मैं दूसरे विश्व युद्ध में पैराशूट द्वारा उतारे जानेवाले कुत्तों की कहानी से चकित हूँ l डी-डे (जून 6, 1944) की तैयारी में, मित्र सेना को बारूदी सुरंगों का पता लगाने हेतु कुत्तों की तरह पहचानने की तेज शक्ति चाहिए थी जिससे आनेवाले खतरे के प्रति सेना को चौकन्ना किया जा सके l और कुत्तों को सेना तक केवल पैराशूट द्वारा ही उतारा जा सकता था l किन्तु कुत्ते सहज-ज्ञान से ऐसा करने से डरते हैं – और वास्तव में केवल वे नहीं l फिर भी हफ़्तों प्रशिक्षण के बाद, कुत्तों ने अपने स्वामियों की आज्ञा पर कूदने का भरोसा कर लिया l

मैं विचार करता हूँ कि क्या हममें से कोई चुनौतीपूर्ण कार्य करने हेतु अपने स्वामी पर पर्याप्त भरोसा करते हैं जो हम सहज-ज्ञान से नहीं करते या जिससे हम भय खाते हैं l हमें परेशान करनेवालों के साथ हम सहज-ज्ञान से उदार, क्षमाशील, या धीरजवंत नहीं होते हैं l फिर भी यीशु हमें उसके राज्य की उन्नत्ति के लिए कठिन कार्य करने हेतु आज्ञा देता है l ऐसे कहा जाए, “जिस मार्ग से मुझे चलना है, वह मुझ को बता दे” (भजन 143:8) l

इन आज्ञाकारी कुत्तों ने अपनी बहादुरी के लिए ईनाम पाए l मैं विश्वास करता हूँ हम भी किसी दिन “शाबाश” शब्द सुनेंगे क्योंकि हमने भी कूदने के लिए अपने स्वामी पर भरोसा किया जब उसने कहा, “कूदो!”