50 वर्षों तक अपने डेन्टल लैब का मालिक होकर कार्य करने के बाद, डेव बोमैन ने सेवा निवृत होकर आराम करने की सोची । मधुमेह और हृदय शल्यचिकित्सा ने उसके निर्णय को पक्का किया । किन्तु सुडान के कुछ आवश्यकतामन्द युवा शरणार्थियों के विषय सुनकर, उन्होंने जीवन-परिवर्तन करनेवाला निर्णय किया । वह पाँच शरणार्थियों का आर्थिक संरक्षक बना ।

इन शरणार्थियों के विषय डेव ने जाना कि वे कभी भी डॉक्टर या दन्त-चिकित्सक के पास नहीं गए थे । तब एक दिन चर्च में किसी ने यह पद बताया, “यदि एक अंग दुःख उठाता है, तो सब अंग उसके साथ दुःख पाते हैं“(1 कुरिं.12:26) । यह बात उसके मन में ठहर गई। सुडान के मसीही दुःख में थे क्योंकि उनको चिकित्सीय सहायता चाहिए थी, और परमेश्वर डेव से उस समस्या में कुछ करने को कह रहा था। किन्तु क्या?

उम्र और अस्वस्थता के बावजूद, डेव ने सुडान में एक चिकित्सा केन्द्र बनाना चाहा । परमेश्वर ने लोग और श्रोत दिये, और 2008 में मेमोरियल मसीही आस्पताल के दरवाजे मरीजों के लिए खुल गए । वहाँ सैंकड़ों बीमार और घायल लोगों का इलाज हो रहा है ।

मेमोरियल मसीही अस्पताल ताकीद है कि लोगों के दुःख उठाने पर परमेश्वर चिन्ता करता है । और वह हमारे समान लोगों के द्वारा अपनी चिन्ता बाँटता है-उसके बाद भी जब हम सोचते हैं कि हमारा कार्य समाप्त हो गया है।