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Articles by टिम गस्टफसन

आसानी से कमाया जाने वाला धन

 
1700वे शतक के अंत में, एक युवक ने कनाडा के नोवा स्कोटिया के ओक द्वीप पर एक रहस्यमय गडढ़े की खोज की। यह अनुमान लगाते हुए कि समुद्री लुटेरों ने — शायद कैप्टन किड ने भी — वहाँ खजाना गाड़ दिया होगा, उसने और कुछ साथियों ने वहां पर खुदाई शुरू की। पर उन्हें कभी कोई ख़ज़ाना नहीं मिला, लेकिन अफवाह सब जगह फैल गई। सदियों से, अन्य लोगों ने उस जगह पर खुदाई करना जारी रखा: इसमें बहुत अधिक समय और धन खर्च हुआ। गड्ढा अब सौ फुट (तीस मीटर) से अधिक गहरा है। 
इस तरह के जुनून मानव हृदय में खालीपन को प्रकट करते हैं। बाइबल की एक कहानी दिखाती है कि कैसे एक आदमी के व्यवहार से उसके दिल में ऐसी ही एक शून्यता प्रकट हुई। गेहजी लंबे समय से महान भविष्यद्वक्ता एलीशा का विश्वसनीय सेवक था। लेकिन जब एलीशा ने एक सेनापति के, जिसे परमेश्वर ने कुष्ठ रोग से चंगा किया था, भव्य उपहारों को अस्वीकार कर दिया, तो गेहजी ने लूट में से कुछ पाने के लिए एक कहानी गढ़ी (2 राजा 5:22)। जब गेहजी घर लौटा, तो उसने नबी से झूठ बोला (पद 25)। परन्तु एलीशा जानता था। उस ने उस से पूछा, “जब वह पुरूष तुझ से भेंट करने को अपके रथ पर से उतरा, तब क्या मेरा आत्मा तेरे साथ न था? (पद 26)। अंत में, गेहजी को वह मिल गया जो वह चाहता था, परन्तु जो महत्वपूर्ण था उसने उसे खो दिया (पद 27)। 
यीशु ने हमें इस दुनिया के खज़ाने का पीछा नहीं करने और इसके बजाय “स्वर्ग में धन इकट्ठा करने की शिक्षा दी।” (मत्ती 6:20)। अपने दिल की इच्छाओं के लिए किसी भी शॉर्टकट (जुगाड़) से सावधान रहें। यीशु का अनुसरण करना, खालीपन को किसी वास्तविक चीज़ से भरने का तरीका है। 

चुराए गए देवता

 
एक नक्काशीदार लकड़ी की आकृति—एक घरेलू देवता—एकुवा नाम की एक महिला से चुराई गई थी, इसलिए उसने अधिकारियों को इसकी सूचना दी। यह मानते हुए कि उन्हें मूर्ति मिल गई है, कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने उसे पहचानने के लिए आमंत्रित किया। "क्या यह तुम्हारा परमेश्वर है?" उन्होंने पूछा। उसने उदास होकर कहा, "नहीं, मेरा परमेश्वर इससे कहीं बड़ा और सुंदर है।" 
लोगों ने लंबे समय से देवता की अपनी अवधारणा को आकार देने की कोशिश की है, इस उम्मीद में कि एक हाथ से बनाया गया देवता उनकी रक्षा करेगा। शायद इसीलिए याकूब की पत्नी राहेल ने लाबान से भागते समय "अपने पिता के घर के देवताओं को चुरा लिया" (उत्पत्ति 31:19)। परन्तु याकूब के डेरे में मूरतें छिपी होने के बावजूद परमेश्वर का हाथ उसके ऊपर था (पद 34)।  
बाद में, उसी यात्रा में, याकूब पूरी रात "एक पुरुष" के साथ मल्लयुद्ध करता रहा (32:24)। वह समझ गया होगा कि यह विरोधी एक मनुष्य नहीं था, क्योंकि भोर में याकूब ने जोर देकर कहा, "जब तक तू मुझे आशीर्वाद न दे, तब तक मैं तुझे जाने न दूंगा" (पद. 26)। उस व्यक्ति ने उसका नाम बदलकर इस्राएल ("परमेश्वर युद्ध करता है") रखा और फिर उसे आशीष दी (पद. 28-29) । तब याकूब ने यह कह कर उस स्थान का नाम पनीएल ("परमेश्‍वर का मुख") रखा: कि परमेश्वर को आम्हने साम्हने देखने पर भी मेरा प्राण बच गया है (पद. 30)। यह परमेश्वर—एक सच्चा परमेश्वर—इकुवा की किसी भी कल्पना से कहीं अधिक बड़ा और अधिक सुंदर है। उसे गढ़ा, चुराया या छिपाया नहीं जा सकता। फिर भी, जैसे याकूब ने उस रात सीखा, हम उसके पास जा सकते हैं! यीशु ने अपने शिष्यों को इस परमेश्वर को "स्वर्ग में हमारा पिता" कहना सिखाया (मत्ती 6:9)। 

परमेश्वर के पास अन्य योजनाएँ थीं

उनकी सटीक उम्र अज्ञात हैl एक चर्च की सीढ़ियों पर मिली थी; दूसरी को केवल इतना पता था कि उसे ननों(nuns) ने पाला थाl द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पोलैंड में जन्मी, लगभग अस्सी वर्षों तक न तो हेलिना और न ही क्रिस्टीना एक-दूसरे के बारे में जानती थीं l तब डी.एन.ए(DNA) परीक्षण के परिणामों ने उन्हें बहनें होने का खुलासा किया और एक सुखद पुनर्मिलन हुआl इसने उनकी यहूदी पैतृकी को भी प्रकट किया, यह समझाते हुए कि उन्हें क्यों छोड़ दिया गया था l दुष्ट लोगों ने केवल लड़कियों की पहचान के कारण उन्हें मृत्यु के लिए चिन्हित किया थाI 

एक भयभीत माँ की कल्पना करना जो अपने डरे हुए बच्चों को वहां छोड़ देती है जहाँ उन्हें बचाया जा सकता था, मूसा की कहानी याद दिलाता है l एक इब्रानी बच्चे के रूप में, उसे जातिसंहार(genocide) के लिए चिन्हित किया गया था (देखें निर्गमन 1:22) l उसकी माँ ने युक्तिपूर्ण रूप से उसे नील नदी(2:3) में रखा, जिससे उसे जीवित रहने का मौका मिल सकता था l परमेश्वर के पास एक योजना थी जिसका वह सपना भी नहीं देख सकती थी—मूसा के द्वारा अपने लोगों को बचाने कीl 

मूसा की कहानी हमें यीशु की कहानी की ओर इशारा करती है l जैसे फिरौन इब्री लड़कों की हत्या करना चाहता था, वैसे ही हेरोदेस ने बैतलहम में सभी बच्चों को मारने का आदेश दिया थाI (मत्ती 2:13-16) 

ऐसी सभी घृणा के पीछे—खासकर बच्चों का —हमारा शत्रु शैतान है l ऐसी हिंसा से परमेश्वर आश्चर्य में नहीं पड़ता l उसके पास मूसा के लिए योजनाएँ थीं, और उसके पास आपके और मेरे लिए भी योजनाएँ हैं l और अपने पुत्र,यीशु के द्वारा, उसने अपनी सबसे बड़ी योजना को प्रकट किया—उन्हें बचाने और पुनर्स्थापित करने के लिए जो कभी उसके शत्रु थे l 

निर्णायक समिति 8

“एक आदमी मर गया है। एक और आदमी का जीवन दांव पर है," न्यायधीश ने 1957 की क्लासिक फिल्म 12 एंग्री मेन (हिंदी में एक रूका हुआ फैसला के रूप में भी रीमेक) में गंभीरता से कहा। युवा संदिग्ध के खिलाफ सबूत बहुत गंभीर प्रतीत होते हैं। लेकिन विचार-विमर्श के दौरान, यह निर्णायक समिति का अलगाव है जो सामने आता है। बारह में से एक—निर्णायक सदस्य संख्या 8— " निर्दोष” का मत(वोट) देता हैI एक गरमागरम बहस शुरू हो जाती है, जिसमें एकमात्र निर्णायक सदस्य का मज़ाक उड़ाया जाता है क्योंकि वह गवाही में विसंगतियों को इंगित करता है। भावनाएँ बढ़ती हैं, और निर्णायक सदस्यों की अपनी जानलेवा और पूर्वाग्रही प्रवृत्तियाँ सामने आती हैं। एक-एक करके निर्णायक सदस्यों ने अपने मत(वोट) को “निर्दोष” होने के लिए बदल दिया।

जब परमेश्वर ने इस्राएल के नए राष्ट्र को अपने निर्देश दिए, तो उसने सच्चे साहस पर जोर दिया। "जब तू किसी मुकद्दमे में गवाही दे," परमेश्वर ने कहा, "भीड़ का पक्ष करके न्याय बिगाड़ने की साक्षी न देना" (निर्गमन 23:2) दिलचस्प बात यह है कि अदालत को न तो "गरीब का पक्ष लेना" था (पद. 3) और न ही "अपने दरिद्र लोगों का न्याय चुकाना" (पद. 6) परमेश्वर, धर्मी न्यायी है जो हमारी सारी कार्यवाहियों में हमारी खराई चाहता है।

12 एंग्री मेन में, मत (वोट) देने वाले दूसरे निर्णायक सदस्य ने पहले सदस्य के बारे में कहा, "दूसरों के उपहास को सहते हुए उनके विरूद्ध अकेले खड़े रहना आसान नहीं है।" फिर भी परमेश्वर यही चाहता है। निर्णायक सदस्य नंबर 8 ने वास्तविक साक्ष्य के साथ-साथ परीक्षण पर व्यक्ति की मानवता को देखा। पवित्र आत्मा के कोमल/सौम्य मार्गदर्शन से, हम भी परमेश्वर के सत्य के लिए खड़े हो सकते हैं और शक्तिहीन के लिए आवाज़ उठा /बोल सकते हैं।

हृदय परेशानी

“क्या आप इसे देखते हैं, भाई टिम?”  मेरे मित्र, घाना के एक पादरी ने मिट्टी की झोपड़ी की ओर झुकी हुई एक नक्काशीदार वस्तु पर अपनी टार्च की रोशनी डाली। उसने चुपचाप कहा, “वह गाँव की मूर्ति है।”प्रत्येक मंगलवार की शाम, पादरी सैम, इस सुदूर गाँव में बाइबल साझा करने के लिए  इस झाड़ी में जाता था।

यहेजकेल की पुस्तक में, हम देखते हैं कि कैसे मूर्तिपूजा ने यहूदा के लोगों को नष्ट   किया। जब यरूशलेम के अगुवे यहेजकेल भविष्यद्वक्ता से मिलने आएए तो परमेश्वर ने उससे कहा, “इन लोगों ने अपने मन में मूरतें गढ़ी हैं” (14:3)। परमेश्वर उन्हें केवल लकड़ी और पत्थर से तराशी गई मूर्तियों के विरुद्ध चेतावनी नहीं दे रहा था। वह उन्हें बता  रहा था कि  मूर्तिपूजा दिल की समस्या है। हम सब इससे जूझते हैं।

बाइबिल शिक्षक एलिस्टेयर बेग एक मूर्ति का वर्णन इस प्रकार करते हैं— “परमेश्वर के अलावा और कुछ भी, जिसे हम अपनी शांति, अपनी आत्म–छवि, अपनी  संतुष्टि, या  अपनी स्वीकार्यता के लिए आवश्यक मानते हैं।”  यहां तक कि  जो चीजें देखने में भली लगती हैं वे भी हमारे लिए मूर्ति बन सकती हैं। जब हम जीवित परमेश्वर के अलावा किसी और चीज में आराम या आत्म सम्मान की तलाश करते हैं, तो हम मूर्तिपूजा करते हैं।

“पश्चाताप!” परमेश्वर ने कहा। “अपनी मूरतों से फिरो और अपने सब घिनौने कामों को त्याग दो!” (पद 6)। इस्राइल ऐसा करने में असमर्थ साबित हुआ। शुक्र है, परमेश्वर के पास इसका समाधान था। मसीह के आने और पवित्र आत्मा के उपहार की प्रतीक्षा करते हुए, उसने प्रतिज्ञा की, “मैं तुम्हें नया मन दूंगा, और तुम में नई आत्मा डालूंगा” (36:26) । यह हम अकेले नहीं कर सकते।

यीशु में पुनर्जीवन

लियोनार्डो दा विंची को हम अनेक गुणों का,  सर्वगुणसंपन्न व्यक्ति के रूप में जानते हैं। उनके बौद्धिक कौशल ने अध्ययन और कला के कई क्षेत्रों में प्रगति की। फिर भी लियोनार्डो ने "हमारे इन दुखद दिनों" का ज़िक्र किया और अफसोस जताया कि हम "लोगों के दिमाग में अपनी कोई भी यादें छोड़े बिना" ही मर जाते हैं।

लियोनार्डो ने कहा, "जब मैंने सोचा कि मैं जीना सीख रहा हूं, मैं मरना सीख रहा था।" उसने जितना सोचा होगा, वह उससे कहीं ज्यादा सच्चाई के करीब था। मरना सीखना ही जीवन का मार्ग है। यरूशलेम में यीशु के विजयी प्रवेश के बाद (जिसे हम अब पाम संडे (खजूरों का इतवार) के रूप में मनाते हैं; यहुन्ना 12:12-19 देखें), उन्होंने कहा, "जब तक गेहूँ का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है।परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है” (पद 24)। उन्होंने यह बात अपनी मृत्यु के बारे में कही, लेकिन हम सभी को शामिल करने के लिए इसका विस्तार किया: "जो अपने प्राण को प्रिय जानता है,वह उसे खो देता;और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है; वह अनंत जीवन के लिए उस की रक्षा करेगा" (पद 25)।

प्रेरित पौलुस ने बपतिस्मा के माध्यम से मसीह के साथ हमारे "गाड़े जाने" के बारे में लिखा, जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मृतकों में से जीवित हो गए, हमे भी जीने के लिए एक नया जीवन मिला। क्योंकि अगर उनकी मृत्यु में हम उनके साथ एक हुए हैं, तो निश्चय उनके पुनरुत्थान में भी उनके साथ एक होंगे (रोमियों 6:4-5)।

अपनी मृत्यु के माध्यम से, यीशु हमें पुनर्जन्म प्रदान करते हैं - पुनर्जागरण का वास्तविक अर्थ! उन्होंने अपने पिता के साथ अनन्त जीवन का मार्ग बनाया है।

शाश्वत विरासत

जब महामंदी के दौरान “डस्ट बोल” (Dust Bowl) नाम के रेतीले तूफ़ानों ने संयुक्त राज्य अमेरिका को तबाह कर दिया था, तब कैनसस, हियावाथा के निवासी जॉन मिलबर्न डेविस ने अपने लिए प्रसिद्धि और सम्मान प्राप्त करने का फैसला किया। अपने बल-बूते पर करोड़पति बने निःसंतान, डेविस ने दान या आर्थिक विकास में निवेश करने के बजाय, बड़े खर्च पर,  स्थानीय कब्रिस्तान में अपनी और अपनी मृत पत्नी की ग्यारह आदमकद मूर्तियाँ खड़ी कर दीं । 

डेविस ने पत्रकार एर्नी पाइल से कहा, "कैनसस में वे मुझसे नफरत करते हैं।" स्थानीय निवासी चाहते थे कि वह अस्पताल, स्विमिंग पूल या पार्क जैसी सार्वजनिक सुविधाओं के निर्माण के लिए धन दें। फिर भी उन्होंने बस इतना ही कहा, "यह मेरा पैसा है और मैं इसे अपनी इच्छानुसार खर्च करता हूँ।"

राजा सुलैमान, जो अपने समय का सबसे धनी व्यक्ति था, ने लिखा, "जो रूपए से प्रीति रखता है वह रूपए से तृप्त न होगा” "जब सम्पत्ति बढ़ती है तो उसके खाने वाले भी बढ़ते हैं” (सभोपदेशक 5:10-11)। सुलैमान धन की भ्रष्ट करने वाली प्रवृत्तियों के प्रति भली-भांति परिचित हो गया था। प्रेरित पौलुस ने भी धन के लालच को समझा और अपना जीवन यीशु की आज्ञाकारिता में लगाने का निर्णय लिया। रोमन जेल में फाँसी की प्रतीक्षा करते हुए, उन्होंने विजयी भाव से लिखा, "क्योंकि अब मैं अर्ध की नाई उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है।मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है।" (2 तीमुथियुस 4:6-7)।  

जो हम पत्थर में तराशते हैं या अपने लिए जमा करते हैं, वो सदा के लिए बना नहीं रहता है। यह वह है जो हम एक-दूसरे के लिए और उसके लिए प्यार से देते हैं - वह जो हमें दिखाता है कि प्यार कैसे करना है।

लैव्यव्यवस्था भी

विषय लैव्यव्यवस्था था, और मुझे एक स्वीकारोक्ति करनी थी l मैंने अपने बाइबल अध्ययन समूह को बताया, “मैंने बहुत से हिस्सों को छोड़ दी l” “मैं त्वचा रोगों के बारे में दुबारा नहीं पढ़ रहा हूँ l” 

तभी मेरे मित्र डेव ने बात की l उन्होंने कहा, “मैं एक ऐसे व्यक्ति को जनता हूँ जो उस परिच्छेद के कारण यीशु में विश्वास किया l” डेव ने बताया कि उसका डॉक्टर दोस्त नास्तिक था l उसने निर्णय लिया कि बाइबल को पूरी तरह से अस्वीकार करने से पहले, वह उसे पढ़ेगा l लैव्यव्यवस्था में त्वचा रोगों वाला भाग उन्हें आकर्षित किया l इसमें संक्रामक और गैर-संक्रामक घावों (13:1-46) और उनके इलाज के तरीके (14:8-9) के विषय में आश्चर्यजनक विवरण शामिल थे l वह जानता था कि यह तत्कालीन चिकित्सा ज्ञान से कहीं अधिक था—फिर भी यह लैव्यव्यवस्था में था l उसने सोचा, ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे मूसा यह सब जान सका l डॉक्टर ने विचार किया कि मूसा को वास्तव में उसकी जानकारी परमेश्वर से प्राप्त हुयी थी l आखिरकार उसने यीशु पर विश्वास किया l  

यदि बाइबल के कुछ भाग आपको उबा देते हैं, तो ठीक है, मैं आपके साथ हूँ l लेकिन इसमें जो कुछ भी कहा गया है वह किसी कारण से हैं l लैव्यव्यवस्था इसलिए लिखी गयी थी ताकि इस्राएल जान सके कि परमेश्वर के लिए और उसके साथ कैसे रहना है l जैसे-जैसे हम परमेश्वर और उसके लोगों के बीच इस रिश्ते के बारे में और अधिक सीखते हैं, हम स्वयं परमेश्वर के बारे में सीखते हैं l 

प्रेरित पौलुस (2 तीमुथियुस 3:16)) ने लिखा, “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिए लाभदायक है l” आइए आगे पढ़ें l यहाँ तक कि लैव्यव्यवस्था भी l 

आत्म-सम्मान बढ़ाना

मैगी की युवा सहेली चौंकानेवाले ढंग से तैयार होकर चर्च में आई l हालाँकि किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए था; वह एक वैश्या थी l मैगी की आगंतुक बेचैनी से अपनी सीट पर बैठकर, बार-बार अपनी बहुत छोटी स्कर्ट को खींचती हुयी अपनी बाहों को सचेतावस्था में अपने चारों ओर मोड़ रही थी l 

“ओह, क्या तुम्हें ठण्ड लग रही है?” मैगी ने चतुराई से इस बात से ध्यान हटाते हुए पूछा कि उसने कैसे कपड़े पहने हैं l “यह! मेरा शॉल ले लो l”

मैगी ने दर्जनों लोगों को चर्च में आने के लिए आमंत्रित करके और उन्हें सहज महसूस कराने में मदद करके यीशु से परिचित कराया l सुसमाचार उसके लुभावने तरीकों के द्वारा चमकता था l वह सभी के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करती थी l 

जब धार्मिक अगुवों ने एक स्त्री को व्यभिचार के कठोर (और सटीक) आरोप के साथ यीशु के सामने घसीट लाए, तो मसीह ने उस पर तब तक ध्यान नहीं दिया जब तक कि उसने आरोप लगाने वालों को दूर नहीं किया l उन लोगों के जाने के बाद वह उसे डांट सकता था l इसके बजाय, उसने दो सरल प्रश्न पूछे : “वे कहाँ गए?” और “क्या किसी ने तुझ पर दंड की आज्ञा न दी?” (यूहन्ना 8:10) l निसंदेह, बाद वाले प्रश्न का उत्तर नहीं था l इसलिए यीशु ने उसे एक संक्षिप्त कथन में सुसमाचार दिया : “मैं भी तुझ पर दंड की आज्ञा नहीं देता l” और फिर निमंत्रण : “जा, और फिर पाप न करना” (पद.11) l 

लोगों के प्रति वास्तविक प्रेम की सामर्थ्य को कम मन आंकिये—प्रेम का वह प्रकार जो निंदा करने से इंकार करता है, यहाँ तक कि यह हर किसी को गरिमा और क्षमा प्रदान करता है l