अच्छी तरह से खर्च किया गया समय
14 मार्च, 2019 को, नासा(NASA) के रॉकेट भेजे गए, जिससे अन्तरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच(Christina Koch) अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन पर गयी l कोच 328 दिनों तक पृथ्वी पर नहीं लौटने वाली थी, जिससे उन्हें एक महिला द्वारा सबसे लम्बे समय तक लगातार अन्तरिक्ष उड़ान का रिकॉर्ड मिल गया l हर दिन, पृथ्वी से लगभग 254 मील ऊपर रहते हुए, एक स्क्रीन(screen) पांच मिनट की वृद्धि में अन्तरिक्ष यात्री के समय का हिसाब/track रखती थी l उसे अनगिनत दैनिक कार्य पूरे करने थे(भोजन से लेकर प्रयोग/experiments तक), और—घंटे दर घंटे—डिसप्ले/display पर एक लाल रेखा बढ़ती थी, जो लगातार दिखाती थी कि कोच निर्धारित समय से आगे है या पीछे l बर्बाद करने के लिए एक भी क्षण नहीं था l
हालाँकि, निश्चित रूप से हमारे जीवन पर शासन करने वाली लाल रेखा जैसी किसी भी चीज़ की सिफारिश नहीं करते हुए, प्रेरित पौलुस ने हमें हमारे समय का बहुमूल्य, सीमित संसाधन का सावधानीपूर्वक उपयोग करने के लिए उत्साहित किया l उसने लिखा, “इसलिए ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो : निर्बुद्धियों के समान नहीं पर बुद्धिमानों के समान चलो l अवसर को बहुमूल्य समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं”(इफिसियों 5:15-16) l परमेश्वर की बुद्धि हमें अपने दिनों को उद्देश्य और देखभाल से भरने, उन्हें उसकी आज्ञाकारिता का अभ्यास करने, अपने पड़ोसियों से प्यार करने और संसार में यीशु का जारी उद्धार में भाग लेने के लिए नियोजित करने का निर्देश देती है l अफ़सोस की बात है कि बुद्धिमत्ता के निर्देशों की उपेक्षा करना और इसके बजाय अपने समय को मूर्खतापूर्ण तरीके से उपयोग करना(पद.17), अपने वर्षों को स्वार्थी या विनाशकारी कार्यों में बर्बाद करना पूरी तरह से संभव है l
बात समय के बारे में जुनूनी रूप से चिंता करने की नहीं हैं बल्कि आज्ञाकारिता और विश्वास के साथ परमेश्वर का अनुसरण करने की है l वह हमें अपने दिनों का अधिकतम लाभ उठाने में मदद करेगा l
भूखों के लिए भोजन
वर्षों से, हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका(Horn of Africa-Somalia, Djibouti, Ethiopia, Eritrea, Somaliland) भयंकर सूखे से पीड़ित है, जिसने फसलों को नष्ट कर दिया है, पधुधन को मार डाला है और लाखों लोगों को संकट में डाल दिया है l सबसे कमजोर लोगों में—जैसे कि केन्या के कहुमा शरणार्थी शिविर के लोग, जो युद्धों और उत्पीड़न से भागे हैं—यह और भी गम्भीर है l एक हालिया रिपोर्ट में एक युवा माँ अपने बच्चे को शिविर अधिकारियों के पास लाती है l शिशु गंभीर कुपोषण से पीड़ित था, जिससे उसके बाल और त्वचा निकल गए . . सूखा और नाज़ुक l” वह मुकुराती नहीं थी और खाना नहीं खाती थी l उसका अत्यंत छोटा शरीर काम करना बन्द कर रहा था l विशेषज्ञों ने तुरंत हस्तक्षेप किया l शुक्र है, भले ही ज़रूरतें अभी भी बहुत अधिक हैं, तत्काल, जीवन-या-मृत्यु सम्बन्धी आवश्यकताएं प्रदान करने के लिए एक बुनियादी ढांचा बनाया गया है l
ये निराशाजनक स्थान बिलकुल वही हैं जहां परमेश्वर के लोगों को उसके प्रकाश और प्रेम को चमकाने के लिए बुलाया जाता है(यशायाह 58:8) l जब लोग भूख से मर रहे हैं, बीमार हैं, या खतरे में हैं, तो परमेश्वर अपने लोगों को भोजन, दवा और सुरक्षा प्रदान करने के लिए सबसे पहले बुलाता है—सब यीश के नाम पर l यशायाह ने प्राचीन इस्राएल को यह सोचने के लिए फटकारा कि वे अपने उपवास और प्रार्थनाओं के प्रति विश्वासयोग्य थे, जबकि संकट के समय आवश्यक वास्तविक दयालु कार्य की अनदेखी कर रहे थे : “अपनी रोटी भूखों को बाँट देना,” “मारे-मारे फिरते हुओं को अपने घर ले आना” और “किसी को नंगा देखकर वस्त्र पहिनाना”(पद.7) l
परमेश्वर की इच्छा है कि भूखों को शारीरिक और आत्मिक दोनों तरह से भोजन मिले l और ज़रूरत को पूरा करते हुए वह हमारे अन्दर और हमारे द्वारा कार्य करता है l
परमेश्वर में अनुशासित जीवन
यह जून 2016 था, महारानी एलिजाबेथ का नब्बेवाँ जन्मदिन l अपनी गाड़ी से, सम्राट ने, लाल कोट पहने सैनिकों की लम्बी कतारों के सामने से गुजरते हुए, जो बिलकुल सावधान खड़े थे, भीड़ की ओर हाथ हिलाया l यह इंग्लैंड में एक गर्म दिन था, और गार्ड अपने पारंपरिक गहरे ऊनी पैन्ट, ठुड्डी तक बटन वाले ऊनी जैकेट और भालू के रोएँ(bear-fur) की बड़ी टोपियाँ पहने हुए थे l जब सैनिक धूप में दृढ़ पंक्तियों में खड़े हुए थे, एक गार्ड बेहोश होने लगा l उल्लेखनीय रूप से, उसने अपना सख्त नियंत्रण बनाए रखा और बस आगे की ओर गिरा, लेकिन उसका शरीर एक तख्ते की तरह सीधा रह गया जब उसने अपना चेहरा रेतीले बजरी में रहने दिया l वह वहीँ लेटा रहा—किसी तरह अभी भी सावधान मुद्रा में l
इस गार्ड को इस तरह का आत्म-नियंत्रण सीखने में, बेहोश होने पर भी अपने शरीर को अपनी जगह पर रखने के लिए वर्षों के अभ्यास और अनुशासन की ज़रूरत पड़ी l प्रेरित पौलुस ने इस तरह के प्रशिक्षण का वर्णन किया है : “मैं अपनी देह को मारता कूटता और वश में रखता हूँ”(1 कुरिन्थियों 9:27) l पौलुस ने माना कि “हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है”(पद.25) l
जबकि परमेश्वर का अनुग्रह (हमारे प्रयास नहीं) हमारे सभी कार्यों को सहायता करता है, हमारा आध्यात्मिक जीवन कठोर अनुशासन का हकदार है l जैसे ही परमेश्वर हमारे मन, हृदय और शरीर को अनुशासित करने में हमारी मदद करता है, हम आजमाइशों या दिशा भ्रमित होने के बीच भी अपना ध्यान उस पर केन्द्रित रखना सीखते हैं l
गैरजिम्मेदार और लापरवाह
लिंडिसफर्ने, जिसे होली आइलैंड के नाम से भी जाना जाता है, इंग्लैंड में एक ज्वारीय द्वीप है जो एक सकरी सड़क द्वारा मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है। दिन में दो बार, पक्की सड़क को ढक लेता है। संकेत चिन्ह आगंतुकों को हाई टाइड के दौरान (वह समय जब समुद्र अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच जाता है) पार करने के खतरों के प्रति सचेत करते हैं। फिर भी, पर्यटक नियमित रूप से चेतावनियों को नज़रअंदाज़ करते हैं और अक्सर फिर उन्हें मजबूरन अपनी डूबी हुई कारों के ऊपर बैठना पड़ता हैं या ऊंची सुरक्षा झोपड़ियों की ओर तैरना पड़ता हैं जहां उन्हें बचाया जा सके। ज्वार पूर्वानुमानित है, उगते सूरज की तरह निश्चित है। और चेतावनियाँ हर जगह हैं; आप संभवतः उन्हें मिस नहीं कर सकते। फिर भी, जैसा कि एक लेखक ने वर्णन किया है, लिंडिसफर्ने "वह स्थान है जहाँ गैरजिम्मेदार (ढीठ) लोग ज्वार को पार करने की कोशिश करते हैं।"
नीतिवचन हमें बताता है कि " ढीठ और लापरवाह" होना मूर्खता है (14:16 )। एक लापरवाह व्यक्ति ज्ञान या बुद्धिमान सलाह के प्रति बहुत कम सम्मान रखता है और दूसरों के प्रति ध्यानपूर्ण या मेहनती देखभाल नहीं करता है (पद 7-8)। हालाँकि, बुद्धि हमें सुनने और विचार करने में धीमा बनाती है ताकि हम उतावले होकर भावनाओं या आधे-अधूरे विचारों में न बह जाएँ (पद 6)। बुद्धि हमें अच्छे प्रश्न पूछना और हमारे कार्यों के प्रभाव पर विचार करना सिखाती है। जबकि ढीठ या लापरवाह लोग रिश्तों या परिणामों - या अक्सर सच्चाई - के बारे में बहुत कम परवाह करते हुए आगे बढ़ते हैं - "चतुर [मनुष्य] समझ बूझकर चलता है" (पद 15)।
हालाँकि हमें कभी-कभी निर्णायक या तेज़ी से कार्य करने की आवश्यकता होती है, पर हम लापरवाही का विरोध कर सकते हैं। जैसे-जैसे हम परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त करते हैं और उसका अभ्यास करते हैं, वह हमें आवश्यकता पड़ने पर मार्गदर्शन देगा। ।
अंगीकार/स्वीकारोक्ति की सफाई
जब लोग मर रहे होते हैं तो एक आदमीं को काम पर रखते हैं, जो उसे उनके अंतिम संस्कार में आने और उन रहस्यों को उजागर करने के लिए भुगतान करते हैं जो उन्होंने जीवित रहते हुए कभी साझा नहीं किये थे l उस आदमी ने प्रशंसा/गुणानुवाद में बाधा डाली है l जब स्तब्ध अधिकारियों ने आपत्ति जतानी शुरू की तो वह उनको बैठने के लिए कहा l वह एक बार यह समझाने के लिए खड़ा हुआ था कि कैसे ताबूत में मौजूद व्यक्ति ने लाटरी(lotto) जीत लिया था, लेकिन कभी किसी को कुछ नहीं बताया और दशकों तक एक सफल व्यवसायी होने का दिखावा किया l कई बार किराए पर लाये गए व्यक्ति ने एक विधवा पत्नी के प्रति बेवफाई स्वीकार कि है l कोई यह सवाल कर सकता है कि क्या ये कार्य शोषणकारी थे या अच्छे विश्वास/भरोसे में किय गए थे, लेकिन जो स्पष्ट है वह लोगों की पिछले पापों से मुक्ति पाने कि भूख थी l
किसी और से हमारे बारे में स्वीकार करवाना (खासकर हमारे मरने के बाद) रहस्यों से निपटने का एक निरर्थक और जोखिम भरा तरिका है l हालाँकि, ये कहानियाँ एक गहरी सच्चाई को उजागर करती हैं : हमें स्वीकार करने की, खुद को बोझ से मुक्त करने की जरुरत है l स्वीकारोक्ति हमें उन चीजों से शुद्ध करती है जिन्हें हमने छुपाया है और पनपने दिया है l याकूब कहता है, “तुम आपस में एक दूसरे के सामने अपने-अपने पापों को मान लो और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करो, जिस से चंगे हो जाओ” ( 5:16) l स्वीकारोक्ति हमें उन बोझों से मुक्त करती है जो हमें बांधते हैं, हमें ईश्वर के साथ संवाद करने के लिए मुक्त करते हैं—उनके और हमारे विश्वास समुदाय के लिए खुले दिल से प्रार्थना करना l स्वीकारोक्ति उपचार का कार्य करती है l
याकूब हमें एक खुला जीवन जीने के लिए आमंत्रित करता है, ईश्वर और अपने निकटम लोगों के सामने उन पीड़ाओं और असफलताओं को स्वीकार करना जिन्हें हम दफनाने के लिए प्रलोभित होते हैं l हमें ऐसे बोझ अकेले नहीं उठाना है l स्वीकारोक्ति हमारे लिए एक उपहार है l परमेश्वर इसका उपयोग हमारे हृदय को शुद्ध करने और हमें स्वतंत्र करने के लिए करता है l
आनन्द करने का समय
वर्जीनिया में हमारे भूतपूर्व चर्च ने रिवन्ना नदी में बपतिस्मा आयोजित किया था, जहां अक्सर धूप गर्म होती है, लेकिन पानी ठंडा होता है। हमारी रविवार की आराधना सभा के बाद हम सब अपनी अपनी कारों में बैठते और काफिला बनाकर शहर के एक पार्क में जाते थे, जहां पडौसी फ्रिसबीस (एक हल्की प्लास्टिक डिस्क , जिसे मनोरंजन या प्रतियोगिता के लिए घुमाकर फेंका जाता है) खेलते थे और बच्चे खेल के मैदान मे अपना मनोरंजन करते थे। यह देखने वाला दृश्य होता था। हम धीरे धीरे चलकर नदी के किनारे जाते थे। फिर मैं ठंडे पानी में खडा होता और पवि़त्रशास्त्र को पढ़ता और बपतिस्मा लेने वालों को परमेश्वर के इस वास्तविक प्रेम की अभिव्यक्ति में डुबो देताथा। जब वे पूरे भीगे हुये पानी से बाहर आते और नदी के किनारे से चढकर बाहर निकलते तो तालियों से उनका स्वागत किया जाता था। परिवार और दोस्त नये बपतिस्मा लिये लोगों को गले लगाते और सब भीग जाते थे। हमारे पास केक, पेय और स्नैक्स थे। देखने वाले पड़ोसियों को हमेशा समझ नहीं आता था कि क्या हो रहा है, लेकिन उन्हें पता था कि यह एक उत्सव है।
लूका 15 में, यीशु की उड़ाऊ पुत्र की कहानी (पद . 11-32) से पता चलता है कि जब भी कोई परमेश्वर के पास घर लौटता है तो यह उत्सव का कारण होता है। जब भी कोई परमेश्वर के निमंत्रण के लिए हाँ कहता है, तो यह आनन्द करने का समय है। जब वह बेटा जिसने अपने पिता को छोड़ दिया था, वापस लौटा, तो पिता ने तुरंत उसे एक ख़ूबसूरत वस्त्र, एक चमकदार अंगूठी और नए जूते देने पर जोर दिया। “ पला हुआ बछड़ा लाकर मारो ताकि हम खांए और आनन्द मनायें।,” (पद 23)। एक विशाल, उत्साहपूर्ण पार्टी जिसमें कोई भी शामिल हो, "जश्न मनाने" का एक उपयुक्त तरीका था (व.24)।
स्वतंत्रता का परमेश्वर
राष्ट्रपति अब्राहन लिंकन ने गुलामी में रखे गए लोगों को ढाई वर्ष पहले मुक्त कराया था और विपक्ष ने आत्मसमर्पण कर दिया था, फिर भी टेक्सास राज्य ने अभी भी गुलाम लोगों की स्वतंत्रता को स्वीकार नहीं किया था l हालाँकि, 19 जून, 1865 को, गार्डन ग्रेज़र नामक सेना के एक सेनापति ने टेक्सास के एक शहर में प्रवेश किया और मांग की कि सभी गुलाम व्यक्तियों को रिहा कर दिया जाए l उस आश्चर्य और ख़ुशी की कल्पना कीजिए जब बेड़ियाँ टूट गयीं और बंधन में पड़े लोगों ने आजादी की घोषणा सुनी l
परमेश्वर उत्पीड़ितों को देखता है, और अंततः वह अन्याय के बोझ तले दबे लोगों के लिए आज़ादी की घोषणा करेगा l यह अब भी उतना ही सच है जितना मूसा के दिनों में सच था l परमेश्वर ने एक जलती हुयी झाड़ी से उसे एक जरुरी सन्देश के साथ दर्शन दिए : “मैंने अपने प्रजा के लोग जो मिस्र में हैं, उनके दुःख को निश्चय देखा है” (निर्गमन 3:7) l उसने न केवल इस्राएल के विरुद्ध मिस्र की क्रूरता देखी—बल्कि उसने इसके बारे में कुछ करने की योजना भी बनायी l परमेश्वर ने घोषणा की, “अब मैं उतर आया हूँ कि उन्हें . . . एक अच्छे और बड़े देश में . . . पहुंचाऊं” (पद.8) l उसका मकसद इस्राएल को आजादी की घोषणा करने का था, और मूसा उसका मुखपत्र/प्रवक्ता होगा l “मैं तुझे फिरौन के पास भेजता हूँ कि तू मेरी इस्राएली प्रजा को मिस्र से निकाल ले आए” (पद.10) l
हालाँकि परमेश्वर का समय उतनी जल्दी नहीं आएगा जितनी हम आशा करते हैं, एक दिन वह हमें सभी बन्धनों और अन्याय से मुक्त करेगा l वह उन सभी को आशा और मुक्ति देता है जो उत्पीड़ित हैं l
खिलते रेगिस्तान
एक सदी पहले इथियोपिया के लगभग 40 प्रतिशत हिस्से में हरे-भरे जंगल थे, लेकिन आज यह लगभग 4 प्रतिशत रह गया है। फसलों के लिए रकबा साफ़ रहते हुए पेड़ों की रक्षा करने में विफल होने से पारिस्थितिक संकट पैदा हो गया। हरे रंग के शेष छोटे-छोटे हिस्सों का अधिकांश हिस्सा चर्चों द्वारा संरक्षित है। सदियों से, स्थानीय इथियोपियाई रूढ़िवादी तेवाहिडो चर्चों ने बंजर जंगल के बीच में इन मरूद्यानों का पोषण किया है। यदि आप इसकी हवाई छविये देखें, तो आपको भूरे रेत से घिरे हरे-भरे द्वीप दिखाई देंगे। चर्च के अगुवे इस बात पर जोर देते हैं कि पेड़ों की देखभाल करना परमेश्वर की रचना के प्रबंधक के रूप में उनकी आज्ञाकारिता का हिस्सा है।
भविष्यवक्ता यशायाह ने इस्राएल को लिखा, जो एक मरू भूमि में रहते थे जहां नंगे रेगिस्तान और क्रूर सूखे का खतरा था। और यशायाह ने भविष्य की परमेश्वर की योजना का वर्णन किया, जहां “जंगल और सूखी भूमि आनन्दित होगी; जंगल आनन्दित और फूलेगा”(यशायाह 35:1)। परमेश्वर की यह मंशा है कि वह अपने लोगों को चंगा करे, लेकिन वह पृथ्वी को भी चंगा करना चाहता है। वह "नए आकाश और नई पृथ्वी का सृजन करेगा" (65:17)। परमेश्वर की नवीकृत दुनिया में, "रेगिस्तान फूलों से खिल उठेगा" (35:2 NIRV)।
सृष्टि के प्रति ईश्वर की देखभाल - जिसमें लोग भी शामिल हैं - हमें भी इसकी देखभाल करने के लिए प्रेरित करती है। हम उसकी परम योजना के साथ तालमेल बिठाकर जी सकते हैं जो की एक चंगा और निरोग संसार है - उसकी सृष्टि के रखवाले बनकर। हम सभी प्रकार के रेगिस्तानों को जीवन और सुंदरता से भरपूर बनाने में परमेश्वर के साथ शामिल हो सकते हैं।
यीशु — सच्चा शांतिदूत
30 दिसंबर, 1862 को अमेरिकी गृह युद्ध छिड़ गया। विरोधी सैनिकों ने एक नदी के विपरीत किनारों पर सात सौ गज की दूरी पर डेरा डाला। जैसे ही उन्होंने कैम्प फायर के आसपास खुद को गर्म किया, एक तरफ के सैनिकों ने अपने वायलिन और हारमोनिका उठाए और "यांकी डूडल" नामक धुन बजाना शुरू कर दिया। जवाब में, दूसरी तरफ के सैनिकों ने "डिक्सी" नामक धुन पेश की। उल्लेखनीय रूप से, दोनों पक्ष एक साथ मिलकर "होम, स्वीट होम" बजाते हुए समापन समारोह में शामिल हुए। अंधेरी रात में शत्रुओं ने संगीत साझा किया, एक अकल्पित शांति की झलक। हालाँकि, मधुर संघर्ष विराम अल्पकालिक था। अगली सुबह, उन्होंने अपने संगीत वाद्ययंत्र बंद कर दिए और अपनी राइफलें उठा लीं और 24,645 सैनिक मारे गए।
शांति स्थापित करने के हमारे मानवीय प्रयास अनिवार्य रूप से कमजोर पड़ रहे हैं। शत्रुताएँ एक स्थान पर समाप्त हो जाती हैं, और कहीं ओर भड़क उठती हैं। एक संबंधपरक विवाद में सामंजस्य स्थापित हो जाता है, लेकिन महीनों बाद फिर से संकट में फंस जाता है। शास्त्र हमें बताते हैं कि परमेश्वर ही हमारा एकमात्र भरोसेमंद शांति निर्माता है। यीशु ने स्पष्ट रूप से कहा, “तुम्हें मुझ में… शान्ति मिले” (16:33)। हमें यीशु में शांति है। जबकि हम उनके शांति निर्माण मिशन में भाग लेते हैं, यह परमेश्वर का मेल-मिलाप और नवीनीकरण है जो वास्तविक शांति को संभव बनाता है।
मसीह हमें बताते हैं कि हम संघर्ष से बच नहीं सकते। यीशु कहते हैं, “इस संसार में [हमें] क्लेश होंगे।” कलह बहुत है, "परन्तु ढाढ़स बाँधो!" वह आगे कहते हैं, "मैं ने संसार को जीत लिया है" (पद 33)। जबकि हमारे प्रयास अक्सर निरर्थक साबित होते हैं, हमारा प्यारा परमेश्वर (पद 27) इस अस्थिर दुनिया में शांति बनाता है।