शायद आपने वह टीवी विज्ञापन देखा है जिसमें एक व्यक्ति दरवाजे में एक बड़ा चेक प्राप्त करता है l तब प्राप्तकर्ता चिल्लाने, नाचने, कूदने, और सभों को गले लगाता है l “मैं जीत गया! मुझे विश्वास नहीं है! मेरी समस्याएँ हल हो गई हैं!” समृद्धि अत्याधिक भावनात्मक प्रतिउत्तर जगाता है l

बाइबिल के सबसे लम्बे अध्याय भजन119 में हम यह उललेखनीय कथन पढ़ते हैं : “मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानो सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूँ” (पद.14) l गज़ब की  तुलना! परमेश्वर के निर्देश मानना धन प्राप्ति की तरह हर्षित करता है! पद 16 इन शब्दों को दोहराते हुए भजनकार प्रभु की आज्ञाओं के लिए कृतज्ञ आनंद प्रकट करता है l “मैं तेरी विधियों से सुख पाऊंगा; और तेरे वचन को न भूलूंगा l”

किन्तु यदि हम ऐसा अहसास नहीं करते हैं तो? किस तरह परमेश्वर की आज्ञाओं में आनंदित होना धन प्राप्ति के बराबर आनंददायक है? यह सब धन्यवाद से आरंभ होता है, जो आचरण और चुनाव है l हम उस पर ध्यान देते हैं जिसको हम महत्व देते हैं, इसलिए हम परमेश्वर के उन उपहारों के लिए धन्यवाद दें जिससे हमारी आत्माएं तृप्त होती हैं l हम उसके वचन में बुद्धिमत्ता, ज्ञान, और शांति का भण्डार देखने हेतु हमारी आँखों को खोलने का कहें l

जब प्रतिदिन यीशु के लिए हमारा प्रेम बढ़ेगा, हम वास्तव में धनी बनेंगे!