हमारी छोटी सी मण्डली ने मेरे पुत्र को उसके छटवें जन्मदिन पर उसे आश्चर्यचकित करने का निर्णय किया l कलीसिया के सदस्यों ने उसके सन्डे स्कूल क्लासरूम को गुब्बारों से सजाया और एक छोटे मेज़ पर एक केक रखा l जब मेरे बेटे ने दरवाजा खोला, सभी ने चिल्लाया, “जन्मदिन मुबारक!”

बाद में, जब मैं केक को काट रही थी, मेरा बेटा आकर मेरे कान में फुसफुसाया, “माँ, क्यों सभी लोग यहाँ पर मुझे प्यार करते हैं?” मेरे पास भी वही प्रश्न था! ये लोग हमें केवल छः महीने से जानते थे किन्तु हमसे ऐसा बर्ताव कर रहे थे जैसे बहुत समय से हम उनके मित्र थे l

मेरे पुत्र के लिए उनका प्रेम हमारे लिए परमेश्वर के प्रेम की झलक थी l हम नहीं समझ सकते वह क्यों हमसे प्रेम करता है, किन्तु वह करता है-और उसका प्रेम मुक्त भाव से दिया जाता है l हमने उसका प्रेम पाने के योग्य कुछ नहीं किया है, और फिर भी वह हमसे  भरपूर रीति से प्रेम करता है l बाइबल हमसे कहती है : “परमेश्वर प्रेम है” (1 यूहन्ना 4:8) l यह परमेश्वर के व्यक्तित्व का एक भाग है l 

परमेश्वर ने अपना प्रेम हमारे ऊपर इसलिए उंडेला है ताकि हम दूसरों के प्रति ऐसा ही प्रेम दिखा सकें l यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो l यदि आपस में प्रेम रखोगे, तो इस से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो” (यूहन्ना 13:34-35) l

हमारी छोटी कलीसिया समुदाय के लोग हमसे प्रेम करते हैं क्योंकि उनमें परमेश्वर का प्रेम है l वह उनमें से होकर चमकता है और यीशु के अनुयायियों के रूप में उनकी पहचान कराता है l हम पूरी तौर से परमेश्वर के प्रेम को समझ नहीं सकते हैं, किन्तु हम दूसरों पर उंडेल सकते हैं- न समझाया जा सकने योग्य उस प्रेम का नमूना बनकर l