क्रिसमस वर्ष का वह समय है जो सिद्ध बनने का तनाव बढ़ाता है l हम सिद्ध उत्सव की कल्पना करके इसके लिए सर्वोत्तम प्रयास करते हैं l हम सम्पूर्ण उपहार खरीदते हैं, सर्वोतम भोजन बनाते हैं, सर्वोतम अभिनन्दन कार्ड खरीदते हैं अथवा सर्वोत्तम पारिवारिक पत्र लिखते हैं l किन्तु हम निराश होते हैं जब सर्वोत्तम कल्पना की हमारी योग्यता उसे कार्यावन्वित करने में अक्षम होती है l सावधानीपूर्वक चयनित उपहारों को केवल उदासीन धन्यवाद मिलता है l भोजन का कुछ भाग बिगड़ जाता है l अभिनन्दन कार्ड भेजने के बाद हमें उनमें लेखन त्रुटी मिलती हैं l बच्चे खिलौनों के लिए लड़ते हैं l वयस्क पुरानी बहस आरंभ करते हैं l
निराशा की जगह, हालाँकि, हम अपनी निराशाओं का उपयोग स्वयं को क्रिसमस की विशेषता याद दिलाने हेतु कर सकते हैं l हमें क्रिसमस की ज़रूरत हैं क्योंकि हममें से कोई भी एक माह, एक सप्ताह, अथवा एक दिन के लिए भी अपनी इच्छानुकूल नहीं बन सकता l मसीह के जन्म का उत्सव कितना अर्थपूर्ण बन जाएगा यदि हम पूर्णता का अपना अपुर्ण विचार छोड़कर, उद्धारकर्ता की पूर्णता पर ध्यान करें, जिसमें हम धर्मी बनते हैं (रोमि.3:22) l
यदि आपका इस वर्ष का क्रिसमस आदर्श से कम है, ठहरें, और यह ताकीद रहे कि मसीह की धार्मिकता में विश्वास संग जीने से ही “सर्वदा के लिए सिद्ध” (इब्रा. 10:14) बनाता है l