिवार की रात को रहता था l मैं 20 वर्ष का था, और अत्यधिक गति से परमेश्वर से दूर भाग रहा था l किन्तु अचानक, विचित्र रूप से, मैं उस चर्च में जाने को विवश हुआ जिसमें मेरे पिता पासवान थे l मैंने अपनी बदरंग जींस, पुरानी शर्ट, और खुले फीतों वाली घुटने तक की जूतियाँ पहनकर अपनी गाड़ी से चर्च गया l

मुझे अपने पिता का धर्मोपदेश याद नहीं जो उन्होंने उस दिन दिया था, किन्तु यह मुझे याद है कि वह मुझे देखकर कितना खुश हुए थे l अपनी बाहें मेरे कन्धों पर रखते हुए, उन्होंने मेरा परिचय सभी लोगों से कराया था l उन्होंने गर्व से कहा था, “यह मेरा बेटा है l” उनका आनंद परमेश्वर के प्रेम की छवि बन गयी जो पिछले कई दशकों से मेरे साथ है l

एक प्रेमी पिता के रूप में परमेश्वर की छवि पूरी बाइबल में दिखाई देती है l यशायाह 44 में, नबी पारिवारिक प्रेम के विषय परमेश्वर का सन्देश घोषित करने के लिए श्रृंखलाबद्ध चेतावनियाँ देता है l “हे मेरे चुने हुए यशूरून,” उसने कहा l “मैं तेरे वंश पर अपनी आत्मा और तेरी संतान पर अपनी आशीष उंडेलूँगा” (पद.2-3) l यशायाह ने ध्यान दिया कि किस तरह उन वंशजों का प्रतिउत्तर पारिवारिक गर्व दर्शाएगा l कुछ लोग गर्व से कहेंगे, ‘मैं यहोवा का हूँ,’” उसने लिखा l “कुछ अपने हाथों पर प्रभु का नाम लिखेंगे” (पद.5) l

उसी तरह जैसे मेरे पिता ने मुझे स्वीकार किया, हठधर्मी इस्राएल परमेश्वर के ही थे l मेरा कोई भी व्यवहार मुझे उसके प्रेम से अलग नहीं कर सकता था l उसने मुझे हमारे स्वर्गिक पिता का हमसे प्रेम करने की झलक दी l

और सच्चाई में

वर्षों पूर्व, मैं एक ऐसे विवाह में शामिल हुआ जिसमें भिन्न देशों के दो लोगों का विवाह हुआ l संस्कृतियों का ऐसा मिलन खुबसूरत हो सकता है, किन्तु इस समारोह में मसीही परम्पराओं के साथ ऐसे विश्वास की रीति रिवाजों का समावेश था जिसमें अनेक देवताओं की उपासना शामिल थी l

नबी सपन्याह ने एक सच्चे परमेश्वर में विश्वास के साथ दूसरे धर्मों की मिलावट(जिसे कभी-कभी समन्वयता[syncretism] कहा जाता है) की स्पष्ट रूप से निंदा की l यहूदा के लोग एक सच्चे परमेश्वर की उपासना के साथ-साथ मोलेक देवता पर भी  भरोसा करते थे (स्पन्याह 1:5) l स्पन्याह उनके द्वारा मूर्तिपूजक संस्कृति को अपनाने का वर्णन करते हुए(पद.8) चेतावनी देता है कि इसके परिणाम स्वरुप परमेश्वर यहूदा के लोगों को उनके अपने देश से निर्वासित कर देगा l
इसके बावजूद भी परमेश्वर ने अपने लोगों से प्रेम करना नहीं छोड़ा l उसका न्याय यह प्रगट कर रहा था कि उनको उसकी ओर लौटना होगा l इसलिए स्पन्याह यहूदा के लोगों से कहता है “धर्म को ढूढों, नम्रता को ढूढों” (2:3) l उसके बाद परमेश्वर ने कोमल शब्दों में उनकी पूर्ण पुनर्स्थापन की प्रतिज्ञा की : “उसी समय मैं तुम्हें ले जाऊँगा, और उसी समय मैं तुम्हें इकठ्ठा करूँगा” (3:20) l
जिस विवाह में मैं शामिल हुआ था उसमें प्रगट धर्मों की मिलावट के उदहारण की निंदा करना सरल है l किन्तु वास्तविकता में, हम सभी  परमेश्वर की सच्चाई को हमारी संस्कृति की मान्यताओं के साथ सरलता से मिला देते हैं l हमें सच्चाई पर भरोसा और प्रेम के साथ खड़े रहने हेतु अपने विश्वास की जांच पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन में और परमेश्वर के वचन की सत्यता के प्रकाश में करनी होगी l हमारा पिता हरेक को गले लगाता है जो आत्मा और सच्चाई से उसकी उपासना करता है (देखें यूहन्ना 23-24) l

अंतिम बुलाहट

हेलिकोप्टर पायलट के रूप में दो दशक तक अपने देश की सेवा करने के बाद, जेम्स अपने समुदाय में शिक्षक की सेवा करने हेतु अपने घर लौट आया l इसलिए कि उसे अभी भी हेलीकॉप्टरों की याद आती थी,  उसने एक स्थानीय हॉस्पिटल के साथ लोगों को खतरनाक स्थान से हटाकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने की सेवा करने लगा l वह काफी उम्र तक यह काम करता रहा l

अब उसे अलविदा कहने का समय आ चुका था l जब मित्रगण, परिजन, और वर्दी पहने सहकर्मी कब्रस्थान में सजग खड़े थे l एक सहकर्मी ने रेडियो पर अंतिम बार पुकारा l शीघ्र ही हवा में हेलीकॉप्टर बड़ी आवाज़ के साथ उस मेमोरियल बगीचे के ऊपर उड़ता हुआ  श्रद्धांजलि देते हुए हॉस्पिटल लौट गया l उपस्थित सेना के अधिकारी भी रो पड़े l

जब राजा शाऊल और उसका पुत्र योनातान युद्ध में मारे गए, दाऊद ने भी युगों के लिए “धनुष-गीत” नामक विलापगीत लिखा (2 शमूएल 1:17) l “हे इस्राएल, तेरा शिरोमणि तेरे ऊँचे स्थान पर मारा गया,” उसने गाया l “हाय, शूरवीर कैसे गिर पड़े हैं!” (पद.19) l योनातान दाऊद का घनिष्ठ मित्र और एक ही सेना के लिए लड़नेवाले योद्धा थे l और यद्यपि दाऊद और शाऊल शत्रु थे, दाऊद दोनों को सम्मान देता था l “उसने लिखा, “शाऊल के लिए रोओ . . . हे मेरे भाई योनातान, मैं तेरे कारण दुखित हूँ” (पद.24,26) l

सबसे अच्छे विदाई के क्षण भी बहुत कठिन होते हैं l किन्तु प्रभु पर भरोसा करनवालों के लिए, स्मरण कड़वा नहीं बल्कि बहुत मधुर होता है, क्योंकि वह हमेशा के लिए कभी नहीं होता l जिन्होंने दूसरों की सेवा की है उनका स्मरण कितना अच्छा है!

वो नहीं जो प्रतीत हो

“सुनो!” मेरी पत्नी ने मुझसे फोन पर बोलीl  “हमारे अहाते में एक बन्दर घुस आया है!” उसने फोन को रख दिया और मैंने बन्दर ही सुना l यह बहुत ही अजीब प्रतीत हो रहा था, क्योंकि जंगली बन्दर 2,000 मील दूर थे l

बाद में मेरे ससुर ने रहस्य खोल दी, “वह एक ख़ास प्रकार का उल्लू(Barred Owl) था l” वास्तविकता वह नहीं थी जो प्रतीत हो रही थी l

जब राजा सन्हेरिब की सेना ने यहूदा के राजा हिजकिय्याह को यरूशलेम की शहरपनाह के भीतर कैद कर दिया, अशूरों ने सोचा कि जीत उनकी है l सच्चाई भिन्न थी l यद्यपि अशूरों के क्षेत्र सेनापति ने मीठे शब्दों का उपयोग किया और परमेश्वर की ओर से बातें करने का ढोंग रचा, प्रभु का हाथ प्रभु के लोगों पर था l

“क्या मैं ने यहोवा के बिना कहे, इस स्थान को उजाड़ने के लिए चढ़ाई की है?” सेनापति ने पूछा (2 राजा 18:25) l यरूशलेम को हथियार डालने के लिए लुभाते समय, उसने यह भी कहा, “. . . तुम मरोगे नहीं, जीवित रहोगे” (पद.32) l

यह तो परमेश्वर के शब्द प्रतीत  हो रहे थे l किन्तु यशायाह नबी ने इस्राएलियों से प्रभु के वास्तविक शब्द कहे l परमेश्वर ने कहा, “[सन्हेरिब] इस नगर में प्रवेश करने, वरन् इस पर एक तीर भी मारने न पाएगा . . . मैं इस नगर की रक्षा करके इसे बचाऊंगा” (19:32-34; यशायाह 37:35) l उसी रात “यहोवा के दूत ने” अशूरों को नाश किया (पद.35) l

समय समय से, हमें मीठी बातें करनेवाले लोग मिलेंगे जो परमेश्वर की सामर्थ्य का इनकार करते हुए हमें “सलाह” देंगे l ये आवाज़ परमेश्वर की नहीं है l वह अपने वचन द्वारा बात करता है और पवित्र आत्मा द्वारा मार्गदर्शन देता है l उसका हाथ उसके अनुयायियों पर रहता है, और वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा l

जन्म के अनुसार किसी का आंकलन करना

"आप कहां से हैं"?  दूसरों को बेहतर जानने के लिए हम यह प्रश्न पूछ लेते हैं। परन्तु हम से अधिकांश सब कुछ नहीं बताना चाहते। न्यायियों की पुस्तक में यिप्तह शायद इस प्रश्न का उत्तर कदापि नहीं देना चाहता थाI उसके सौतेले भाइयों ने उसे यह कह कर गिलाद के घराने से निकाल दिया था कि, "तू तो पराई स्त्री का बेटा है" (न्यायियों 11:2)। पाठ बताता है कि," उसकी माता एक वैश्या थी" (पद 1)।

परंतु यिप्तह एक स्वभाविक अगुवा था। विरोधी जाति के गिलाद पर आक्रमण करने के कारण उसे बाहर निकालने वाले लोग अब उसे लौटने को कहने लगे। "हमारा प्रधान हो जा", उन्होंने कहा (पद 6)। यिप्तह ने पूछा, "क्या तुमने मुझ से..."( पद 7)?  यह आश्वासन मिलने के बाद कि अब चीजें फ़र्क होंगी, वह उनकी अगुवाई करने के लिए सहमत हो गया। “तब यहोवा का आत्मा...” (पद 29)। विश्वास के द्वारा उसने उनकी अगुवाई कर एक महान विजय दिलायी। नया नियम उसे विश्वास के नायकों में सूचीबद्ध करता है (इब्रानियों 11:32)।

अक्सर परमेश्वर अपने कार्यों को करने के लिए विचार से परे लोगों को चुनते हैं,  है ना?  हम कहां से हैं, यहां कैसे आए, हमने क्या किया है, इससे फर्क नहीं पड़ता। मुख्य यह है,  कि हम उनके प्रेम का प्रतिउत्तर विश्वास से दें।

इस सब के लिए तुच्छ जाना गया

सुज़ानाह सिब्बर अठारहवीं शताब्दी में अपनी गायन प्रतिभा के लिए मशहूर थी। हालांकि, अपने दाम्पत्य जीवन में निन्दात्मक समस्याओं के कारण वह उतनी ही बदनाम थी। इसलिए जब अप्रैल 1742 में, डबलिन में हेन्डल रचित मसीहा नाटक पहली बार किया गया, तो कई दर्शकों ने एकल गायिका के रूप में उसकी भूमिका को नहीं स्वीकारा।

नाटक के दौरान, सिब्बर मसीहा के विषय में गा रही थी: "वह तुच्छ जाना गया ...;"(यशायाह 53:3 केजेवी)। इन शब्दों से प्रभावित होकर रेव. पैट्रिक डेलेनी तुरन्त खड़े होकर कहने लगे, "हे नारी, इस कारण तेरे सभी पाप क्षमा कर दिए गए हैं!"

सुज़ानाह सिब्बर और हेन्डल रचित मसीहा के प्रसंग के बीच का संबंध स्पष्ट है "वह दुखी पुरूष”-यीशु मसीह-पाप के कारण "तुच्छ जाना जाता” और “मनुष्यों का त्यागा” हुआ था। भविष्यवक्ता यशायाह ने कहा, "मेरा धर्मी दास...।"(पद 11)।

मसीहा और हमारा संबंध कम स्पष्ट नहीं है। चाहे हम आलोचनात्मक दर्शकों के साथ, सुज़ानाह सिब्बर के साथ, या कहीं मध्य में खड़े हों, हम सभी को पश्चाताप करने और परमेश्वर की क्षमा प्राप्त करने की आवश्यकता है। यीशु ने अपने जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा परमेश्वर, हमारे पिता के साथ हमारा संबंध पुनः स्थापित कर दिया है।

इसके लिए-उस सब को जोयीशु ने पूरा किया-हमारे सभी पाप क्षमा हों।

घर के लिए पत्र

युद्ध के प्रशिक्षण पर घर से दूर गए अमेरिकी रंगरूटों ने चुनौतियों का सामना करने के लिए मजाक और पत्र लिखने का रास्ता अपनाया। एक पत्र में किसी युवक ने टीके लगने की प्रक्रिया को हास्यप्रद अंदाज़ में लिखा “दो डाक्टर भाला लेकर हमारे पीछे दौड़े। उन्होंने हमें घर दबोचा और एक-एक करके उसे हमारी बाँह में उसे घोंप दिया”।

एक सैनिक को जब बाइबिल मिली तो उसने लिखा, “मैं इसे बहुत पसंद करता हूँ। मैं हर रात इसे पढ़ता हूं। मैं नहीं जानता था कि सीखने के लिए इसमें कितनी बातें हैं।“

कई वर्ष बंधक रहने के बाद जब निर्वासित यहूदी बाबुल से घर लौटे तो अपनी समस्याएं भी साथ लाए। यरूशलेम की दीवारों के पुनर्निर्माण के संघर्ष के साथ ही, उनका सामना  आकाल, शत्रुओं के विरोध, और अपने पापों से था। इस बीच वे परमेश्वर के वचन की ओर फिरे। याजक के व्यवस्था की पुस्तक से  पढने पर लोग रोने लगे (नहेमायाह 8:9)। इन शब्दों ने उन्हें, “उदास मत रहो...”। (पद 10)

परमेश्वर से सुनने के लिए हमें समस्याओं की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। उनकी क्षमा, आश्वासन, और व्यक्तित्व के बारे में हम बाइबिल से जान सकते हैं। इसे पढ़ने पर जो परमेश्वर की आत्मा हमें दिखाएगी उसे देखकर हम आश्चर्यचकित हो