कालेज छात्रा के रूप में मैंने उनकी पहली झलक पायी । मैं एक अति ठण्डे, शरद् ऋतु की रात शहर की रोशनी से दूर, एक भूसा-गाड़ी पर अपने शोर मचाते मित्रों के साथ जा रही थी, जब आसमान प्रकाशित हो गया और क्षितिज पर रंग बिखर गए। मैं मंत्रमुग्ध हो गई । उस रात्री से मैं उत्तरध्रुवीय प्रकाश अथवा उत्तरीय प्रकाश से मोहित रही हूँ । वह मेरे निवास स्थान से काफी दूर उत्तर में अक्सर दिखाई देते हैं, किन्तु कभी-कभी निचले अक्षांशों में भी । मैं उसे पुनः देखना चाहती हूँ । अनुकूल परिस्थितियों में, मैं अपने समान रोमांचित मित्रों से कहती हूँ, “सम्भवतः आज रात ….।”
वचन में सभी जगह, प्रकाश और महिमा प्रभु की वापसी बताते हैं । एक समय आ रहा है जब सूर्य और चन्द्रमा अनुपयोगी हो जाएंगे(यशा. 60:19)। और परमेश्वर को स्वर्गिक सिंहासन पर दर्शाते हुए, प्रेरित यूहन्ना ने लिखा, “जो उस पर बैठा है वह यशब और माणिक्य-सा दिखाई पड़ता है, और उस सिंहासन के चारों ओर मरकत-सा एक मेघधनुष दिखाई देता है”(प्रका. 4:3)।
एक जवाहिर वृत्त उत्तरीय प्रकाश का स्टीक वर्णन है। इसलिए जब कभी ऊपर आकाश में मैं महिमामय प्रकाश का प्रदर्शन देखती हूँ-चाहे वास्तव में या तस्वीर या विडियो में-मैं उसे आनेवाली बातों का पूर्वानुभव सोचती हूँ और परमेश्वर की प्रशंसा करती हूँ कि अभी भी उसकी महिमा अन्धकार को बेधती है ।