मैगी की युवा सहेली चौंकानेवाले ढंग से तैयार होकर चर्च में आई l हालाँकि किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए था; वह एक वैश्या थी l मैगी की आगंतुक बेचैनी से अपनी सीट पर बैठकर, बार-बार अपनी बहुत छोटी स्कर्ट को खींचती हुयी अपनी बाहों को सचेतावस्था में अपने चारों ओर मोड़ रही थी l 

“ओह, क्या तुम्हें ठण्ड लग रही है?” मैगी ने चतुराई से इस बात से ध्यान हटाते हुए पूछा कि उसने कैसे कपड़े पहने हैं l “यह! मेरा शॉल ले लो l”

मैगी ने दर्जनों लोगों को चर्च में आने के लिए आमंत्रित करके और उन्हें सहज महसूस कराने में मदद करके यीशु से परिचित कराया l सुसमाचार उसके लुभावने तरीकों के द्वारा चमकता था l वह सभी के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करती थी l 

जब धार्मिक अगुवों ने एक स्त्री को व्यभिचार के कठोर (और सटीक) आरोप के साथ यीशु के सामने घसीट लाए, तो मसीह ने उस पर तब तक ध्यान नहीं दिया जब तक कि उसने आरोप लगाने वालों को दूर नहीं किया l उन लोगों के जाने के बाद वह उसे डांट सकता था l इसके बजाय, उसने दो सरल प्रश्न पूछे : “वे कहाँ गए?” और “क्या किसी ने तुझ पर दंड की आज्ञा न दी?” (यूहन्ना 8:10) l निसंदेह, बाद वाले प्रश्न का उत्तर नहीं था l इसलिए यीशु ने उसे एक संक्षिप्त कथन में सुसमाचार दिया : “मैं भी तुझ पर दंड की आज्ञा नहीं देता l” और फिर निमंत्रण : “जा, और फिर पाप न करना” (पद.11) l 

लोगों के प्रति वास्तविक प्रेम की सामर्थ्य को कम मन आंकिये—प्रेम का वह प्रकार जो निंदा करने से इंकार करता है, यहाँ तक कि यह हर किसी को गरिमा और क्षमा प्रदान करता है l