उस दिन एक मित्र मझे कुछ उत्तेजित समाचार बताते हुए 10 मिनट तक अपने 1 वर्षीय भान्जे के प्रथम कदमों के विषय बताया । वह चल सकता था! मैंने जाना कि छिपकर बातें सुननेवाला हमें कितना अजीब समझता । अधिकतर लोग चल सकते हैं । इसमें क्या बड़ी बात थी?
यह मुझे प्रभावित किया कि बचपन विशेषता का एक गुण बताता है जो जीवन के बाकी हिस्से में नहीं होती है। बच्चों के साथ हमारे व्यवहार के विषय सोचते हुए मैं उस तथ्य के लिए अधिक सराहना कर सका कि परमेश्वर ने अपने साथ हमारे सम्बन्ध का वर्णन करने के लिए “बच्चों“ का शब्द चित्र उपयोग किया । नया नियम कहता है कि हम परमेश्वर के बच्चे हैं, सम्पूर्ण अधिकार एवं अवसरों के साथ हकदार वारिस हैं(रोमियों 8:16-17)। हमें बताया गया है कि हमें परमेश्वर के परिवार में दत्तत पुत्र-पुत्रियाँ बनाने हेतु यीशु(परमेश्वर का “एकलौता“ पुत्र) आया ।
मैं कल्पना करता हूँ कि परमेश्वर मेरे आध्यात्मिक “चाल” में प्रत्येक लड़खड़ाते कदम को माता-पिता के उत्साह से देखता है जो एक बच्चा पहले कदम के रूप में लेता है ।
सम्भवतः संसार का रहस्य खुलने पर, हम बच्चों के विकास के पीछे निहित उद्देश्य जानेंगे । शायद, परमेश्वर ने अपने अनन्त प्रेम के प्रति हमें उत्साहित करने हेतु हमें ऐसे विशेष समय दिए हैं । उस प्रेम की परिपूर्णता में, संसार में हमारे अनुभव मात्र झलक हैं ।