अपनी पुस्तक द स्क्रुटेप लेटर्स में सी.एस. लूईस एक वरिष्ठ और एक कनिष्ठ शैतान की काल्पनिक वार्तालाप बताते हैं कि ठीक से एक मसीही की परीक्षा कैसे की जाए । दोनों शैतान एक मसीही का विश्वास नष्ट करना चाहते हैं । “धोखा न खाना,” वरिष्ठ ने कनिष्ठ से कहा । “हमारा अभिप्राय तब अधिक जोखिम में होता है जब एक मानव …. संसार में परमेश्वर का एक अंश भी नहीं देखने और पुर्ण परित्यक्तता के अहसास के बावजूद भी आज्ञा मानता है ।”
बाइबिल हमें लोगों के अनेक उदाहरण देती है जिन्होंने परित्यक्तता के अनुभव के बावजूद विश्वास से कार्य किया । अब्राम ने अहसास किया कि परमेश्वर की वारिस की प्रतिज्ञा अनसुनी रही(उत्प. 15:2-3)। भजनकार समस्या में उपेक्षित महसूस किया(भजन 10:1)। अय्यूब ने बड़ी परेशानी में सोचा कि परमेश्वर सम्भवतः उसे मार देगा(अय्यूब 13:15)। और यीशु ने क्रूस से पुकारा: “हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?” किन्तु हमेशा परमेश्वर विश्वासयोग्य था(उत्प. 21:1-7; भजन 10:16-18; अय्यूब 38:1-42:17; मत्ती 28:9-20)।
आप परित्यक्त हैं, यद्यपि यह विचारने के लिए शैतान आपकी परीक्षा कर सकता है, परमेश्वर सर्वदा निकट है । वह अपनों को नहीं छोड़ता है। “उसने आप ही कहा है, ’मैं तुझे कभी न छोड़ूँगा, और न कभी तुझे त्यागूँगा’ ”(इब्रा. 13:5)। हम निडर होकर कह सकते हैं, “प्रभु मेरा सहायक है, मैं न डरूँगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है“(पद.6)।