एक ख़ास भारतीय क्रिसमस VIC home | हमारी प्रतिदिन की रोटी Hindi Our Daily Bread

क्रिसमस और 25 दिसंबर के विषय में यह झमेला क्या है ? ऐतिहासिक रूप से पहला क्रिसमस (क्राईस्ट-मास) इ.स. 336 में कॉन्स्टनटाईन के समय में मनाया गया था । आरम्भ में पूर्वीय कलीसियाओं ने जनवरी 6 को क्रिसमस मनाया था। बहुत से विद्वान ऐसा विश्वास करते हैं कि वतर्मान तिथी (दिसंबर 25) जो (दिसंबर -17-23) के शीतकाल अयनात की तिथी के अनुसार सॅटरनालिया रोमी उत्सव के बदले में दी गई थी ।

तब से, मसीहित पश्चिम की ओर बढऩे लगी, और उसने बहुत से स्थानीय सांस्कृतिक प्रथाओं को अंगीकृत किया जो हम अभी जानते हैं कि मसीही परम्पराओं का हिस्सा बन चुका है। और जैसे वर्ष बीतते गए क्रिसमस वृक्ष् (ट्री), लठ्ठे के आकार का केक, उपहार देना, इत्यादि इस में जोड दिये गये। बाद में, जब युरोपियन भारत में आये वे इन परम्पराओं को अपने साथ लेकर आये । जब कि भारत देश के ज्यादातर भागों में ठंड के समय बर्फ नहीं पड़ता – तब भी हम आज कार्ड्स भेजते और ठंड के दृश्य और हिरण को बर्फ के बीच में वेग से दौड़ती हुई कल्पना करते है।

अभी, जैसे हम भारत में क्रिसमस मनाते है, हमने इन बहुत सी प्रथाओं को गले लगाया है और जिस “शान्ति के राजकुमार” के बारे में दूत गाते हैं, “स्वर्ग में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर मनुष्यों में शान्ति” उसे इस्तेमाल करके हम अपने आपको याद दिलाते हैं।

यह व्यंगपूर्ण लगता है, कि जब हम “शांति के राजकुमार” का उत्सव मनाते हैं, फिर भी हम फूट, लड़ाई और झगड़े के द्वारा फाडे गए हैं, और यह केवल इस संसार में नहीं परंतू हमारे घरों और परिवारों में, यहाँ तक कि हम में भी है।

इसलिए, मैं प्रार्थना करता हूँ कि जैसे हम इन मनन पाठों को पढ़ने जा रहे हैं, जिन्हे हमारे भारतीय सहयोगी ने लिखा है, हम केवल ऐसा महसूस नही करेंगें कि,” क्रिसमस हवा में है। “ आईए, हम भी उन बुजुर्ग ज्ञानी पुरुषों के समान, जो पूर्व से आये थे यीशु की खोज करें; और ऐसा हो कि हम उसकी शान्ति को अपने हृदय में अनुभव करें।

आपका क्रिसमस मसीह केन्द्रित हो।

 

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~ आनन्द का गीत गाकर अंधेरा दूर करें ~

हम में से बहुतों के लिए दिसंबर की यादे आतुर करनेवाली होती है । जिसमें आनन्द के गीत गाने का समूह हमारे घरों में आकर क्रिसमस पर्व का आनन्द बाटतें है। बच्चों के गायन वृन्द का एक भाग होने के नाते, मुझे याद आता है कि हम उत्साह के साथ रातभर गीत गाते थे, जैसे हम घर के पास पहूँचते; हम कॅरोल गाना शुरू करते थे, जिसका अर्थ था कि उस परिवार को जगाना है।

~ क्रिसमस वृक्ष का आनन्द ~

इसके पहले कि मनमोहक, विदेशी प्लास्टिक के शंकुवृक्ष उत्पात मचाए, क्रिसमस की तैयारियां जो घर में होती उसमें हमेशा कसुआरिना नामक वृक्ष (क्रिसमस ट्री) सम्मिलित होता था । बढ़ते हुए, मैं उत्सुकता से क्रिसमस के सप्ताह की बाट जोहता रहता था, ताकि ‘कुछ दिनों के लिए’ रास्ते के हर एक मोड़ पर सजाई गई दुकानों में चीजों को निहार सकूं । हम जब मोल-भाव करते , तब जाकर एक बडा़, घना, फैला हुआ पेड़ ढूँढ पाते, और फिर उसी को खरीद कर घर ले आते ।

~ सावधानी से बनाई हुई चरनी ~

क्रिसमस ऐसा समय है जब हवा में जादू होता है। रंगबिरंगी श्रृंखलाबध्द लाइट्स जगमगाती है, सब कुछ उत्साह से भरा हुआ है । सामने रखी हुई निर्जीव वस्तुएं भी जीवित होने का आभास दिए जाती है । मानो हमारी ओर टुकटुकी लगायी हो । एक बालक होने के नाते क्रिसमस के दिनों में मेरा सबसे मनचाहा काम रहता चरनी या पालने को ठीक तरह से सजाना । हर साल,घर की छत में रखे बक्से में से घास में लिपटी मिट्टी के पात्रों को नीचे लाया जाता । हर एक वस्तु गुच्छे से निकाली और खोली जाती थी ।

~ क्रिसमस के स्वादिष्ट भोजन और यादें ~

पिछली रात को ही तारा लगा दिया जाता था। क्रिसमस मौसम की पारम्परीक शुरूवात में, मेरे पिताजी, भाई और मैं, हम मिलकर हर वर्ष एक बड़ा तारा लगाते थे । जब हम सुबह उठ जाते, हम जानते थे कि खत्ते मे क्या रखा होगा । रसोई घर से आटा गुथने की आवाज हमें ललचाती थी । वह दिन कल-कले बनाने का दिन था । हमने मां की बुलाने की आवाज सुनी ; और मेज की ओर बैठ गए जैसे मानों कुछ न करने की ठानी हो । कल-कले खाने के लिए बढिया परंतु बनाने के लिए दुश्वार .

~ एक कीमती उपहार ~

क्रिसमस का मौसम और बक्षीस देना यह समानार्थी है । बच्चे ठहरे होते हैं उत्साह के साथ बक्षीस खोलने के लिए जो क्रिसमस पेड के निचे रखे होते है । इस समय में बहुत से व्यक्तिगत रीति से, पारिवारीक, कम्पनियाँ और कलीसियाएं जरूरतमंद के लिए भलाई करते हैं । इस मौसम में बहुत से कार्यक्रम जिनको जरूरत है उन पर ध्यान केंद्रित करते हुए करते हैं जैसे भोजन बाँटने, कपडे और बक्षीस देने के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है ।

~ सुबह की सभा और पुत्रत्व ~

बढ़े होते हुए, क्रिसमस दिन की चर्च सभा से जुडी मेरी सारी यादे आज भी उत्साह से भरी हुई और तरोताजा है । मुझे याद है कि मेरी मां हमे भोर के सुबह 2:00 बजे उठाकर सभा के लिए तैयार करती । हम हमारे चमकीले और उत्तम वस्त्र पहनकर तैयार होते थे, और मेरे पिता हमे अंधेरे में चर्च ले जाते थे, खाली सडक़ो पर उनकी मोटरसायकल पर । सुन्दर तरिके से सजाई गई कलीसिया, रोषणाई से भरपूर, जैसे मानो आकाशदीप की गहरे अंधकार से टक्कर में खड़ा हो ।

~ मीठा और नमकीन का आनन्द ~

क्रिसमस का बहुत से कारणों से इंतजार किया जाता है । उनमें से एक निश्चित रूप से घर में बनाएं गए मीठे और नमकीन पदार्थ, जो भारतीय परिवारों का नमूना है । क्रिसमस दिन तक पहूँचने के दौरान, हर मसीही घर में सुन्दर, स्वादिष्ट मिठाइयाँ जो स्वर्गीय महक और स्वाद से भरपूर होती हैं, उसकी सुगंध से घर भर जाता है। “नारियल की बरफी” सफेद या गुलाबी रंग की हो , घुमावदार कल-कले, गुलाब की कुकीज्’ बरफी के टुकड़ो के आकर में या शक्कर से भरपूर ‘लड्डू’- यह सब मिठाई सच्चे भोजन के प्रतिक, और केवल नमकीन से राहत मिलती है ‘मुरकू’ से बटर और मसालों के मिश्रण से बनता है ।

~ आशा उभरकर आयेगी ~

यह हमेशा से भिन्न था। मनस्थिती, माहौल, और आधारभूत शान्ति की समझ, गायकवृन्द के रूप में जिन घरों को हमने मुलाकात की । जब हमने अस्पतालों को भेट दी, रोगियों का साहस बंधाया, वे हमारे पीछे पीछे वार्ड से वार्ड तक आए, जैसे हमने परिचित क्रिसमस गीत गाये । हमने छोटे बच्चों को देखा जो क्रिसमस दिन में अस्पताल में बिस्तर पर पड़े थे, एक बिमारी से या दुसरे से । परन्तु हम तो थोडे समय के लिए वहाँ पर थे, उनकी आँखे जगमगाई, उन्होंने नन्हें हाथों से तालियाँ बजाई, और उन्होंने कॅरोल की आवाज का आनन्द उठाया, हंसी की माला पहने ।

~ नए वस्त्र से भी बढक़र ~

क्रिसमस ऐसा मासैम है जब हम हमारे शहरों, सडक़ो, और घरों को ही नहीं परन्तु अपने आपको भी सुशोभित करें । जब बात शरीर को लपेटने की आती है जो कि पवित्रता है , उसे पिछले मौसम से भी अच्छे पोशाक के साथ आकर्षित बनाना है , एक बच्चे के रूप में याद करता हूँ, शो रूम के पुतले को देखते हुए, और आश्चर्य करते हुए कि पुतले का पोशाक मुझ पर कितना उत्तम दिखेगा ।

~ तेज चमकीला तारा ~

बचपन से ही, दिसंबर महिना हमेशा से मेरा साल का पसंदिदा महिना रहा । मै हमेशा दिसंबर के पहले दिन की प्रतीक्षा रकिया कती । जैसी मेरी पाठशाला में छुट्टिया होती मेरा दिल खुशी से नाचने लगता, उमंग के साथ मै रुकी रहती, एक पेपर का लालटेन जो बिलकुल तारे समान दिखाई देता था उसके लिए । रविवार के पूर्व हमने उसे बाजार से खरीदा था, और मेरे पिताजी ने मुझे कांधो पर उठाकर उस तारे को लटकाने के लिए कहा, उससे मेरा हृदय उत्साहित हो उठा। जबकि अड़ोसपड़ोस में हमारे अकेला का घर ही एक मसीही घर था। सारे पडोस के बच्चे मेरे घरमें इकठ्ठा होकर उस तारे को देखते रहते, जैसे वह अपनी महिमा में चमक रहा हो ।