जो केवल आत्मा ही कर सकती है
जुरगेन मोल्टमैन नाम के एक चौरानवे वर्षीय जर्मन धर्मशास्त्री द्वारा लिखित पवित्र आत्मा पर एक पुस्तक की चर्चा के दौरान, एक इन्टरव्यू लेने वाले ने उनसे पूछा: "आप पवित्र आत्मा को कैसे सक्रिय करते हैं? क्या हम एक गोली ले सकते हैं? क्या दवा कंपनियाँ आत्मा प्रदान करती हैं?" मोल्टमैन की घनी भौहें तन गईं। अपना सिर हिलाते हुए, वह ज़ोर से अंग्रेजी में जवाब देते हुए मुस्कुराया। "मैं क्या कर सकता हुँ? कुछ मत करो आत्मा की बाट जोहो, और आत्मा आ जाएगी।”
मोल्टमैन ने हमारी गलत धारणा पर प्रकाश डाला कि हमारी ऊर्जा और विशेषज्ञता चीज़ों को करती है। प्रेरितों के काम से पता चलता है कि परमेश्वर चीज़ों को करता है। चर्च की शुरुआत में, इसका मानवीय रणनीति या प्रभावशाली नेतृत्व से कोई लेना-देना नहीं था। बल्कि, आत्मा एकाएक आकाश से बड़ी आंधी की सी सनसनाहट का शब्द तरह भयभीत, असहाय और भ्रमित शिष्यों के कमरे में आई (2:2)। इसके बाद, आत्मा ने सभी जातीय श्रेष्ठताओं को तोड़ दिया, उन लोगों को एक नए समुदाय में इकट्ठा करके जो आपस में असहमत थे; शिष्यों को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि परमेश्वर उनके भीतर क्या कर रहा था। उन्होंने कुछ भी नहीं किया ; "आत्मा ने उन्हें समर्थ दिया" (पद. 4)।
कलीसिया—और संसार में हमारा साझा कार्य—इससे परिभाषित नहीं होता कि हम क्या कर सकते हैं। हम पूरी तरह से उस पर निर्भर हैं जो केवल आत्मा कर सकता है । यह हमें निडर और शांत दोनों होने की अनुमति देता है। इस दिन, जिस दिन हम पिन्तेकुस्त मनाते हैं, हम आत्मा की प्रतीक्षा करें और प्रत्युत्तर दें।
मैं कौन हूँ?
1859 में, जोशुआ अब्राहम नॉर्टन ने खुद को अमेरिका का सम्राट घोषित किया। नॉर्टन ने सैन फ्रांसिस्को शिपिंग में बहुत सारा पैसा कमाया और खो दिया था, लेकिन वह एक नई पहचान चाहते थे: अमेरिका का पहला सम्राट। जब सैन फ्रांसिस्को इवनिंग बुलेटिन (पत्रिका) ने "सम्राट" नॉर्टन की घोषणा को छापा, तो अधिकांश पाठक हंस पड़े। नॉर्टन ने समाज की बुराइयों को सुधारने के उद्देश्य से घोषणाएँ कीं, अपनी मुद्रा छापी और यहाँ तक कि रानी विक्टोरिया को पत्र लिखकर उनसे विवाह करने और उनके राज्यों को एकजुट करने के लिए कहा। उन्होंने स्थानीय दर्जियों द्वारा डिजाइन की गई शाही सैन्य वर्दी पहनी थी। एक पर्यवेक्षक ने कहा कि नॉर्टन " पूरी तरह से एक राजा" दिखते थे। लेकिन जाहिर है, वह नहीं था। हम जो हैं उसे हम नहीं बना सकते हैं।
हममें से बहुत से लोग यह जानने में वर्षों व्यतीत करते हैं कि हम कौन हैं और आश्चर्य करते हैं कि हमारा मूल्य क्या है। हम अपने आप को नाम देने या परिभाषित करने की कोशिश करते हैं, जब केवल परमेश्वर ही हमें सच में बता सकते हैं कि हम कौन हैं। और, शुक्र है, जब हम उसके पुत्र, यीशु में उद्धार प्राप्त करते हैं, तो वह हमें अपने पुत्र और पुत्रियाँ कहता है। "परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया," यूहन्ना लिखता है, "उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया" (यूहन्ना 1:12)। और यह पहचान पूर्ण रूप से एक उपहार है। हम उनके प्रिय “ जो न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं।" (पद. 13).
परमेश्वर हमें मसीह में हमारा नाम और हमारी पहचान देता है। हम प्रयास करना और दूसरों से अपनी तुलना करना बंद कर सकते हैं, क्योंकि वह हमें बताता है कि हम कौन हैं।
यीशु में बने रहना
कई साल पहले, हम स्थानीय पशु आश्रय से जूनो नाम की एक वयस्क काली बिल्ली को घर लाये थे। सच कहूँ तो, मैं केवल हमारे चूहों की आबादी को कम करने में मदद चाहता था, लेकिन परिवार के बाकी सदस्य एक पालतू जानवर चाहते थे। आश्रय ने हमें इस बारे में सख्त निर्देश दिए कि पहले सप्ताह में भोजन की दिनचर्या कैसे स्थापित की जाए ताकि जूनो को पता चले कि हमारा घर उसका घर है, वह स्थान जहाँ का वह सदस्य है और जहाँ उसे हमेशा भोजन और सुरक्षा मिलेगी। इस तरह, भले ही जूनो कहीं भी इधर-उधर घूमे, वह आख़िरकार घर आ ही जाएगा ।
यदि हम अपने सच्चे घर को नहीं जानते हैं, तो हम हमेशा भलाई, प्रेम और अर्थ की तलाश में व्यर्थ भटकने के लिए ललचाते रहेंगे। यदि हम अपने सच्चे जीवन को पाना चाहते हैं, हालाँकि, यीशु ने कहा, “तुम मुझ में बने रहो” (यूहन्ना 15:4)। बाइबिल के विद्वान फ्रेडरिक डेल ब्रूनर इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कैसे बने रहना (एक समान शब्द निवास की तरह) एक परिवार और घर की भावना पैदा करता है। इसलिए ब्रूनर ने यीशु के शब्दों का इस तरह अनुवाद किया : “मेरे साथ रहो (मुझ में बने रहो) ।“ इस विचार को हर जगह तक पहुँचाने के लिए, यीशु ने दाखलता से जुड़ी शाखाओं का उदाहरण दिया। यदि शाखाएँ जीवित रहना चाहती हैं, तो उन्हें हमेशा दाखलता से जुड़े रहना चाहिए, दृढ़ता से स्थिर रहना चाहिए जहाँ की वे हैं।
हमारी समस्याओं को ठीक करने या हमें कुछ नयी “बुद्धि” या उत्साहजनक भविष्य प्रदान करने के खोखले वादों के साथ कई आवाजें हमें बुलाती हैं। लेकिन अगर हमें सच में जीना है, तो हमें यीशु में बने रहना होगा। हमें उसके साथ रहना होगा।
परमेश्वर हमें जानता है
मैंने हाल ही में माइकलएंजेलो की मूर्तिकला “मोजेस” (Moses) की एक तस्वीर देखी, जिसमें एक नजदीकी दृश्य में “मोज़ेस” की दाहिनी भुजा पर एक छोटी उभरी हुयी मांसपेशी दिखाई दी l यह मांशपेशी प्रसारक मांशपेशी डिजिटी मिनिमी(digiti minimi) है, और संकुचन तभी प्रकट होता है जब कोई अपनी कनिष्ठ/छोटी उंगली (pinky/little finger) उठाता है l माइकलएंजेलो, जटिल विवरण के एक विशारद(master) के रूप में जाने जाते हैं, उन्होंने मानव शरीर पर बारीकी से ध्यान दिया,अन्तरंग विशेषताओं को अधिकाधिक जोड़ा,जो बाकी लोग छोड़ देतेl माइकलएंजेलो मानव शरीर को जिस तरह से जानते थे उस तरह से बहुत ही कम मूर्तिकारों ने जाना था, लेकिन उन्होंने ग्रेनाइट/granite में जो विवरण उकेरे हैं, वहां कुछ गहरा प्रकट करने का उनका प्रयास था—आत्मा, मनुष्य का भीतरी/आंतरिक जीवनl और यकीनन, वहाँ, माइकलएंजेलो हमेशा कम पड़ गएl
केवल परमेश्वर ही मानव हृदय की गहरी वास्तविकताओं को जानता है l हम एक दूसरे के बारे में जो कुछ भी देखते हैं, चाहे वह कितना भी ध्यान देने योग्य या अंतर्दृष्टिपूर्ण क्यों न हो, वह सत्य की छाया मात्र हैl परन्तु परमेश्वर छाया से भी गहरा देखता है l यिर्मयाह नबी ने कहा, “हे यहोवा, तू मुझे देखता हैI” (12:3) हमारे बारे में परमेश्वर का ज्ञान अनुमानित या दिमागी नहीं है l वह हमें दूर से नहीं देखता हैl बल्कि, वह हम कौन हैं की छिपी हुयी वास्तविकताओं में झांकता है l परमेश्वर हमारे भीतरी जीवन की गहराइयों को जानता है, उन बातों को भी जिन्हें हम स्वयं समझने के लिए संघर्ष करते हैं l
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे संघर्ष या हमारे हृदयों में क्या चल रहा है, परमेश्वर हमें देखता है और वास्तव में हमें जानता है l
आँसुओं में आशीर्वाद
मुझे इंग्लैंड में एक युवक से एक ईमेल प्राप्त हुआ, एक बेटा जिसने समझाया कि उसके पिता (जो केवल तिरसठ वर्षीय थे) गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती थे, और जीवन और म्रत्यु के बीच झूल रहे थे। हालांकि हम कभी नहीं मिले थे लेकिन उसके पिता और मेरे कार्य में बहुत समानता थीI बेटे ने अपने पिता को खुश करने की कोशिश करते हुए मुझे प्रोत्साहन और प्रार्थना का एक वीडियो संदेश भेजने के लिए कहा। भावनात्मक रूप से प्रेरित होकर, मैंने एक छोटा संदेश और चंगाई के लिए एक प्रार्थना रिकॉर्ड की। मुझे बताया गया था कि उनके पिता ने वीडियो देखा और दिल से सराहा (थम्स-अप दिया)। दुख की बात है कि कुछ दिनों बाद मुझे एक और ईमेल मिला जिसमें बताया गया था कि उनकी मृत्यु हो गई है।अपनी पत्नी का हाथ थामे हुए उन्होंने अंतिम साँस ली थी।
मेरा दिल टूट गया। ऐसा प्यार, ऐसी तबाही। परिवार ने एक पति और पिता को बहुत जल्द खो दिया। फिर भी यह सुनकर आश्चर्य होता है कि यीशु जोर देकर कहते हैं कि वास्तव में यही दुःखी लोग धन्य हैं: "धन्य हैं वे जो शोक करते हैं," यीशु कहते हैं (मत्ती 5:4)। यीशु यह नहीं कह रहे हैं कि कष्ट और दुःख अच्छे हैं, बल्कि यह कि ईश्वर की दया और करुणा उन पर बरसती है जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। जो लोग मृत्यु या अपने स्वयं के पाप के कारण दुःख से अभिभूत हैं उन्हें परमेश्वर के ध्यान और सांत्वना की सबसे अधिक आवश्यकता है - और यीशु हमसे वादा करते हैं "वे शांति पाएंगे" (पद. 4)
परमेश्वर हमारी ओर, उनके प्रिय बच्चों की ओर कदम बढ़ाता है (पद. 9) वह हमारे आँसुओं में हमें आशीष देता है।
प्रेम की ज्वाला अग्नि है
कवि, चित्रकार,और प्रिंटमेकर विलियम ब्लेक ने अपनी पत्नी कैथरीन के साथ पैंतालीस साल की शादी का आनंद लिया। उनकी शादी के दिन से लेकर 1827 में उनकी मृत्यु तक, उन्होंने एक साथ मिलकर काम किया। कैथरीन ने विलियम के रेखाचित्रों में रंग डाला, और उनकी भक्ति ने वर्षों की गरीबी और अन्य चुनौतियों का सामना किया। अपने अंतिम हफ्तों में भी जब उनका स्वास्थ्य खराब हो गया तो ब्लेक ने अपनी कला को जारी रखा, और उनका अंतिम स्केच उनकी पत्नी का चेहरा था। चार साल बाद, कैथरीन अपने पति की एक पेंसिल को हाथ में पकड़े हुये मर गई।
ब्लेक का जीवंत प्रेम श्रेष्ठगीत में पाये गए प्रेम का प्रतिबिंब प्रस्तुत करता है। और जबकि श्रेष्ठगीत के प्रेम के विवरण का निश्चित रूप से विवाह के लिए है, यीशु में प्रारंभिक विश्वासियों का मानना था कि यह यीशु के अपने सभी अनुयायियों के लिए कभी न बुझने वाले प्रेम की ओर भी इशारा करता है। श्रेष्ठगीत एक प्रेम का वर्णन करता है “मृत्यु के समान मजबूत है” जो कि एक उल्लेखनीय रूपक है क्योंकि मृत्यु अंतिम और वास्तविकता है जिससे कोई नहीं बचा (8:6) । यह प्रबल प्रेम प्रज्वलित आग की तरह, एक शक्तिशाली लौ की तरह जलता है (पद 6) और जिस आग से हम परिचित हैं, उसके विपरीत, इन लपटों को बुझाया नहीं जा सकता, यहां तक कि एक जलप्रलय से भी नहीं। महानद भी प्रेम को नहीं बुझा सकती (पद 7।
हम में से कौन सच्चा प्यार नहीं चाहता? श्रेष्ठगीत हमें याद दिलाता है कि जब भी हम सच्चे प्रेम का सामना करते हैं, तो ईश्वर ही परम स्रोत है। और यीशु में हम में से प्रत्येक एक गहन और अमर प्रेम को जान सकता है –वह जो एक धधकती आग की तरह जलता है।
अच्छी तरह से खर्च किया गया समय
14 मार्च, 2019 को, नासा(NASA) के रॉकेट भेजे गए, जिससे अन्तरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच(Christina Koch) अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन पर गयी l कोच 328 दिनों तक पृथ्वी पर नहीं लौटने वाली थी, जिससे उन्हें एक महिला द्वारा सबसे लम्बे समय तक लगातार अन्तरिक्ष उड़ान का रिकॉर्ड मिल गया l हर दिन, पृथ्वी से लगभग 254 मील ऊपर रहते हुए, एक स्क्रीन(screen) पांच मिनट की वृद्धि में अन्तरिक्ष यात्री के समय का हिसाब/track रखती थी l उसे अनगिनत दैनिक कार्य पूरे करने थे(भोजन से लेकर प्रयोग/experiments तक), और—घंटे दर घंटे—डिसप्ले/display पर एक लाल रेखा बढ़ती थी, जो लगातार दिखाती थी कि कोच निर्धारित समय से आगे है या पीछे l बर्बाद करने के लिए एक भी क्षण नहीं था l
हालाँकि, निश्चित रूप से हमारे जीवन पर शासन करने वाली लाल रेखा जैसी किसी भी चीज़ की सिफारिश नहीं करते हुए, प्रेरित पौलुस ने हमें हमारे समय का बहुमूल्य, सीमित संसाधन का सावधानीपूर्वक उपयोग करने के लिए उत्साहित किया l उसने लिखा, “इसलिए ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो : निर्बुद्धियों के समान नहीं पर बुद्धिमानों के समान चलो l अवसर को बहुमूल्य समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं”(इफिसियों 5:15-16) l परमेश्वर की बुद्धि हमें अपने दिनों को उद्देश्य और देखभाल से भरने, उन्हें उसकी आज्ञाकारिता का अभ्यास करने, अपने पड़ोसियों से प्यार करने और संसार में यीशु का जारी उद्धार में भाग लेने के लिए नियोजित करने का निर्देश देती है l अफ़सोस की बात है कि बुद्धिमत्ता के निर्देशों की उपेक्षा करना और इसके बजाय अपने समय को मूर्खतापूर्ण तरीके से उपयोग करना(पद.17), अपने वर्षों को स्वार्थी या विनाशकारी कार्यों में बर्बाद करना पूरी तरह से संभव है l
बात समय के बारे में जुनूनी रूप से चिंता करने की नहीं हैं बल्कि आज्ञाकारिता और विश्वास के साथ परमेश्वर का अनुसरण करने की है l वह हमें अपने दिनों का अधिकतम लाभ उठाने में मदद करेगा l
भूखों के लिए भोजन
वर्षों से, हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका(Horn of Africa-Somalia, Djibouti, Ethiopia, Eritrea, Somaliland) भयंकर सूखे से पीड़ित है, जिसने फसलों को नष्ट कर दिया है, पधुधन को मार डाला है और लाखों लोगों को संकट में डाल दिया है l सबसे कमजोर लोगों में—जैसे कि केन्या के कहुमा शरणार्थी शिविर के लोग, जो युद्धों और उत्पीड़न से भागे हैं—यह और भी गम्भीर है l एक हालिया रिपोर्ट में एक युवा माँ अपने बच्चे को शिविर अधिकारियों के पास लाती है l शिशु गंभीर कुपोषण से पीड़ित था, जिससे उसके बाल और त्वचा निकल गए . . सूखा और नाज़ुक l” वह मुकुराती नहीं थी और खाना नहीं खाती थी l उसका अत्यंत छोटा शरीर काम करना बन्द कर रहा था l विशेषज्ञों ने तुरंत हस्तक्षेप किया l शुक्र है, भले ही ज़रूरतें अभी भी बहुत अधिक हैं, तत्काल, जीवन-या-मृत्यु सम्बन्धी आवश्यकताएं प्रदान करने के लिए एक बुनियादी ढांचा बनाया गया है l
ये निराशाजनक स्थान बिलकुल वही हैं जहां परमेश्वर के लोगों को उसके प्रकाश और प्रेम को चमकाने के लिए बुलाया जाता है(यशायाह 58:8) l जब लोग भूख से मर रहे हैं, बीमार हैं, या खतरे में हैं, तो परमेश्वर अपने लोगों को भोजन, दवा और सुरक्षा प्रदान करने के लिए सबसे पहले बुलाता है—सब यीश के नाम पर l यशायाह ने प्राचीन इस्राएल को यह सोचने के लिए फटकारा कि वे अपने उपवास और प्रार्थनाओं के प्रति विश्वासयोग्य थे, जबकि संकट के समय आवश्यक वास्तविक दयालु कार्य की अनदेखी कर रहे थे : “अपनी रोटी भूखों को बाँट देना,” “मारे-मारे फिरते हुओं को अपने घर ले आना” और “किसी को नंगा देखकर वस्त्र पहिनाना”(पद.7) l
परमेश्वर की इच्छा है कि भूखों को शारीरिक और आत्मिक दोनों तरह से भोजन मिले l और ज़रूरत को पूरा करते हुए वह हमारे अन्दर और हमारे द्वारा कार्य करता है l
परमेश्वर में अनुशासित जीवन
यह जून 2016 था, महारानी एलिजाबेथ का नब्बेवाँ जन्मदिन l अपनी गाड़ी से, सम्राट ने, लाल कोट पहने सैनिकों की लम्बी कतारों के सामने से गुजरते हुए, जो बिलकुल सावधान खड़े थे, भीड़ की ओर हाथ हिलाया l यह इंग्लैंड में एक गर्म दिन था, और गार्ड अपने पारंपरिक गहरे ऊनी पैन्ट, ठुड्डी तक बटन वाले ऊनी जैकेट और भालू के रोएँ(bear-fur) की बड़ी टोपियाँ पहने हुए थे l जब सैनिक धूप में दृढ़ पंक्तियों में खड़े हुए थे, एक गार्ड बेहोश होने लगा l उल्लेखनीय रूप से, उसने अपना सख्त नियंत्रण बनाए रखा और बस आगे की ओर गिरा, लेकिन उसका शरीर एक तख्ते की तरह सीधा रह गया जब उसने अपना चेहरा रेतीले बजरी में रहने दिया l वह वहीँ लेटा रहा—किसी तरह अभी भी सावधान मुद्रा में l
इस गार्ड को इस तरह का आत्म-नियंत्रण सीखने में, बेहोश होने पर भी अपने शरीर को अपनी जगह पर रखने के लिए वर्षों के अभ्यास और अनुशासन की ज़रूरत पड़ी l प्रेरित पौलुस ने इस तरह के प्रशिक्षण का वर्णन किया है : “मैं अपनी देह को मारता कूटता और वश में रखता हूँ”(1 कुरिन्थियों 9:27) l पौलुस ने माना कि “हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है”(पद.25) l
जबकि परमेश्वर का अनुग्रह (हमारे प्रयास नहीं) हमारे सभी कार्यों को सहायता करता है, हमारा आध्यात्मिक जीवन कठोर अनुशासन का हकदार है l जैसे ही परमेश्वर हमारे मन, हृदय और शरीर को अनुशासित करने में हमारी मदद करता है, हम आजमाइशों या दिशा भ्रमित होने के बीच भी अपना ध्यान उस पर केन्द्रित रखना सीखते हैं l