axolotl एक जलथलचर जीव विज्ञान सम्बन्धी पहेली है l वयस्क बनने की बजाए, यह कीड़ा पूरा जीवन मेंढ़क के बच्चे की तरह रहता है l लेखक और दार्शनिक इस जीव को विकास करने से डरने वाले के चिह्न के रूप में उपयोग करते हैं l

इब्रानियों 5 में हम ऐसे मसीहियों के विषय पढ़ते हैं जो स्वस्थ विकास से दूर भाग रहे थे, और नए मसीहियों का भोजन अध्यात्मिक “दूध” से संतुष्ट थे l शायद सताव के भय से, वे मसीह के प्रति विश्वासयोग्यता में उत्तत्ति नहीं कर रहे थे जो उन्हें दूसरों के लिए उसके साथ दुःख उठाने में सामर्थी बना सकता था (पद.7-10) l इसके बदले वे मसीह के सामान अपने पूर्व आचरण से पीछे फिसल रहे थे (पद. 6:9-11) l वे आत्म-बलिदान रुपी ठोस भोजन हेतु तैयार नहीं थे (5:14) l इसलिए लेखक लिखता है, “पर हम बहुत चाहते हैं कि तुम में से हर एक जन अंत तक पूरी आशा के लिए ऐसा ही प्रयत्न करता रहे” (पद.11) l

axolotl सृष्टिकर्ता द्वारा निर्धारित नमूना का अनुसरण करता है l किन्तु मसीह के अनुयायी आत्मिक परिपक्वता के लिए रचे गए हैं l बढ़ते समय हमें ज्ञात होता है कि उसमें बढ़ने का अर्थ हमारी शांति एवं आनंद से बढ़कर है l

उसकी समानता में बढ़ना परमेश्वर को महिमा देता है जब हम स्वार्थहीन रूप से दूसरों को उत्साहित करते हैं l