अपने वर्तमान घर में प्रवेश के समय, मैंने हंसों की खूबसूरती देखी जिनके घोंसले निकट ही थे l मैंने उनके परस्पर देखभाल को, जल में सीधी पंक्ति में तैरने को एवं V के आकार में आसमान में उड़ने को सराहा l उनका बच्चों का लालन-पालन करना भी आनंददायक था l

गर्मी आने पर मुझे इन हंसों के विषय कम खुबसूरत सत्य ज्ञात हुआ l हंस घास खाते हैं और आपका घास का मैदान ख़राब हो जाए इसकी उन्हें चिंता नहीं l इससे भी बदतर, अपने पीछे गन्दगी छोड़ जाते हैं जो एक अप्रिय अनुभव होता है l

कठिन लोगों के साथ व्यवहार करते समय मैं इन हंसों के विषय विचारता हूँ l कभी-कभी इन्हें अपने जीवन से बहार करना चाहता हूँ l उसी समय परमेश्वर मुझे याद दिलाता है कि सबसे कठिन व्यक्ति में भी खूबसूरती है, यदि निकट जाकर खोजें, और उनकी प्रगट कठिनाई उनके भीतरी कठिनाई का प्रगटीकरण है l रोमियों में पौलुस प्रेरित कहता है, “तुम भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो”(12:18) l इसलिए मैं परमेश्वर से दूसरों के “कठोर भाग” हेतु धीरज मांगता हूँ l इससे हमेशा अच्छा परिणाम नहीं मिलता, किन्तु यह असाधाण है कितनी बार परमेश्वर संबंध ठीक करता है l

कठिन लोगों का सामना करते समय, परमेश्वर के अनुग्रह से हम उसकी आँखों से उनको देख सकते हैं एवं प्यार कर सकते हैं l