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Articles by सोचितल डिक्सॉन

राज्य-विचारशील नेतृत्व

जब मैं मसीही बच्चों के पुस्तक लेखकों के एक समूह में शामिल हुई, जो एक-दूसरे के लिए प्रार्थना करते थे और एक-दूसरे की किताबों के बारे में प्रचार करने में मदद करते थे, तो कुछ लोगों ने कहा कि हम "मूर्ख थे जो प्रतियोगीयों के साथ काम करते थे।" लेकिन हमारा समूह प्रतियोगिता के लिए नहीं, बल्कि परमेश्वर के राज्य के लिए नेतृत्व करने और समुदाय को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध था। हमारा लक्ष्य एक ही था—सुसमाचार फैलाना। हमने एक ही राजा-यीशु की सेवा की। साथ मिलकर, हम मसीह के लिए अपनी गवाही के साथ अधिक लोगों तक पहुंच रहे हैं।

जब परमेश्वर ने मूसा से नेतृत्व के अनुभव वाले सत्तर पुरनियों को चुनने के लिए कहा, “ तब मैं उतारकर तुझ से वहाँ बातें करूँगा; और जो आत्मा तुझ में हैं उस में से कुछ ले कर उन में समवाऊंगा; और वे इन लोगों का भार तेरे संग उठाए रहेंगे, और तुझे उसको अकेले उठाना न पड़ेगा ” (गिनती 11:16-17)। बाद में, यहोशू ने दो पुरनियो को भविष्यवाणी करते देखा और मूसा से उन्हें रोकने को कहा। मूसा ने उससे कहा, “क्या तू मेरे कारण जलता है? भला होता कि यहोवा की सारी प्रजा के लोग नबी होते, और यहोवा अपना आत्मा उन सभो में समवा देता!” (पद- 29)I

जब भी हम प्रतियोगिता या तुलनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो हमें दूसरों के साथ काम करने में बाधा डालते हैं, तो पवित्र आत्मा हमें उस प्रलोभन से बचने के लिए सशक्त कर सकता है। जब हम परमेश्वर से हमारे अंदर राज्य-विचारशील नेतृत्व का पोषण करने के लिए कहते हैं, तो  वह दुनिया भर में सुसमाचार फैलाता है   और जब हम एक साथ उसकी सेवा करते हैं तो हमारा बोझ भी हल्का हो सकता है।

परमेश्वर ने उन सभी को बनाया

जैसे ही हम कैलिफोर्निया में मोंटेरी बे एक्वेरियम (Monterey Bay Aquarium) में दाखिल हुए, तो उत्साह से मेरे तीन साल के बेटे ज़ेवियर ने मेरा हाथ दबा दिया। छत से लटकी हंपबैक व्हेल (hump back whale) की आदमकद मूर्ति की ओर इशारा करते हुए उसने कहा, "बहुत बड़ा!" जब हमने प्रत्येक प्रदर्शनी का अवलोकन किया तो उनकी बड़ी-बड़ी आँखों वाली खुशी जारी रही। भोजन के समय ऊदबिलाव(Otters) को पानी की छींटे उड़ाते देख कर हम हँस पड़े। हम एक बड़ी कांच की एक्वेरियम खिड़की के सामने चुपचाप खड़े थे, चमकीले हल्के नीले पानी में नाचती सुनहरी-भूरी जेलिफ़िश (jelly fish) को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए। "परमेश्वर ने समुद्र में हर प्राणी को बनाया," मैंने कहा, "ठीक वैसे ही जैसे उसने तुम्हे और मुझे बनाया है।" ज़ेवियर फुसफुसाया, "वाह।"

भजन संहिता 104 में, भजनकार ने परमेश्वर की भरपूर सृष्टि को स्वीकार किया और गाया, “इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण हैI”(पद-24) । "इसी प्रकार समुद्र बड़ा और बहुत ही चौड़ा है, और उस में अनगिनित जलचरी जीव- जन्तु, क्या छोटे, क्या बड़े भरे पड़े हैं।" (पद-25) ।  उसने परमेश्वर के द्वारा बनाई गई सभी चीज़ों के लिए परमेश्वर की उदारता और संतोषजनक प्रावधान की प्रशंसा की (पद 27-28)। उसने यह भी पुष्टि की कि परमेश्वर ने प्रत्येक के अस्तित्व के दिन निर्धारित किए हैं (पद- 29-30)। 

हम अराधना की इस घोषणा को गाने में भजनकार के साथ शामिल हो सकते हैं: “मैं जीवन भर यहोवा का गीत गाता रहूंगा; जब तक मैं बना रहूँगा तब तक अपने परमेश्वर का भजन गाता रहूंगा” (पद 33)। प्रत्येक प्राणी जो अस्तित्व में है, बड़े से लेकर छोटे तक, सभी हमें प्रशंसा की ओर ले जा सकते है क्योंकि परमेश्वर ने उन सभी को बनाया है ।

परमेश्वर के प्रेमी हाथों में

स्वास्थ्य सम्बन्धी एक और झटके के बाद, मुझे अज्ञात और बेकाबू होने का डर था l एक दिन, फोर्ब्स पत्रिका का लेख पढ़ते समय, मुझे पता चला कि वैज्ञानिकों ने “पृथ्वी के चक्कर वेग” के बढ़ने का अध्ययन किया और घोषणा की कि पृथ्वी “डगमगा रही है” और “तेजी से घूम रही है l” उन्होंने कहा कि हमें “पहली बार “ड्राप सेकंड(drop second)—वैश्विक समय से एक सेकंड का आधिकारिक निष्कासन—की आवश्यकता हो सकती है l हालांकि एक सेकंड बहुत बड़ी हानि नहीं लगती, लेकिन यह जानना कि पृथ्वी का चक्कर बदल सकता है, मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी l थोड़ी सी भी अस्थिरता मेरे विश्वास को डगमगा सकती है l हालाँकि, यह जानने से कि ईश्वर  नियंत्रण रखता है, मुझे उस पर भरोसा करने में मदद मिलती है, चाहे हमारे अज्ञात कितने भी डरावने हों या हमारी परिस्थितियाँ कितनी भी अस्थिर क्यों न हों l 

भजन 90 में, मूसा ने कहा, “इससे पहले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, या तू ने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन् अनादिकाल से अनंतकाल तक तू ही परमेश्वर है” (पद.2) l समस्त सृष्टि पर ईश्वर की असीमित शक्ति, नियंत्रण और अधिकार को स्वीकार करते हुए, मूसा ने घोषणा की कि समय ईश्वर को रोक नहीं सकता (पद.3-6) l 

जैसे-जैसे हम ईश्वर और उसके द्वारा रचित अद्भुत संसार के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं, हमें पता चलेगा कि वह कैसे समय और अपनी बनायी गयी सभी चीज़ों का पूरी तरह से प्रबंधन करता है l हमारे जीवन में हर अज्ञात और नयी खोजी गयी चीज़ के लिए भी ईश्वर पर भरोसा किया जा सकता है l सारी सृष्टि ईश्वर के प्रेमपूर्ण हाथों में सुरक्षित रहती है l

परमेश्वर का महान प्रेम चक्र

तीस वर्ष की उम्र में यीशु में एक नए विश्वासी के रूप में, अपना जीवन उन्हें समर्पित करने के बाद मेरे पास बहुत सारे प्रश्न थे l जब मैंने बाइबल पढ़ना आरम्भ किया, तो मेरे पास और भी अधिक प्रश्न थे l मैं एक सहेली के पास गयी l “मैं संभवतः : परमेश्वर की सभी आज्ञाओं का पालन कैसे कर सकती हूँ? मैं आज सुबह ही अपने पति पर चिल्लायी!”

“बस अपनी बाइबल पढ़ती रहो,” उसने का, “और पवित्र आत्मा से तुम्हें सहायता करने के लिए कहो जैसे यीशु तुमसे प्यार करता है l

परमेश्वर की संतान के रूप में बीस वर्षों से अधिक जीवन जीने के बाद, वह सरल लेकिन गहन सत्य अभी भी मुझे उनके महान प्रेम चक्र में तीन चरणों को अपनाने में मदद करता है : सबसे पहले, प्रेरित पौलुस ने पुष्टि की कि प्रेम यीशु में विश्वास करने वाले के जीवन में प्रमुख है l दूसरा, “एक दूसरे से प्रेम करने का ऋण” चुकाते रहने से, मसीह के अनुयायी आज्ञाकारिता में चलेंगे, “क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है” (रोमियों 13:8) l अंत में, हम व्यवस्था को पूरी करते हैं क्योंकि “प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता” (पद.10) l 

जब हम अपने प्रति परमेश्वर के प्रेम की गहराई का अनुभव करते हैं, जिसे क्रूस पर मसीह के बलिदान के माध्यम से सर्वोत्तम रूप से प्रदर्शित किया गया है, हम कृतज्ञता के साथ प्रतिक्रिया दे सकते हैं l यीशु के प्रति हमारी कृतज्ञ भक्ति हमें अपने शब्दों, कार्यों और व्यवहारों से दूसरों से प्रेम करने की ओर ले जाती है l सच्चा प्रेम एक सच्चे ईश्वर से प्रवाहित होता है जो प्रेम है (1 यूहन्ना 4:16,19) l 

प्रिय परमेश्वर, हमें आपके महान प्रेम चक्र में जकड़ जाने में सहायता करें!

इच्छुक उद्धारकर्ता

देर रात गाड़ी चलाते समय निकोलस ने देखा कि एक घर में आग लगी हुई है। उसने रास्ते में गाड़ी पार्क की, जलते हुए घर में घुस गया और चार बच्चों को सुरक्षित बाहर ले गया। जब बच्चों की किशोर दाई को एहसास हुआ कि भाई-बहनों में से एक अभी भी अंदर है, तो उसने निकोलस को बताया। बिना किसी हिचकिचाहट के, वह आग में फिर से  गया। छह साल की बच्ची के साथ दूसरी मंजिल पर फंसे निकोलस ने खिड़की तोड़ दी। जैसे ही आपातकालीन टीमें घटनास्थल पर पहुंचीं, वह बच्चे को गोद में लेकर सुरक्षित स्थान पर कूद गया। खुद से ज्यादा दूसरों की चिंता करते हुए उन्होंने सभी बच्चों को बचाया।

दूसरों की खातिर अपनी सुरक्षा का त्याग करने की इच्छा से निकोलस ने वीरता का प्रदर्शन किया। प्रेम का यह शक्तिशाली कार्य एक अन्य इच्छुक बचानेवाले - यीशु - द्वारा दिखाए गए त्यागपूर्ण प्रेम को दर्शाता है, जिसने हमें पाप और मृत्यु से बचाने के लिए अपना जीवन दे दिया। "क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा।" (रोमियों 5:6)। प्रेरित पौलुस ने इस बात पर जोर दिया कि यीशु - जो देह में पूर्ण रूप से परमेश्वर और पूर्ण रूप से मनुष्य है - ने अपना जीवन देकर हमारे पापों की कीमत चुकाने काचुनाव किया वाले, एक ऐसी कीमत जिसे हम कभी भी अपने आप से नहीं चुका सकते। "परमेश्वर हमारे प्रति अपना प्रेम इस प्रकार प्रदर्शित करता है: जब हम पापी ही थे, मसीह हमारे लिये मरा। " (पद 8)।

जब हम अपने इच्छुक उद्धारकर्ता यीशु को धन्यवाद देते हैं और उस पर भरोसा करते हैं, तो वह हमें अपने शब्दों और कार्यों से दूसरों से त्यागपूर्ण प्रेम करने के लिए सशक्त बना सकता है।

आशा पाना

समुद्र विज्ञानी सिल्विया अर्ल ने मूँगा-चट्टान(coral reef)) को नष्ट होते प्रत्यक्ष रूप से देखा है। उन्होंने मिशन ब्लू(Mission Blue) की स्थापना की, जो विश्वव्यापी "होप स्पॉट्स(hope spots)” के विकास के लिए समर्पित एक संगठन है। दुनिया भर में ये विशेष स्थान "समुद्र के संकटमय स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण" हैं, जो पृथ्वी पर हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। इन क्षेत्रों की साभिप्राय देखभाल के द्वारा, वैज्ञानिकों ने पानी के भीतर समुदायों के संबंधों को बहाल होते और विलोप होने वाली प्रजातियों के जीवन को संरक्षित होते देखा है।

भजन संहिता 33 में, भजनकार स्वीकार करता है कि यहोवा के वचन से सब कुछ बना और यह सुनिश्चित किया कि उसने जो कुछ बनाया वह स्थिर रहेगा (पद.6-9)। चूँकि परमेश्वर पीढ़ी से पीढ़ी तक और राष्ट्रों पर शासन करता है (पद.11-19), वह अकेले ही रिश्तों को बहाल करता है, जीवन बचाता है,और आशा को पुनर्जीवित करता है। हालाँकि, परमेश्वर हमें दुनिया और उसके द्वारा बनाए गए लोगों की देखभाल में उसके साथ शामिल होने के लिए आमंत्रित करता है।

हर बार जब हम बादलों, धूसर आकाश में बिखरे इंद्रधनुष की दमक या चट्टानी तट से टकराती समुद्र की चमकदार लहरों के लिए परमेश्वर की स्तुति करते हैं, तो हम उसके "अचूक प्रेम" और उपस्थिति की घोषणा कर सकते हैं क्योंकि उस पर “हमारी आशा है” (पद 22) l

जब हम दुनिया की वर्तमान स्थिति पर विचार करते हुए निराशा या भय की ओर प्रलोभित होते हैं, तो हम यह मानना शुरू कर सकते हैं कि हम कोई फर्क नहीं डाल सकते। हालाँकि, जब हम परमेश्वर की देखभाल करने वाली टीम के सदस्यों के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं, तो हम उसे सृष्टिकर्ता के रूप में सम्मान दे सकते हैं और दूसरों को आशा खोजने में मदद कर सकते हैं क्योंकि वे यीशु पर अपना भरोसा रखते हैं।

आशा की किरण

मेरी माँ का चमकदार लाल क्रूस कैंसर देखभाल केंद्र में उनके बिस्तर के बगल में टंगा हुआ होना चाहिए था। और मुझे उनके निर्धारित उपचारों के बीच छुट्टियों में मिलने की तैयारी करना चाहिए था। क्रिसमस के लिए मैं बस अपनी माँ के साथ एक और दिन चाहती थी । इसके बजाय, मैं घर पर थी . . .  उसके क्रूस को एक नकली पेड़ पर टांगते हुए।

जब मेरे बेटे जेवियर ने लाइट जलायी तो मैंने फुसफुसाकर कहा, "धन्यवाद।" उसने कहा “यू आर वेलकम।” मेरे बेटे को नहीं पता था कि टिमटिमाते बल्बों का उपयोग करके आँखों को आशा की चिरस्थायी रोशनी—यीशु—की ओर मोड़ने के लिए मैं परमेश्वर को धन्यवाद दे रही थी ।

भजन 42 के लेखक ने परमेश्वर के प्रति अपनी वास्तविक भावनाओं को व्यक्त किया (पद.1-4)। पाठकों को प्रोत्साहित करने से पहले उन्होंने अपने "उदास" और "परेशान" आत्मा को स्वीकार किया : “परमेश्‍वर पर आशा लगाए रह; क्योंकि मैं . . . फिर उसका धन्यवाद करूँगा।” (पद.5)। हालाँकि वह दुःख और पीड़ा की लहरों से उबर गया था, भजनकार का आशा परमेश्वर के अतीत विश्वासयोग्यता की याद से चमक उठा (पद.6-10)। उसने अपनी शंकाओं पर प्रश्न करते हुए और अपने परिष्कृत विश्वास के लचीलेपन की पुष्टि करते हुए समाप्त किया : हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्‍वर पर भरोसा रख; क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्‍वर है, मैं फिर उसका धन्यवाद करूँगा (पद.11)।

 

हममें से कई लोगों के लिए, क्रिसमस का मौसम खुशी और दुःख दोनों का अनुभव कराता है। शुक्र है, इन मिश्रित भावनाओं को भी आशा की सच्ची रोशनी—यीशु के वादों के द्वारा समेटा और मुक्त किया जा सकता है।

परमेश्वर का सबसे सांत्वनादायक प्रतिज्ञा

वर्षों पहले, हमारे परिवार ने फोर कॉर्नर(Four Corners) का दौरा किया, अमेरिका में एकमात्र जगह जहां चार राज्य एक स्थान पर मिलते हैं। मेरे पति चिह्नित खंड एरिजोना में खड़े थे। हमारा सबसे बड़ा बेटा, ए.जे., यूटा में कूदा। जब हम कोलोराडो में कदम रखे तो हमारा सबसे छोटा बेटा, ज़ेवियर, ने मेरे हाथों को पकड़ लिया। जब मैं न्यू मैक्सिको में दौड़ कर गयी, ज़ेवियर ने कहा, "माँ, मैं विश्वास नहीं कर सकता कि आपने मुझे कोलोराडो में छोड़ दिया!" हम एक साथ थे और अलग थे क्योंकि हमारी हँसी चार अलग-अलग राज्यों में सुनाई दे रही थी। अब जबकि हमारे बड़े बेटे घर छोड़ चुके हैं, मैं ईश्वर के इस वादे की गहरी सराहना करती हूं कि उसके सभी लोग जहां भी जाएं, वह उनके करीब रहेगा।

 

मूसा की मृत्यु के बाद, परमेश्वर ने जब इस्राएलियों के क्षेत्र का विस्तार किया तब यहोशू को नेतृत्व के लिए बुलाया और अपनी उपस्थिति का आश्वासन दिया (यहोशू 1:1-4)। परमेश्वर ने कहा, “जैसे मैं मूसा के संग रहा वैसे ही तेरे संग भी रहूंगा; और न तो मैं तुझे धोखा दूँगा, और न तुझको छोड़ूँगा। (पद. 5)। यह जानते हुए कि यहोशू अपने लोगों के नए अगुवे के रूप में सन्देह और भय से संघर्ष करेगा, परमेश्वर ने इन वचनों पर आशा की एक नींव डाली : “क्या मैंने तुझे आज्ञा नहीं दी? हियाव बाँधकर दृढ़ हो जा; भय न खा, और तेरा मन कच्चा न हो; क्योंकि जहाँ जहाँ तू जाएगा वहाँ वहाँ तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरे संग रहेगा "(पद.9) ।

परमेश्वर भले ही हमें या हमारे प्रियजनों को कहीं भी ले जाए, कठिन समय में भी, उसका सबसे सांत्वनादायक वायदा हमें आश्वस्त करता है कि वह हमेशा मौजूद हैं।

पुत्र के प्रकाश को प्रतिबिंबित करना

मेरी मां से मेरा झगड़ा होने के बाद, उन्होंने मुझे घर से 1 घंटे की दूरी पर मिलने को सहमत हुई । जब मैं वहां पहुंचा, तो पता चला कि वह मेरे पहुंचने से पहले ही वहां से जा चुकी थी। मैंने गुस्से में, उन्हें एक संदेश लिखा। लेकिन जब मुझे लगा कि प्रभु मुझे प्यार से जवाब देने के लिए प्रेरित कर रहे हैं तो मैंने इसमें संशोधन किया। । जब मेरी मां ने वह भिन्न तरीके से लिखा हुआ संदेश पढ़ा तो उन्होंने मुझे फोन किया। उन्होंने कहा, "तू बदल गया है" । परमेश्वर ने मेरे संदेश द्वारा उन्हें प्रेरित किया वह यीशु मसीह के बारे में मुझसे पूछे जिसका अंततः परिणाम उन्होंने भी यीशु को अपना निजी उद्धारकर्ता करके स्वीकार किया। 

मत्ती 5 में यीशु ने अपने चेलों को जगत की ज्योति कहा (पद 14) फिर उसने कहा कि, “उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें।”(पद16) जैसे ही हम यीशु को अपना उद्धारकर्ता करके स्वीकारते हैं तभी हम पवित्र आत्मा की सामर्थ्य को पा लेते हैं। वह हमें बदल देता है ताकि हम जहां भी जाएं, परमेश्वर की सच्चाई और प्रेम के चमकदार गवाह बन सकें।।

पवित्र आत्मा की सामर्थ्य द्वारा हम आशा और शांति की आनंदमय ज्योति बन कर चमक सके जो प्रतिदिन यीशु के प्रतिरूप में बदलता जाता है। ऐसे में हम जो भी भला काम करते हैं - वह धन्यवाद स्वरूप आराधना में बदलता जाता है जो दूसरों को आकर्षक लगती है और जीवंत विश्वास के रूप में देखी जा सकती है। पवित्र आत्मा को समर्पित होकर - पुत्र यीशु की ज्योति को प्रतिबिंबित करते हुए हम पिता को आदर पहुंचा सकते हैं।