जब लोग धरती में सुराख़ करते हैं, आमतौर पर इसके द्वारा पत्थर के नमूने, तेल अथवा जल निकाला जाता है l
यशायाह 12 में, हम सीखते हैं कि परमेश्वर चाहता था कि उसके लोग, जो आध्यत्मिक मरुभूमि और भुगौलिक मरुभूमि में रहते थे, “उद्धार के कूँए” खोजें l”नबी यशायाह परमेश्वर के उद्धार की तुलना कूँआ से किया जिसमें से सबसे ताज़ा जल निकाला जा सकता है l अनेक वर्षों तक अपनी पीठ परमेश्वर की ओर करने के बाद, यहूदा राष्ट्र को दासत्व में जाना ही था जब परमेश्वर ने विदेशी आक्रमणकारियों को देश को जीतकर लोगों को तितर-बितर करने की अनुमति दी l फिर भी, नबी यशायाह कहता है, चिह्न के रूप में कि परमेश्वर उनके साथ है, उत्तरजीवी आखिरकार अपने जन्मभूमि लौटेंगे (यशायाह 11:11-12) l
यशायाह 12 में एक गीत है, प्रतिज्ञा, विशेषकर उद्धार की प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए परमेश्वर की विश्वासयोग्यता के लिए धन्यवाद l यशायाह ने लोगों को उत्साहित किया कि परमेश्वर के गहरे “उद्धार के कूँओं” से वे उसके अनुग्रह, सामर्थ्य और आनंद के ठन्डे जल का अनुभव करेंगे (पद. 1-3) l ये उनके हृदयों को तरोताज़ा और सामर्थी बनाएगा और इससे परमेश्वर की प्रंशंसा और धन्यवाद होगी (पद. 4-6) l
परमेश्वर हर एक से चाहता है कि अंगीकार और मन फिराव द्वारा उसके उद्धार के अनंत कूँए से आनंद के गहरे, ठन्डे जल प्राप्त करें l