जहाँ हम रहते हैं, वर्ष का वह समय है जब पौधे उस समय तक धरती के नीचे रहकर मृत्यु को चुनौति देते हैं जब तक बाहर निकलना सुरक्षित नहीं होता। बर्फ के गिरने और धरती जमने से पूर्व वे अपने खूबसूरत फूलों को गिराकर ऐसे स्थान में आश्रय लेते हैं जहाँ अगले मौसम में बढ़ने तक अपनी ऊर्जा बचा सकें। वे मृत नहीं हैं, इसके विपरीत; वे निष्क्रिय हैं। बर्फ गलने और भूमि सामान्य होने पर, वे चमकीले रंगों और मधुर खुशबुओं के साथ आसमान की ओर अपने सिर उठाकर सृष्टिकर्ता का अभिवादन करेंगे।
हम कभी-कभी निष्क्रिय अवस्था में चले जाएँ, जीवनऋतुओं की अनिवार्यता है। हम मृत नहीं हैं, किन्तु हम महसूस करेंगे हम अदृश्य हो गए हैं। ऐसे समय में हम व्यर्थ महसूस कर सकते हैं, और हम सोचेंगे क्या परमेश्वर हमें पुनः कभी उपयोग करेगा। किन्तु यह हमारी सुरक्षा और तैयारी हेतु हैं। सही समय और सुरक्षित स्थिति आने पर, परमेश्वर हमें पुनः सेवा और आराधना हेतु बुलाएगा।
मूसा के जीवन में ऐसा समय आया। मिस्री की हत्या करने के बाद जिसने संगी इब्री की हानि की थी, मूसा को अपना जीवन बचाने हेतु दूर मिद्यान देश भागना पड़ा(निर्ग. 2:11-22)। वहाँ, परमेश्वर ने उसको सुरक्षा देकर उसके जीवन की सबसे बड़ी जिम्मदारी के लिए तैयार किया(3:10)।
इसलिए उत्साहित हों। हम परमेश्वर के समक्ष कभी भी अदृश्य नहीं हैं।