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Articles by सोचितल डिक्सॉन

स्तुति के आँसू

वर्षों पहले,  मैंने अपनी माँ की देखभाल की थी क्योंकि वह हास्पिस  (hospice अर्थात् गंभीर रूप से बीमार लोगों के लिए एक विशेष अस्पताल) में थी । मैंने उन चार महीनों के लिए परमेश्वर को धन्यवाद दिया कि उसने मुझे उनकी देखभाल करने वाले के रूप में सेवा करने का मौका दिया और उस दुःखी प्रक्रिया में उससे सहायता मांगी। अपनी मिली-जुली भावनाओं से जूझते हुए मुझे अक्सर परमेश्वर की स्तुति करने में संघर्ष होता था। लेकिन जब मेरी माँ ने अपनी आखिरी सांस ली और मैं बेकाबू होकर रोयी, मैंने धीरे से कहा , “हल्लिलूयाह ।“ कई सालो तक मैं ने खुद को दोषी समझा ऐसे दुख से परिपूर्ण क्षण में परमेश्वर की स्तुति करने के लिए,  जब तक कि मैंने भजन संहिता 30  को करीब से नहीं देखा।  
 
“मंदिर के समर्पण के लिए” दाऊद के गीत में,  उसने परमेश्वर की विश्वासयोग्यता और दया के लिए उसकी आराधना की (पद. 1-3) । उसने दूसरों को “उसके पवित्र नाम की स्तुति” करने के लिए प्रोत्साहित किया (पद. 4) । तब दाऊद पाता है कि परमेश्वर कठिनाई और आशा को कितनी घनिष्ठता से जोड़ता है (पद. 5) । उसने दुःख और आनन्द के समय को स्वीकार किया,  सुरक्षित महसूस करने और निराश होने के समय को स्वीकार किया (पद. 6-7) । मदद के लिए उसकी पुकार परमेश्वर पर भरोसे के साथ बनी रही (पद. 7-10) । दाऊद के रोने और नाचने,  शोक और आनंद के क्षणों में उसकी स्तुति की प्रतिध्वनि सुनाई देती है (पद. 11) । मानो कष्ट सहने के रहस्य और जटिलता को स्वीकार करते हुए और परमेश्वर की विश्वासयोग्यता पर आशा रखते हुए,  दाऊद ने परमेश्वर के प्रति अपनी अंतहीन भक्ति को प्रकट किया (पद. 12) । दाऊद की तरह,  हम गा सकते हैं,  “हे मेरे परमेश्वर यहोवा,  मैं सर्वदा तेरा धन्यवाद करता रहूँगा” (पद.12) । चाहे हम खुश हों या आहत,  परमेश्वर हमें उस पर अपना भरोसा रखने में मदद कर सकता है और खुशी के नारे और स्तुति के आँसुओं के साथ उसकी आराधना करने में हमारी अगुवाई कर सकता है । 

परमेश्वर की आवाज़ पहचानना

वर्षों के शोध के बाद, वैज्ञानिकों ने सीखा है कि भेड़ियों की अलग-अलग आवाज़ें होती हैं जो उन्हें एक दूसरे के साथ संवाद/व्यवहार करने में मदद करती हैं l एक विशिष्ट ध्वनि विश्लेषण कोड का उपयोग करते हुए, एक वैज्ञानिक ने महसूस किया कि भेड़िये की चीख में आवाज़ की भिन्न घुमाव और ऊँचाई(pitches) ने उसे 100 फीसदी सटीकता के साथ विशिष्ट भेड़ियों की पहचान करने में सक्षम बनायाl 

बाइबल परमेश्वर द्वारा अपनी प्रिय कृतियों की विशिष्ट आवाजों को पहचानने के कई उदाहरण प्रदान करती है l उसने मूसा का नाम लेकर पुकारा और सीधे उससे बातें की (निर्गमन 3:4-6)  भजनकार दाऊद ने घोषणा की, “मैं उंचे शब्द से यहोवा को पुकारता हूँ, और वह अपने पवित्र पर्वत पर से मुझे उत्तर देता है” (भजन 3:4) प्रेरित पौलुस ने भी परमेश्वर के लोगों द्वारा उसकी आवाज पहचानने के महत्त्व पर बल दिया l 

इफिसियों के बड़े-बुजुर्गों को विदा करते समय, पौलुस ने कहा कि आत्मा ने उसे यरूशलेम की ओर जाने के लिए “विवश” किया था l उसने परमेश्वर की वाणी का अनुसरण करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, यद्यपि वह नहीं जानता था कि उसके पहुँचने पर उस पर क्या-क्या बीतेगा  (प्रेरितों 20:22) प्रेरित ने चेतावनी दी कि “फाड़नेवाले भेड़िये” “आएँगे . . . जो . . . टेढ़ी-मेढ़ी बातें कहेंगे” कलीसिया के अन्दर से भी खींच लेने के लिए (पद.29-30) फिर उसने बड़े-बूढों (बुजुर्गों) को परमेश्वर की सच्चाई को समझने में परिश्रमी रहने के लिए उत्साहित किया (पद.31)  

यीशु में सभी विश्वासियों को यह जानने का सौभाग्य प्राप्त है कि परमेश्वर हमारी सुनता है और हमें उत्तर देता है l हमारे पास पवित्र आत्मा की सामर्थ्य भी है जो हमें परमेश्वर की आवाज़ को पहचानने में सहायता करती है,जो हमेशा पवित्रशास्त्र के शब्दों के अनुरूप होती है l 

पाप को दूर करना

जब मैंने देखा कि हमारे बरामदे के पास बगीचे की पाइप के बगल में एक टहनी निकली हुयी है, तो मैंने उस हानिकारक न लगनेवाली बदसूरत वनस्पति को नज़रअंदाज़ कर दिया l एक छोटा सा खरपतवार संभवतः हमारे लॉन (lawn)को कैसे नुक्सान पहुंचा सकता है? लेकिन जैसे-जैसे सप्ताह बीतते गए, वह दुखदायी वनस्पति एक छोटी झाड़ी के आकार का हो गया और हमारे अहाते पर कब्ज़ा करने लगा l उसकी फैली हुयी डालियाँ रास्ते के एक भाग पर झुक गए और अन्य जगहों पर उग आए l इस विनाशकारी स्थिति को स्वीकार करते हुए, मैंने अपने पति से कहा कि वे जंगली खरपतवार को जड़ से हटाने में मेरी सहायता करें और फिर खरपतवार नाशक से हमारे अहाते की रक्षा करें l 

जब हम पाप की उपस्थिति को अनदेखा या अस्वीकार करते हैं, तो वह हमारे जीवन पर अवांछित अतिवृद्धि(overgrowth) की तरह आक्रमण कर सकता है और हमारे व्यक्तिगत स्थान को अँधेरा कर सकता है l हमारे निष्पाप परमेश्वर में कोई अन्धकार नहीं है . . . बिलकुल भी नहीं l उनके बच्चों के रूप में, हम सीधे पापों का सामना करने के लिए तैयार और सामर्थी किये गए हैं ताकि हम “ज्योति में चल सकें, जैसा कि वह ज्योंति में है”(1 यूहन्ना 1:7)अंगीकार और पश्चाताप के द्वारा, हम क्षमा और पाप से स्वतंत्रता का अनुभव करते हैं (पद.8-10) क्योंकि हमारे पास एक महान अधिवक्ता है—यीशु (2:1)उसने स्वेच्छा से हमारे पापों के लिए अंतिम कीमत चुकाई है—अपने जीवन का लहू—और “केवल हमारे ही नहीं वरन् सारे जगत के पापों का भीI” (पद.2)  

जब परमेश्वर के द्वारा हमारे पाप हमारे ध्यान में लाए जाते हैं, तो हम इन्कार, टाल-मटोल, या उत्तरदायित्व से विमुख होना चुन सकते हैं l लेकिन जब हम स्वीकार करते हैं और पश्चाताप करते हैं, तो वह उन पापों को मिटा देता हैं जो उसके साथ और दूसरों के साथ हमारे संबंधों को नुक्सान पहुंचाते हैं l 

प्रार्थना कार्ड

एक लेखन सम्मेलन के दौरान जहां मैंने एक फैकल्टी/शिक्षक (संकाय) सदस्य के रूप में सेवा की, टैमी ने मुझे एक पोस्टकार्ड दिया जिसके पीछे हाथ से लिखी हुई प्रार्थना थी। उसने समझाया कि वह शिक्षक की आत्मकथाएँ पढ़ती है, प्रत्येक कार्ड पर विशिष्ट प्रार्थनाएँ लिखती है, और उन्हें हमें सौंपते समय प्रार्थना करती है। उनके व्यक्तिगत संदेश में दिए गए विवरण से विस्मयपूर्ण होकर, मैंने टेमी द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए परमेश्वर को धन्यवाद दिया। फिर मैंने उसके बदले में उसके लिए प्रार्थना की। जब मैं सम्मेलन के दौरान दर्द और थकान से जूझ रही थी, तो मैंने पोस्टकार्ड निकाला। जैसे ही मैंने टैमी की टिप्पणी को फिर से पढ़ा, परमेश्वर ने मेरी आत्मा को तरोताजा कर दिया।

प्रेरित पौलुस ने दूसरों के लिए प्रार्थना के जीवन-पुष्टिकारी प्रभाव को पहचाना। उसने विश्वासियों से आग्रह किया कि वे "उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से जो आकाश में हैं" युद्ध के लिए तैयार रहें (इफिसियों 6:12) उन्होंने चल रही और विशिष्ट प्रार्थनाओं को प्रोत्साहित किया, साथ ही में एक दूसरे के लिए हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर बल देते हुए जिसे हम मध्यस्थ प्रार्थना कहते हैं। पौलुस ने अपनी ओर से निर्भीक प्रार्थनाओं का भी अनुरोध किया। "और मेरे लिये भी प्रार्थना करो, कि मुझे बोलने के समय ऐसा प्रबल वचन दिया जाए, कि मैं साहस के साथ  सुसमाचार का भेद बता सकूंI जिसके लिए मै ज़ंजीर में जकड़ा हुआ राजदूत हूँI " (पद. 19-20)

जब हम एक दूसरे के लिए प्रार्थना करते हैं, तो पवित्र आत्मा हमें सांत्वना देता है और हमारे संकल्प को मजबूत करता है। वह पुष्टि करता है कि हमें उसकी और एक दूसरे की आवश्यकता है, हमें विश्वास दिलाता है कि वह हर प्रार्थना सुनता है - मौन, बोली, या प्रार्थना कार्ड पर लिखी हुई - और वह अपनी सिद्ध इच्छा के अनुसार उत्तर देता है।

मैं केवल कल्पना कर सकती हूं

मैं एक महिला के पीछे चर्च की बेंच पर बैठ गयी जैसे अराधना मंडली ने "आई कैन ओनली इमेजिन"(I can only imagine) की धुन बजाना शुरू कियाI अपने हाथों को ऊपर उठाकर, मैंने परमेश्वर की स्तुति की जैसे महिला की मधुर आवाज मेरी आवाज़ के साथ मेल खाती गयी। मुझे अपने स्वास्थ्य संघर्षों के बारे में बताने के बाद, हमने उसके आगामी कैंसर उपचार के दौरान एक साथ प्रार्थना करने का फैसला किया।

कुछ महीने बाद, लुईस ने मुझे बताया कि उसे मरने का डर है। उसके अस्पताल के बिस्तर पर झुक कर, मैंने अपना सिर उसके बगल में टिका दिया, एक प्रार्थना फुसफुसाई, और चुपचाप हमारा गीत गाया। मैं केवल कल्पना कर सकती हूं कि लुईस के लिए यह कैसा होगा जब उसने कुछ ही दिनों बाद यीशु के सम्मुख आराधना की होगी।

प्रेरित पौलुस ने अपने उन पाठकों के लिए सांत्वनादायक आश्वासन दिया जो मृत्यु का सामना कर रहे थे (2 कुरिन्थियों 5:1) अनंत काल के इस तरफ अनुभव की गई पीड़ा कराहने का कारण हो सकती है, परन्तु हमारी आशा हमारे स्वर्गीय निवास-यीशु के साथ हमारे अनन्त अस्तित्व (पद. 2-4) पर टिकी हुई है। यद्यपि परमेश्वर ने हमें उसके साथ अनन्त जीवन के लिए हुड़कने के लिए रचा है (पद. 5-6 ) उसकी प्रतिज्ञाएँ अब उसके लिए ही जीने के लिए हमारे जीवन जीने के तरीके को प्रभावित करने के लिए हैंI (पद. 7-10) 

जैसा कि हम यीशु को खुश करने के लिए जीते हैं और उसके लौटने या हमें घर बुलाने की प्रतीक्षा करते हैं, हम उसकी निरंतर उपस्थिति की शांति में आनन्दित हो सकते हैं। हम उस क्षण क्या अनुभव करेंगे जब हम अपने पार्थिव शरीरों को छोड़ेंगे और अनंत काल में यीशु के साथ जुड़ेंगे? हम केवल कल्पना कर सकते हैं!

जयवन्त से बढ़कर

जब मेरे पति ने हमारे बेटे की लिटिल लीग बेसबॉल टीम को कोचिंग दीए तो उन्होंने खिलाड़ियों को साल के अंत की पार्टी के साथ पुरस्कृत किया और उनमें हुये सुधार को स्वीकार किया। हमारे सबसे युवा खिलाड़ियों में से एक डस्टिन ने कार्यक्रम के दौरान मुझसे संपर्क किया “क्या आज हमने मैच नहीं  हारे?” मैंने बोला “हाँ,लेकिन हमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए आप पर गर्व है।”

“मुझे पता है”, उसने  कहा।  “लेकिन हम हार गए। सही?”

मैने सिर हिलाकर सहमति दी।

“तो मैं एक विजेता की तरह क्यों महसूस करता हूँ?” डस्टिन ने पूछा।

मुस्कुराते हुए मैंने कहा, “क्योंकि तुम विजेता हो।”

डस्टिन ने सोचा था कि एक गेम हारने का मतलब है कि वह तब भी असफल रहा जब उसने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। यीशु में विश्वासियों के रूप में हमारी लड़ाई खेल के मैदान तक ही सीमित नहीं है। फिर भी, जीवन के कठिन समय को हमारे मूल्य के प्रतिबिंब के रूप में देखना अक्सर लुभावना होता है।

प्रेरित पौलुस ने हमारे वर्तमान दुखों और परमेश्वर की सन्तान के रूप में हमारी भविष्य की महिमा के बीच संबंध की पुष्टि की। हमारे लिए अपने आप को दे देने के बाद, यीशु पाप के साथ हमारी चल रही लड़ाई के दौरान हमारी ओर से काम करना जारी रखता है और हमें उसकी समानता में बदल देता है  (रोमियों 8:31–32)। यद्यपि हम सभी कठिनाई और उत्पीड़न का अनुभव करेंगे, परमेश्वर का अटूट प्रेम हमें बनें रहने में मदद करता है(पद 33–.34)। उसकी सन्तान के रूप में, हमें अपने मूल्य को परिभाषित करने के लिए संघर्षों को अनुमति देने के लिए प्रलोभित हो सकते हैं, फिर भी हमारी अंतिम जीत निश्चित है। हम रास्ते में ठोकर खा सकते हैं, लेकिन हम हमेशा  जयवन्त से बढ़कर  रहेंगे  (पद 35–39)।

बचाव अभियान

ऑस्ट्रेलिया में एक कृषि पशु बचाव संगठन के स्वयंसेवकों  को  एक भटकती हुई भेड़ मिली जो  34 किलो से अधिक गंदी, उलझी हुई ऊन के बोझ से दबी  थी। बचाव दल को संदेह था कि भेड़  भूल से,  कम से कम पांच साल से खोई हुई थी, और झाडी में फंसी थी। स्वयंसेवकों ने उसके भारी ऊन को कष्टप्रद प्रक्रिया द्वारा काटा  और उसे शांत किया। एक बार अपने बोझ से मुक्त होकर, बराक ने अच्छी तरह खाया । उसके पैर मजबूत हो गए।  शरणस्थान में अपने बचाव दल और अन्य जानवरों के साथ समय बिताने के साथ–साथ वह और अधिक आश्वस्त और संतुष्ट हो गया।

भजनहार दाऊद ने भारी बोझ से दबे होने, भूले हुए और खोए हुए महसूस करने और बचाव अभियान के लिए बेताब होने के दर्द को समझा। भजन संहिता 38 में, दाऊद ने परमेश्वर की दोहाई दी। उसने अलगाव, विश्वासघात, और लाचारी का अनुभव किया था (पद 11–14)। फिर भी, उसने पूरे विश्वास के साथ प्रार्थना की, “हे प्रभु, मैं तेरी बाट जोहता हूं, हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू उत्तर देगा (पद 15)। दाऊद ने अपनी दुर्दशा से इनकार नहीं किया, या अपने आंतरिक कष्ट और शारीरिक बीमारियों को कम नहीं किया  (पद 16–.20)। इसके बजाय, उसने भरोसा किया कि परमेश्वर निकट होगा और उसे सही समय पर और सही तरीके से उत्तर देगा (पद 21– 22) ।

जब हम शारीरिक, मानसिक, या भावनात्मक बोझों से बोझिल महसूस करते हैं, जिस दिन से उसने हमें बनाया है उस दिन से परमेश्वर उस बचाव अभियान के प्रति वचनबद्ध है जिसकी उसने योजना बनाई थी। हम उसकी उपस्थिति पर भरोसा कर सकते हैं जब हम उसे पुकारते हैं, “हे मेरे प्रभु, और मेरे उद्धारकर्ता, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर (पद 22)।

सच्चाई कभी नहीं बदलती

जब वह छोटा था, मैंने और मेरे बेटे ज़ेवियर ने एक लड़के के बारे में बच्चों की एक काल्पनिक कहानी पढ़ी, जिसने एक कलम/pen का मनगढ़ंत नाम देकर अपने शिक्षक के खिलाफ विद्रोह कर दिया l छात्र ने अपने साथ पांचवीं कक्षा के छात्रों को पेन/कलम के लिए उसके द्वारा दिए गए नाम का उपयोग करने के लिए राज़ी कर लिया l लड़के के द्वारा शब्द के बदले जाने का समाचार पूरे कस्बे में फ़ैल गया l आखिरकार, देश भर में लोगों ने कलम के प्रति अपना दृष्टिकोण बदल दिया, केवल इसलिए क्योंकि दूसरों ने एक लड़के की मनगढ़ंत वास्तविकता को सार्वभौमिक सत्य के रूप में स्वीकार कर लिए l 

पूरे इतिहास में, त्रुटिपूर्ण मनुष्यों ने अपनी इच्छाओं के अनुरूप सत्य या व्यक्तिगत पसंदीदा वास्तविकताओं के बदलते संस्करणों को अपनाया है l हालाँकि, बाइबल एक सत्य एक सच्चे परमेश्वर और उद्धार का एक मार्ग—मसीहा/उद्धारकर्ता/छुटकारा देनेवाला/Messiah—की ओर संकेत करती है जिसके द्वारा “यहोवा का तेज प्रगट होगा”(यशायाह 40:5) l यशायाह नबी ने पुष्टि की कि लोग, सभी सृजित वस्तुओं की तरह, अस्थायी, पतनशील और अविश्वसनीय हैं(पद.6-7) l उसने कहा, “घास तो सूख जाती, और फूल मुर्झा जाता है; परन्तु हमारे परमेश्वर का वचन सदैव अटल रहेगा”(पद.8) l 

आनेवाले अभिषिक्त/छुटकारा देनेवाले/Messiah के बारे में यशायाह की भविष्यवाणी एक भरोसेमंद आधार, एक सुरक्षित आश्रय और एक सुरक्षित आशा देता है l हम परमेश्वर के वचन पर भरोसा कर सकते हैं क्योंकि यीशु स्वयं वचन है(यूहन्ना 1:1) l यीशु सत्य है जो कभी नहीं बदलता l 

आपसी प्रोत्साहन

“विशुद्ध प्रोत्साहन(Sheer encouragement) l” इसी वाक्यांश द्वारा जे.आर.आर. टॉकिन ने अपने मित्र और सहकर्मी सी.एस. ल्युईस को उनके व्यक्तिगत समर्थन को परिभाषित किया जब वे महाकाव्य(epic) द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स(The Lord of the Rings) ग्रन्थत्रय(trilogy) लिख रहे थे l श्रृंखला पर टॉकिन का काम अति परिश्रमी और सटीक था, और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से लम्बी पांडुलिपियों को दो से अधिक बार टाइप किया था l जब उन्होंने उन्हें ल्युईस के पास भेजा, तो ल्युईस ने उत्तर दिया, “आपने इस पर जितने लम्बे वर्ष खर्च किये हैं, वे उचित हैं l”

संभवतः पवित्रशास्त्र का सबसे प्रसिद्ध प्रोत्साहन करनेवाला साइप्रस का युसूफ था, जिसे बरनबास(जिसका अर्थ है “प्रोत्साहन का पुत्र) के नाम से जाना जाता है, नाम जिसे प्रेरितों ने उसे दिया था (प्रेरितों के काम 4:36) l यह बरनबास ही था जिसने प्रेरितों के सामने पौलुस का समर्थन किया था(9:27) l बाद में, जब गैर-यहूदी विश्वासियों ने यीशु में विश्वास आरम्भ किया तो लूका हमें बताता है कि बरनबास “आनंदित हुआ, और सब को उपदेश दिया कि तन मन लगाकर प्रभु से लिपटे रहो”(11:23) l लूका ने उसका वर्णन “भला मनुष्य” और पवित्र आत्मा और विश्वास से परिपूर्ण” व्यक्ति के रूप में किया, और कहा कि उसके कारण, “बहुत से लोग प्रभु में आ गए”(पद.24) l 

उत्साहवर्धक शब्दों का मूल्य मापा नहीं जा सकता है l जब हम दूसरों को विश्वास और प्रेम के शब्द पेश करते हैं, परमेश्वर—जो “अनंत प्रोत्साहन(शांति)” देता है (2 थिस्सलुनीकियों 2:16)—जो कुछ हम साझा करते हैं उसके द्वारा किसी के जीवन को हमेशा के लिए बदल सकता है l आज वह किसी को “विशुद्ध प्रोत्साहन” देने में हमारी सहायता करे!