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Articles by कीला ओकोआ

न समझाया जा सकने योग्य प्रेम

हमारी छोटी सी मण्डली ने मेरे पुत्र को उसके छटवें जन्मदिन पर उसे आश्चर्यचकित करने का निर्णय किया l कलीसिया के सदस्यों ने उसके सन्डे स्कूल क्लासरूम को गुब्बारों से सजाया और एक छोटे मेज़ पर एक केक रखा l जब मेरे बेटे ने दरवाजा खोला, सभी ने चिल्लाया, “जन्मदिन मुबारक!”

बाद में, जब मैं केक को काट रही थी, मेरा बेटा आकर मेरे कान में फुसफुसाया, “माँ, क्यों सभी लोग यहाँ पर मुझे प्यार करते हैं?” मेरे पास भी वही प्रश्न था! ये लोग हमें केवल छः महीने से जानते थे किन्तु हमसे ऐसा बर्ताव कर रहे थे जैसे बहुत समय से हम उनके मित्र थे l

मेरे पुत्र के लिए उनका प्रेम हमारे लिए परमेश्वर के प्रेम की झलक थी l हम नहीं समझ सकते वह क्यों हमसे प्रेम करता है, किन्तु वह करता है-और उसका प्रेम मुक्त भाव से दिया जाता है l हमने उसका प्रेम पाने के योग्य कुछ नहीं किया है, और फिर भी वह हमसे  भरपूर रीति से प्रेम करता है l बाइबल हमसे कहती है : “परमेश्वर प्रेम है” (1 यूहन्ना 4:8) l यह परमेश्वर के व्यक्तित्व का एक भाग है l 

परमेश्वर ने अपना प्रेम हमारे ऊपर इसलिए उंडेला है ताकि हम दूसरों के प्रति ऐसा ही प्रेम दिखा सकें l यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो l यदि आपस में प्रेम रखोगे, तो इस से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो” (यूहन्ना 13:34-35) l

हमारी छोटी कलीसिया समुदाय के लोग हमसे प्रेम करते हैं क्योंकि उनमें परमेश्वर का प्रेम है l वह उनमें से होकर चमकता है और यीशु के अनुयायियों के रूप में उनकी पहचान कराता है l हम पूरी तौर से परमेश्वर के प्रेम को समझ नहीं सकते हैं, किन्तु हम दूसरों पर उंडेल सकते हैं- न समझाया जा सकने योग्य उस प्रेम का नमूना बनकर l

प्रेम की सुन्दरता

“जाराब टपैटियो” जिसे मैक्सिको के हैट डांसर के रूप में भी जाना जाता है, में रोमांस का आनन्द होता है। इस अपबीट डांस के दौरान, पुरुष अपना टोप भूमी पर रख देता है। अन्त में एक महिला उस टोप को उठा लेती है और अपने चुम्बन के रोमांस को गुप्त रखने के लिए दोनों इस टोप के पीछे छिप जाते हैं।

यह डांस मुझे विवाह में विश्वासयोग्यता की महत्वपूर्णता का स्मरण करवाता है। नीतिवचन 5 में अनैतिकता के ऊँचे मूल्य के बारे में बात करने के पश्चात, हम पढ़ते हैं कि विवाह विशिष्ट है। “तू अपने ही कुण्ड से पानी, और अपने ही कूएँ के सोते का जल पिया करना” (पद 15)। मंच पर दस दम्पत्ति जाराब डांस करते हैं, फिर भी प्रत्येक व्यक्ति का ध्यान अपने ही साथी पर केन्द्रित रहता है। हम अपने विवाहित साथी के साथ एक गहन और अविभाजित समर्पण का आनन्द ले सकते हैं (पद 18)।

हमारे रोमांस पर भी ध्यान दिया जा रहा है। डांसर, जब वे अपने साथी के साथ आनन्द मना रहे हैं, जानते हैं कोई देख रहा है। उसी प्रकार, हम पढ़ते हैं कि “क्योंकि मनुष्य के मार्ग यहोवा की दृष्‍टि से छिपे नहीं हैं, और वह उसके सब मार्गों पर ध्यान करता है” (पद 21)। परमेश्वर हमारे विवाहों को सुरक्षित रखना चाहता है, इसलिए वह निरन्तर हमें देख रहा है। परमेश्वर करे कि हम एक दूसरे के प्रति विश्वासयोग्यता दिखाने के द्वारा उसे प्रसन्न करें।

ठीक जाराब के समान जीवन में भी एक ताल का पालन करना अनिवार्य है। जब हम उसके प्रति विश्वासयोग्य रहने के द्वारा अपने सृष्टिकर्ता के साथ ताल में रहते हैं-चाहे हम विवाहित या अविवाहित हों-हम आशीष प्राप्त करेंगे।

सर्वोच्च स्थान

मेरे पति ने एक मित्र को चर्च बुलाया l आराधना के बाद उनके मित्र ने कहा, “मुझे गीत और वातावरण अच्छे लगे, किन्तु मुझे समझ में नहीं आता l आप यीशु को आदर का इतना ऊँचा स्थान क्यों देते हैं?” मेरे पति ने तब उसे समझाया कि मसीहियत मसीह के साथ एक रिश्ता है l उसके बिना, मसीहियत अर्थहीन हो जाता है l यीशु ने हमारे जीवनों में जो किया है उसी कारण हम इकठ्ठा होते और उसकी स्तुति करते हैं l

यीशु कौन है और उसने क्या किया है? प्रेरित पौलुस ने इस प्रश्न का उत्तर कुलुस्सियों 1 में दिया है l किसी ने परमेश्वर को नहीं देखा है, किन्तु यीशु उसे प्रतिबिंबित करने और प्रगट करने आया (पद.15) l परमेश्वर का पुत्र होकर, यीशु, हमारे लिए मृत्यु सहने और हमें पाप से छुड़ाने आया l पाप ने हमें परमेश्वर की पवित्रता से अलग कर दिया है, इसलिए किसी सिद्ध के द्वारा ही मेल हो सकता था l वही यीशु था (पद.14,20) l अर्थात्, यीशु ने हमें वह दिया जो कोई नहीं दे सकता था – परमेश्वर और अनंत जीवन तक पहुँच (यूहन्ना 17:3) l

क्यों वह इतने आदर के उच्च स्थान के योग्य है? उसने मृत्यु को पराजित किया l उसने अपने प्रेम और बलिदान से हमारे हृदयों को जीत लिया l वह हमें प्रतिदिन नयी सामर्थ्य देता है l वह हमारे लिए सब कुछ है?

हम उसकी महिमा करते हैं क्योंकि वह उसके योग्य है l हम उसे ऊँचा उठाते हैं क्योंकि वही उसका सही स्थान है l हम उसे अपने हृदयों में सर्वोच्च स्थान दें l

शांत गवाह

एमी एक बंद देश में रहती है जहाँ सुसमाचार प्रचार करना निषेध है l वह एक प्रशिक्षित नर्स है और एक बड़े हॉस्पिटल में नौकरी करती है, जहां नवजात शिशुओं की देखभाल की जाती है l वह इतनी समर्पित है कि उसका कार्य प्रगट है, और बहुत सी महिलाएँ उसके विषय उत्सुक हैं l वे उससे व्यक्तिगत रूप से प्रश्न पूछने को विवश होती हैं l ऐसे समय में एमी खुले तौर पर अपने उद्धारकर्ता के विषय साझा करती है l
उसके अच्छे काम का कारण, कुछ सहकर्मी ईर्ष्या करते हुए उसपर कुछ दवाईयाँ चोरी करने का दोष लगाया l उसके अधिकारियों ने उनकी बातों पर विश्वास नहीं किया, और अधिकारियों ने आख़िरकार दोषी को खोज लिया l इस घटना ने साथी नर्सों को उससे उसके विश्वास के विषय पूछने लगीं l उसका उदाहरण मुझे पतरस की बातें याद दिलाते हैं, "हे प्रियों, . . . . अन्यजातियों(गैर-मसीहियों) में तुम्हारा चाल-चलन भला हो; ताकि जिन-जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जानकार बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देखकर उनके कारण कृपा-दृष्टि के दिन परमेश्वर की महिमा करें" (2 पतरस 2:11-12) l
घर पर, हमारे काम के माहौल में, या स्कूल में हमारे दैनिक जीवन दूसरों पर प्रभाव डालते हैं जब हम परमेश्वर को अपने अन्दर काम करने देते हैं l हम उन लोगों से घिरे हुए होते हैं जो हमारे बातचीत और व्यवहार पर ध्यान देते हैं l हम परमेश्वर पर भरोसा रखकर उसे अपने कार्यों और विचारों पर अधिकार रकने दें l तब जो अविश्वासी हैं उनको हम प्रभावित करेंगे और संभवतः कुछ यीशु में विश्वास करेंगे l

अनेक सुन्दर बातें

अपनी मृत्यु से ठीक पहले, कलाकार और मिशनरी, लिलिआस ट्रोटर ने खिड़की से बाहर झाँका और एक स्वर्गिक रथ का दर्शन देखा l उसकी जीवनी लिखनेवाले मित्र ने पूछा, “क्या आप बहुत सुन्दर वस्तुएँ देख रही हैं?” उनका उत्तर था, “हाँ, बहुत, बहुत सुन्दर वस्तुएँ l”

ट्रोटर के अंतिम शब्द उनके जीवन में परमेश्वर के कार्य दर्शाते हैं l केवल मृत्यु में ही नहीं, किन्तु उसने उसके सम्पूर्ण जीवन में, उस पर और उसके द्वारा बहुत सुन्दर बातें दर्शायीं l कुशल कलाकार होकर भी, उसने अल्जीरिया में यीशु का मिशनरी होने का चुनाव किया l प्रसिद्ध चित्रकार, जॉन रस्किन, और उसका शिक्षक टिप्पणी करता है, “कितना अधिक नुक्सान हुआ” उसने चित्रकारी में आजीविका बनाने की जगह मिशन क्षेत्र को चुना l

उसी प्रकार, नए नियम में, एक स्त्री शमौन के घर पर संगमरमर के पात्र में बहुमूल्य इत्र  लेकर आयी और वहां उपस्थित यीशु के पांवों पर उंडेल दी, जिसे वहां बैठे लोगों ने बर्बादी कहा l इस बहुमूल्य इत्र की कीमत एक वर्ष की सामान्य मजदूरी के बराबर था, इस कारण वहां उपस्थित कुछ लोगों का विचार था कि उसे बेचकर गरीबों की मदद की जा सकती थी l हालाँकि, यीशु ने उसके प्रति इस स्त्री की गहरी भक्ति पर टिप्पणी करते हुए कहा, “इसने मेरे लिए एक सुन्दर कार्य किया है” (मरकुस 14:6(BSI/Hindi-C.L.) l

प्रतिदिन, मसीह का जीवन हमारे जीवनों से चमके और संसार पर उसकी खूबसूरती दर्शा सके l कुछ लोगों के लिए यह बर्बादी होगी, किन्तु हमारे अन्दर उसकी सेवा करने की इच्छा होनी चाहिए l काश यीशु कह सके कि हमने उसके लिए अनेक खूबसूरत काम किये हैं l

निरन्तर सेवा करो

जब शिक्षा मनोवैज्ञानिक बेंजामिन ब्लूम ने शोध की कि कैसे युवाओं में प्रतिभा विकसित की जाए, तो 120 विशिष्ट अदाकारों-धावकों, कलाकारों और विद्वानों-के बचपन में देखकर पाया कि सबमें एक समानता थी: उन्होंने लंबे समय तक कठोर अभ्यास किया था।

उनके अनुसार जीवन के किसी भी क्षेत्र में बढ़ने के लिए अनुशासन आवश्यक है। परमेश्वर के साथ संबंध में भी नियमित रूप से उनके साथ समय बिताने के आत्मिक अनुशासन से हम विश्वास में बढ़ सकते हैं।

परमेश्वर के साथ अनुशासित संबंध होने का दानिय्येल एक अच्छा उदाहरण हैं। युवावस्था में ही वह चौकस और बुद्धिपूर्ण निर्णय लेने लगा (1:8)। वह नियमित रूप से “परमेश्वर को धन्यवाद" देते हुए प्रार्थना करता था (6:10)। परमेश्वर की खोज में नित रहने के परिणाम स्वरूप उसके आस-पास लोग उसके विश्वास को पहचान लेते थे। वास्तव में, राजा ने दानिय्येल को "जीवित परमेश्वर का दास" और "निरन्तर" परमेश्वर की सेवा करने वाला व्यक्ति कहा ((पद 16, 20)।

हमें भी परमेश्वर की आवश्यकता है। परमेश्वर हमारे भीतर कार्य करते हैं जिससे हमारे भीतर उनके साथ समय बिताने का प्रभाव उत्पन हो! (फिलिप्पियों 2:13)। आइए हम प्रतिदिन इस विश्वास से परमेश्वर के सामने आयें, कि उसके साथ बिताए समय के परिणाम स्वरूप हमें अधिक उमड़ता प्रेम मिलेगा और मुक्तिदाता को जानने और समझने में हम बड़ेंगे (1:9-11)।

अति प्रिय घर

 

“हमें अपना घर छोड़कर क्यों कहीं और जाना पड़ता है?” मेरे बेटे ने पूछा l विशेषकर एक पाँच वर्ष के लड़के को समझाना कठिन है कि घर क्या होता है l हम एक मकान छोड़ रहे थे किन्तु अपना घर नहीं, अर्थात् एक अर्थ में घर वह है जहां हमारे प्रिय लोग रहते हैं l यह वह स्थान है जहां हम एक लम्बी यात्रा के बाद या एक व्यस्त दिन के काम के बाद लौटना पसंद करते हैं l

जब यीशु अपनी मृत्यु के कुछ घंटे पूर्व ऊपर वाले कमरे में था, उसने अपने शिष्यों के कहा, “तुम्हारा मन व्याकुल न हो” (यूहन्ना 14:1) l शिष्य अपने भविष्य के विषय अनिश्चित थे क्योंकि यीशु ने अपनी मृत्यु के विषय भविष्यवाणी की थी l किन्तु यीशु ने उनको अपनी उपस्थिति के विषय निश्चित किया और उनको याद दिलाया कि वे उसे फिर देखेंगे l उसने उनसे कहा, “मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं . . . . मैं तुम्हारे लिए जगह तैयार करने जाता हूँ” (पद.2) l वह स्वर्ग का वर्णन करने के लिए दूसरे शब्दों का उपयोग कर सकता था l हालाँकि, उसने उन शब्दों का चुनाव किया जो एक असुविधाजनक और अपरिचित स्थान नहीं किन्तु ऐसा स्थान होगा जहां हमारा प्रिय, यीशु होगा l

सी.एस. ल्युईस लिखते हैं, “हमारा पिता हमारी यात्रा में हमें कुछ आरामदायक सराय में ले जाकर तरोताज़ा करता है, किन्तु वह नहीं चाहता कि हम उन्हें घर समझें l हम जीवन में आरामदायक सरायों के लिए उसको धन्यवाद दे सकते हैं, किन्तु याद रखें कि हमारा वास्तविक घर स्वर्ग में हैं जहां हम “सदा प्रभु के साथ रहेंगे” (1 थिस्स. 4:17) l

अनेक वरदान, एक उद्देश्य

मक्का, जिसे भुट्टा भी कहा जाता है, मेरे गृह देश मैक्सिको का मुख्य भोजन है l और यह अनेक प्रकार का होता है l आप पीला, भूरा, लाल और काले गुच्छे वाला और अद्भुत चित्तीदार रूप वाला मक्का भी देख सकते हैं l किन्तु शहरी लोग चित्तीदार मक्का खाना पसंद नहीं करते हैं l रेस्टोरेंट के मालिक और शोधक आमादो रामरिज़ समझाते हैं कि उन लोगों के अनुसार एकरूपता(बराबरी) गुणवत्ता का पर्यायवाची है l फिर भी चित्तीदार मक्का स्वाद में अच्छा होता है और वे इससे बढ़िया मालपुआ/चिल्ला बनाते हैं l

मसीह की कलीसिया एक ही रंग और प्रकार के मक्के की तुलना में इस चित्तीदार मक्के की तरह ही है l प्रेरित पौलुस ने देह का अलंकार उपयोग करते हुए कलीसिया का वर्णन करता है, क्योंकि यद्यपि हम सब एक देह हैं, और हमारा परमेश्वर भी एक है, हममें से प्रत्येक को एक भिन्न वरदान मिला है l जैसे पौलुस कहता है, “वरदान तो कई प्रकार के हैं, परन्तु आत्मा एक ही है; और सेवा भी कई प्रकार की है परन्तु प्रभु एक ही है; और प्रभावशाली कार्य कई प्रकार के हैं, परन्तु परमेश्वर एक ही है, जो सब में हर प्रकार का प्रभाव उत्पन्न करता है” (1 कुरिन्थियों 12:5-6) l हमारे परस्पर सहायता करने के तरीकों में हमारी एकता परमेश्वर की उदारता और रचनात्मकता दर्शाती है l

अपनी विविधता को स्वीकार करते समय, हमारा प्रत्येक प्रयास हमारे विश्वास और उद्देश्य में हमारी एकता को बनाए रखे l अवश्य ही, हमारी योग्यताओं और पृष्ठभूमि में अंतर है l हम अलग-अलग भाषा बोलते हैं और अलग-अलग देश से आते हैं l किन्तु हम सब का एक ही अद्भुत परमेश्वर, अर्थात् सृष्टिकर्ता है जो इस विविधता से आनंदित होता है l

साथ-साथ

प्राचीन काल में, टूटी दीवारों वाला शहर खतरा और शर्म के साथ-साथ पराजित लोगों का चिन्ह होता था l इसी कारण यहूदियों ने यरूशलेम की दीवारों का पुनः निर्माण किया l कैसे? पास-पास रहकर कार्य करते हुए, जो नहेम्याह 3 में खूबसूरती से व्यक्त है l

पहली झलक में, अध्याय 3 पुनः निर्माण में किसने क्या किया का उबाऊ वर्णन महसूस हो सकता है l हालांकि, निकट अवलोकन स्पष्ट करता है कि लोग किस तरह एक दुसरे के निकट  रहकर कार्य किए l याजक लोग शासकों के निकट रहकर कार्य कर रहे थे l इत्र बनानेवालों के साथ-साथ सुनारों ने भी कार्य किया l निकट के शहरों के लोग भी सहायता करने आ गए l दूसरों ने अपने घरों के सामने मरम्मत की l जैसे, शल्लूम की बेटियों ने पुरुषों के साथ कार्य में सहयोग दिया (3:12), और तकोइयों की तरह, कुछ लोगों ने दो भागों की मरम्मत की (पद.5,27) l

इस अध्याय से दो  बातें स्पष्ट हो जाती हैं l पहली, एक सामूहिक कार्य के लिए सभी ने  साथ-साथ काम किया l दूसरी बात, दूसरों की तुलना में किसने कितना अधिक अथवा कम किया की जगह उस काम को पूर्ण करने के लिए सभी की सराहना की गयी है l

आज हम बिगड़े परिवार और टूटा समाज देखते हैं l किन्तु यीशु लोगों के जीवन को बदल कर  परमेश्वर के राज्य को बनाने आया था l हम लोगों को, यीशु में आशा और नया जीवन देकर अपने पड़ोस का पुनः निर्माण कर सकते हैं l हम सभी को कुछ करना ही है l इसलिए काम छोटा या बड़ा हो, हम साथ-साथ रहकर अपना उत्तरदायित्व पूरा करते रहें जिससे हम प्रेमी समाज की रचना कर पाएंगे जहाँ लोग यीशु से मिल सकेंगे l