हमें जिस बुद्धि की आवश्यकता है
अपनी याद रहने वाली (अति महान) पुस्तक द ग्रेट इन्फ्लुएंजा (The Great Influenza) में, जॉन एम. बैरी ने 1918 फ्लू महामारी की कहानी का वर्णन किया है। बैरी बताते हैं कि कैसे स्वास्थ्य अधिकारियों ने बिना किसी तैयारी के इस महामारी का पूर्वानुमान लगाया। उन्हें डर था कि प्रथम विश्व युद्ध में सैकड़ों हज़ारों सैनिकों को खाइयों में ठूंस दिया जाएगा और सीमा पार भेजा जाएगा, जिससे नए वायरस फैलेंगे। लेकिन तबाही रोकने के लिए ये ज्ञान बेकार था. शक्तिशाली नेता युद्ध पर ज़ोर देते हुये बिना सोचे समझे हिंसा की ओर अग्रसर हो गये। और महामारी विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि महामारी में पांच करोड़ लोग मारे गए थे, जो युद्ध के नरसंहार में मारे गए लगभग दो करोड़ लोगों को और जोड़ते हैं।
हमने बार-बार साबित किया है कि हमारा मानवीय ज्ञान हमें बुराई से बचाने के लिए कभी भी पर्याप्त नहीं होगा (नीतिवचन 4:14-16)। हालाँकि हमने अपार ज्ञान अर्जित किया है और उल्लेखनीय अंतर्दृष्टियाँ (insights) प्रस्तुत की हैं, फिर भी हम एक-दूसरे को पहुँचाने वाली पीढ़ा को रोक नहीं सकते हैं। हम "दुष्टों के मार्ग" को नहीं रोक सकते, यह मूर्खतापूर्ण, दोहराने वाला मार्ग जो "गहन अंधकार" की ओर ले जाता है। हमारे सर्वोत्तम ज्ञान के बावजूद, हमें वास्तव में यह पता नहीं है कि "हम किस से ठोकर खाते है” (पद-19)।
इसलिए हमें "बुद्धि प्राप्त करनी चाहिए, समझ प्राप्त करनी चाहिए" (पद-5)। बुद्धि हमें सिखाती है कि ज्ञान के साथ क्या करना है। और सच्ची बुद्धि, यह बुद्धि जिसकी हमें अत्यंत आवश्यकता है, परमेश्वर से आती है। हमारा ज्ञान हमेशा कम पड़ता है, लेकिन उसकी बुद्धि वह प्रदान करती है जिसकी हमें आवश्यकता है।
-विन्न कोल्लियर
सुंदर बहाली (पुनरुद्धार)
अपनी अद्भुत पुस्तक आर्ट + फेथ: ए थियोलॉजी ऑफ़ मेकिंग में, प्रसिद्ध कलाकार मकोतो फुजीमुरा ने किंत्सुगी के प्राचीन जापानी कला रूप का वर्णन किया है। इसमें, कलाकार टूटे हुए मिट्टी के बर्तन (मूल रूप से चाय के बर्तन) लेता है और उनके टुकड़ों को लाख की मदद से वापस जोड़ता है, दरारों में सोना पिरोता है। फुजीमुरा बताते हैं, "किंत्सुगी," "केवल टूटे हुए बर्तन को 'ठीक' या मरम्मत नहीं करता है; बल्कि, यह तकनीक टूटे हुए बर्तन को मूल से भी अधिक सुंदर बनाती है।" किंत्सुगी, पहली बार सदियों पहले लागू की गई थी जब एक सेनापति का पसंदीदा कप टूट गया था और फिर जिसे खूबसूरती से बहाल किया गया था, और तब से यह एक कला बन गई जो अत्यधिक बेशकीमती और चाहने योग्य है।
यशायाह ने परमेश्वर द्वारा संसार के साथ इस प्रकार की बहाली को कुशलतापूर्वक क्रियान्वित करने का वर्णन किया है। यद्यपि हम अपने विद्रोह के कारण बरबाद हो गए हैं और अपने स्वार्थ के कारण टूट गए हैं, परमेश्वर “नया आकाश और नई पृथ्वी” बनाने का वादा करता है (65:17)। वह न केवल पुरानी दुनिया की मरम्मत करने की योजना बना रहा है बल्कि इसे पूरी तरह से नया बनाने के लिए हमारी बर्बादी (खंडहरों) को हटाकर एक ताज़ी सुंदरता से झिलमिलाती दुनिया को बनाने की योजना बना रहा है। यह नई रचना इतनी आश्चर्यजनक और शोभायमान होगी कि “पिछला कष्ट दूर हो जायेगा और पिछली बातें याद नहीं रहेंगी” (पद 16–17)। इस नई रचना के साथ, परमेश्वर हमारी गलतियों को छिपाने के लिए संघर्ष नहीं करेंगे, बल्कि अपनी रचनात्मक शक्ति को प्रकट करेंगे – शक्ति जिससे बदसूरत चीजें सुंदर बन जाती हैं और मृत चीजें नए सिरे से सांस लेती हैं।
जब हम अपने टूटे हुए जीवन का निरीक्षण करते हैं, तो निराशा की कोई आवश्यकता नहीं है। परमेश्वर अपनी सुंदर बहाली का कार्य कर रहा है।
विन्न कोल्लियर
परमेश्वर की महान कथा
लाइफ मैगज़ीन के 12 जुलाई, 1968 के मुखपृष्ठ पर बियाफ्रा (नाइजीरिया में गृहयुद्ध के दौरान) के भूख से मर रहे बच्चों की भयानक तस्वीर प्रकाशित की गई थी। एक जवान लड़के ने परेशान होकर उस मैगज़ीन की एक प्रतिलिपि (कॉपी) पास्टर के पास ले जाकर पूछा, “क्या परमेश्वर को इस बारे में मालूम है?” उस पास्टर ने उत्तर दिया, “मैं जानता हूँ कि तुम इस बात को नहीं समझ सकते, परन्तु, हाँ, परमेश्वर को इस बारे में मालूम है।” इस पर वह लड़का यह कहते हुए बाहर चला गया कि उसे ऐसे परमेश्वर में कोई दिलचस्पी नहीं है। ऐसे प्रश्न केवल बच्चों को ही नहीं बल्कि हम सभी को परेशान करते हैं। परमेश्वर के रहस्यमयी ज्ञान की पुष्टि के साथ-साथ, मैं इस बात की आशा करता हूँ कि काश उस लड़के ने उस महान गाथा के बारे में सुना होता जिसे परमेश्वर ने लिखना जारी रखा है यहाँ तक कि बियाफ्रा जैसे स्थानों में भी।
यीशु ने अपने उन अनुयायियों के लिए इस कहानी को प्रकट किया, जिन्होंने यह मान लिया था कि कठिनाई से वह उनकी रक्षा करेगा। इसके बजाय मसीह ने उनसे कहा कि “इस संसार में तुम्हें क्लेश होता है।” हालाँकि, यीशु ने जिस बात की पेशकश की, वह उसकी यह प्रतिज्ञा थी कि ये बुराइयाँ अंत नहीं हैं। वास्तव में, उसने पहले से ही “संसार को जीत लिया है” (यूहन्ना 16:33)। और परमेश्वर के अंतिम अध्याय में, हर एक अन्याय को मिटा दिया जाएगा, हर एक दुःख ठीक हो जाएगा।
उत्पत्ति से लेकर प्रकाशितवाक्य तक की पुस्तकें हर अकल्पनीय बुराई को नष्ट करने, हर गलत बात को सही करने की परमेश्वर की कहानी को याद दिलाती हैं। यह कहानी उस प्रेम करने वाले व्यक्ति को प्रस्तुत करती है जिसकी हममें अविवादित रुचि है। यीशु ने अपने चेलों से कहा कि “मैंने ये बातें तुम से इसलिए कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शांति मिले” (पद 33)। आज हम उसकी शांति और उपस्थिति में विश्राम करें।
—विन्न कोल्लियर
यीशु हमारा भाई
ब्रिजर वॉकर सिर्फ़ छह साल का था जब एक ख़तरनाक कुत्ते ने उसकी छोटी बहन पर हमला किया। सहज रूप से, कुत्ते के क्रूर हमले से उसे बचाते हुए ब्रिजर उसके सामने कूद गया, कुत्ते के क्रूर हमले से उसे बचाते हुए। आपातकालीन देखभाल और चेहरे पर नब्बे टांके लगने के बाद, ब्रिजर ने अपनी हरकतों के बारे में बताया। "अगर किसी को मरना ही था, तो मुझे लगा कि वह मैं ही हूँ।" शुक्र है कि प्लास्टिक सर्जनों ने ब्रिजर के चेहरे को ठीक करने में मदद की है। लेकिन हाल ही में आई तस्वीरों में जहाँ वह अपनी बहन को गले लगाते हुए दिखाई दे रहा है, उसका भाईचारा प्यार हमेशा की तरह मज़बूत बना हुआ है।
आदर्श रूप से, परिवार के सदस्य हमारी देखभाल करते हैं । सच्चे भाई तब आगे आते हैं जब हम मुसीबत में होते हैं और जब हम डरे हुए या अकेले होते हैं तो हमारे साथ खड़े होते हैं। वास्तव में, हमारे सबसे अच्छे भाई भी अपूर्ण हैं; कुछ तो हमें चोट भी पहुँचाते हैं। हालाँकि, हमारा एक भाई है, जो हमेशा हमारे साथ रहता है, यीशु। इब्रानियों हमें बताता है कि मसीह, विनम्र प्रेम के एक कार्य के रूप में, मानव परिवार में शामिल हो गया, हमारे “मांस और लहू” को साझा किया और, “सब बातों में अपने भाइयों के समान [बना]” (2:14,17) l परिणामस्वरूप, यीशु हमारा सबसे सच्चा भाई है, और वह हमें अपना “भाई [और बहन]” कहकर प्रसन्न होता है (पद.11) l
हम यीशु को अपने उद्धारकर्ता, मित्र और राजा के रूप में संदर्भित करते हैं—और इनमें से हर एक सत्य है l हालाँकि, यीशु हमारा भाई भी है जिसने हर मानवीय भय और प्रलोभन, हर निराशा या उदासी का अनुभव किया है l हमारा भाई हमेशा हमारे साथ खड़ा है l
—विन कोलियर
सबल और निर्बल
कॉलेज फ़ुटबॉल में शायद सबसे ज़्यादा दिल को छू लेने वाली परंपरा आयोवा विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका में में होती है। स्टीड फ़ैमिली चिल्ड्रन अस्पताल आयोवा के किनिक स्टेडियम के बगल में है, और अस्पताल की सबसे ऊपरी मंज़िल में फर्श से लेकर छत तक की खिड़कियाँ हैं, जहाँ से मैदान का शानदार नज़ारा दिखाई देता है। खेल के दिनों में, बीमार बच्चे और उनके परिवार नीचे की कार्रवाई देखने के लिए फर्श पर इकठ्ठा होते हैं, और पहले क्वार्टर के अंत में, कोच, एथलीट और हज़ारों प्रशंसक अस्पताल की ओर मुड़ते हैं और हाथ हिलाते हैं। उन कुछ पलों के लिए, बच्चों की आँखें चमक उठती हैं। एथलीटों को, खचाखच भरे स्टेडियम और हज़ारों की संख्या में टीवी दर्शकों के सामने, एथलीटों को रुकते हुए और यह दिखाते हुए देखना प्रभावशाली है कि वे परवाह करते हैं।
शास्त्र शक्तिशाली लोगों को (और हम सभी के पास किसी न किसी प्रकार की शक्ति है) निर्देशित करते हैं कि जो कमज़ोर हैं उनकी देखभाल करें, उन पर ध्यान दें जो संघर्ष कर रहे हैं, और उनकी देखभाल करें जो शारीरिक रूप से कमज़ोर हैं l हालाँकि, बहुत बार, हम उन लोगों की उपेक्षा करते हैं जिनपर ध्यान देने की ज़रूरत है (यहेजकेल 34:6) l भविष्यवक्ता यहेजकेल ने इस्राएल के अगुओं को उनके स्वार्थी स्वभाव के लिए डांटा, उन लोगों की उपेक्षा करने के लिए जिन्हें सहायता की अति आवश्यकता थी l “हाय,” परमेश्वर ने यहेजकेल द्वारा कहा l “तुम ने बीमारों को बलवान न किया, न रोगियों को चंगा किया, न घायलों के घावों को बाँधा” (पद.2, 4) l
कितनी बार हमारी व्यक्तिगत प्राथमिकताएँ, नेतृत्व सिद्धांत, या आर्थिक नीतियाँ संकट में पड़े लोगों के प्रति कम सम्मान प्रदर्शित करती हैं? परमेश्वर हमें एक अलग मार्ग दिखाता है, जहाँ शक्तिशाली लोग निर्बलों की परवाह करते हैं (पद.11-12) l
—विन कोलियर
प्रार्थना और परिवर्तन
1982 में, पादरी क्रिश्चियन फ्यूहरर ने जर्मनी में लीपज़िग के सेंट निकोलस चर्च में सोमवार की प्रार्थना सभा शुरू की। वर्षों तक, मुट्ठी भर लोग वैश्विक हिंसा और दमनकारी पूर्वी जर्मन शासन के बीच परमेश्वर से शांति की प्रार्थना करने के लिए एकत्र होते। हालाँकि कम्युनिस्ट अधिकारी चर्चों पर करीब से नज़र रखते थे, लेकिन उन्हें तब तक कोई चिंता नहीं थी जब तक कि संख्या बढ़ नहीं गई इतनी की चर्च के गेट के बाहर तक सामूहिक बैठकें पहुँच गई। 9 अक्टूबर 1989 को सत्तर हजार प्रदर्शनकारी मिले और शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया। छह हजार पूर्वी जर्मन पुलिस किसी भी उकसावे का जवाब देने के लिए तैयार थी। हालाँकि, भीड़ शांतिपूर्ण रही और इतिहासकार इस दिन को एक ऐतिहासिक क्षण मानते हैं। एक महीने बाद, बर्लिन की दीवार गिर गई। इस व्यापक परिवर्तन की शुरुआत एक प्रार्थना सभा से हुई।
जैसे ही हम परमेश्वर की ओर मुड़ते हैं और उनकी बुद्धि और शक्ति पर भरोसा करना शुरू करते हैं, चीजें अक्सर बदलने और नया आकार लेने लगती हैं। इस्राएलियों की तरह जब हम “संकट में यहोवा की दोहाई देते हैं,” तो हम उस एकमात्र परमेश्वर को पाते हैं जो हमारी सबसे गंभीर कठिनाइयों को भी गहराई से बदलने और हमारे सबसे कठिन सवालों का जवाब देने में सक्षम है (भजन 107:28)। “परमेश्वर आँधी को थाम देता है और तरंगें बैठ जाती हैं।” और "निर्जल देश को जल के सोते कर देता है"(पद 29, 35)। जिससे हम प्रार्थना करते हैं वह निराशा से आशा और विनाश से सुंदरता लाता है।
लेकिन यह परमेश्वर है जो (अपने समय में - हमारे समय में नहीं) परिवर्तन का कार्य करता है। प्रार्थना यह है कि हम उसके द्वारा किए जा रहे परिवर्तनकारी कार्य में कैसे भाग लेते हैं।
ईश्वर की अचूक यादाश्त
एक व्यक्ति के पास बिटकॉइन में $400 मिलियन से अधिक मुद्रा थी। लेकिन वह इसके एक पैसा भी नहीं पा सका। अपने धन को जमा करने वाले उपकरण का पासवर्ड उससे खो गया था। और आपदा घटी — दस पासवर्ड से कोशिश करने के बाद, उपकरण अपने आप ही नष्ट हो गया। उसकी सम्पति (तकदीर) हमेशा के लिए खो गई। एक दशक तक, वह व्यक्ति बैचेन था, वह अपने जीवन को बदलने वाले निवेश पूँजी के पासवर्ड को याद करने की सख्त कोशिश कर रहा था। उसने आठ पासवर्ड आज़माए और आठ बार विफल रहा। 2021 में, वह बहुत दुखी हुआ कि उसके पास सिर्फ दो और मौके थे इससे पहिले कि सब कुछ धुएं में उड़ जाए।
हम भूलने वाले (भुलक्कड़) लोग हैं। कभी–कभी हम छोटी चीजें भूल जाते हैं – हमने अपनी चाबियां कहां रखी हैं; और कभी–कभी हम बड़ी चीजें भूल जाते हैं (एक पासवर्ड जो लाखों की मुद्रा को अनलॉक करता है)। शुक्र है परमेश्वर हमारे जैसा नहीं है। वह उन चीजों या लोगों को कभी नहीं भूलता जो उसे प्रिय हैं। संकट के समय में इस्राएल को डर था कि परमेश्वर उन्हें भूल गया है। “यहोवा ने मुझे त्याग दिया है, मेरा प्रभु मुझे भूल गया है।" (यशायाह 49:14)। हालाँकि, यशायाह ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनका परमेश्वर हमेशा याद रखता है। “क्या कोई माँ अपने दूध पीते बच्चे को भूल सकती है?” वह पूछता है। बेशक, एक माँ अपने दूध पीते बच्चे को नहीं भूलेगी। फिर भी, भले ही एक माँ ऐसी मूर्खता करे, पर हम जानते हैं कि परमेश्वर हमें कभी नहीं भूलेगा (पद 15)।
परमेश्वर कहते हैं, “देख, मैंने तेरा चित्र अपनी हथेलियों पर खोद कर बनाया है।” (पद 16)। परमेश्वर ने हमारे नामों को अपने अस्तित्व में खोदा है। आइए हम याद रखें कि वह हमें भूल नहीं सकता है – जिनसे वह प्यार करता है।
जो केवल आत्मा ही कर सकती है
जुरगेन मोल्टमैन नाम के एक चौरानवे वर्षीय जर्मन धर्मशास्त्री द्वारा लिखित पवित्र आत्मा पर एक पुस्तक की चर्चा के दौरान, एक इन्टरव्यू लेने वाले ने उनसे पूछा: "आप पवित्र आत्मा को कैसे सक्रिय करते हैं? क्या हम एक गोली ले सकते हैं? क्या दवा कंपनियाँ आत्मा प्रदान करती हैं?" मोल्टमैन की घनी भौहें तन गईं। अपना सिर हिलाते हुए, वह ज़ोर से अंग्रेजी में जवाब देते हुए मुस्कुराया। "मैं क्या कर सकता हुँ? कुछ मत करो आत्मा की बाट जोहो, और आत्मा आ जाएगी।”
मोल्टमैन ने हमारी गलत धारणा पर प्रकाश डाला कि हमारी ऊर्जा और विशेषज्ञता चीज़ों को करती है। प्रेरितों के काम से पता चलता है कि परमेश्वर चीज़ों को करता है। चर्च की शुरुआत में, इसका मानवीय रणनीति या प्रभावशाली नेतृत्व से कोई लेना-देना नहीं था। बल्कि, आत्मा एकाएक आकाश से बड़ी आंधी की सी सनसनाहट का शब्द तरह भयभीत, असहाय और भ्रमित शिष्यों के कमरे में आई (2:2)। इसके बाद, आत्मा ने सभी जातीय श्रेष्ठताओं को तोड़ दिया, उन लोगों को एक नए समुदाय में इकट्ठा करके जो आपस में असहमत थे; शिष्यों को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि परमेश्वर उनके भीतर क्या कर रहा था। उन्होंने कुछ भी नहीं किया ; "आत्मा ने उन्हें समर्थ दिया" (पद. 4)।
कलीसिया—और संसार में हमारा साझा कार्य—इससे परिभाषित नहीं होता कि हम क्या कर सकते हैं। हम पूरी तरह से उस पर निर्भर हैं जो केवल आत्मा कर सकता है । यह हमें निडर और शांत दोनों होने की अनुमति देता है। इस दिन, जिस दिन हम पिन्तेकुस्त मनाते हैं, हम आत्मा की प्रतीक्षा करें और प्रत्युत्तर दें।
मैं कौन हूँ?
1859 में, जोशुआ अब्राहम नॉर्टन ने खुद को अमेरिका का सम्राट घोषित किया। नॉर्टन ने सैन फ्रांसिस्को शिपिंग में बहुत सारा पैसा कमाया और खो दिया था, लेकिन वह एक नई पहचान चाहते थे: अमेरिका का पहला सम्राट। जब सैन फ्रांसिस्को इवनिंग बुलेटिन (पत्रिका) ने "सम्राट" नॉर्टन की घोषणा को छापा, तो अधिकांश पाठक हंस पड़े। नॉर्टन ने समाज की बुराइयों को सुधारने के उद्देश्य से घोषणाएँ कीं, अपनी मुद्रा छापी और यहाँ तक कि रानी विक्टोरिया को पत्र लिखकर उनसे विवाह करने और उनके राज्यों को एकजुट करने के लिए कहा। उन्होंने स्थानीय दर्जियों द्वारा डिजाइन की गई शाही सैन्य वर्दी पहनी थी। एक पर्यवेक्षक ने कहा कि नॉर्टन " पूरी तरह से एक राजा" दिखते थे। लेकिन जाहिर है, वह नहीं था। हम जो हैं उसे हम नहीं बना सकते हैं।
हममें से बहुत से लोग यह जानने में वर्षों व्यतीत करते हैं कि हम कौन हैं और आश्चर्य करते हैं कि हमारा मूल्य क्या है। हम अपने आप को नाम देने या परिभाषित करने की कोशिश करते हैं, जब केवल परमेश्वर ही हमें सच में बता सकते हैं कि हम कौन हैं। और, शुक्र है, जब हम उसके पुत्र, यीशु में उद्धार प्राप्त करते हैं, तो वह हमें अपने पुत्र और पुत्रियाँ कहता है। "परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया," यूहन्ना लिखता है, "उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया" (यूहन्ना 1:12)। और यह पहचान पूर्ण रूप से एक उपहार है। हम उनके प्रिय “ जो न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं।" (पद. 13).
परमेश्वर हमें मसीह में हमारा नाम और हमारी पहचान देता है। हम प्रयास करना और दूसरों से अपनी तुलना करना बंद कर सकते हैं, क्योंकि वह हमें बताता है कि हम कौन हैं।