सबसे बड़ा उपहार
वर्षों से मेरी सहेली बारबरा ने मुझे अनगिनत (उत्साहवर्धक) कार्ड्स और विचारशील उपहार दिए हैं। जब मैंने उसे बताया कि मैंने यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार कर लिया है तो उसने मुझे अब तक का सबसे बड़ा उपहार दिया-मेरी पहली बाइबल। उसने कहा. “परमेश्वर से प्रतिदिन मिलने, पवित्रशास्त्र पढ़ने, प्रार्थना करने और उस पर भरोसा रखने और उसकी आज्ञा का पालन करने के द्वारा तुम परमेश्वर की नज़दीकी और आत्मिक परिपक्वता में बढ़ती जाओगी।” मेरा जीवन बदल गया जब बारबरा ने मुझे परमेश्वर को और अच्छे से जानने के लिए आमन्त्रित किया।
बारबरा मुझे प्रेरित फिलिप्पुस की याद दिलाती है। यीशु के फिलिप्पुस को उनके पीछे चलने के लिए आमन्त्रित करने के पश्चात (यूहन्ना 1:43), उस प्रेरित ने तुरन्त अपने मित्र नतनएल को बताया कि “जिस का वर्णन मूसा ने व्यवस्था में और भविष्यद्वक्ताओं ने किया है, वह हम को मिल गया; वह यूसुफ का पुत्र, यीशु नासरी है।” (पद 45) । जब नतनएल ने सन्देह किया, तो फिलिप्पुस से वाद-विवाद, आलोचना नहीं की या अपने मित्र के लिए हार नहीं मान ली। उसने अब उसे यीशु से साक्षात रूप में मिलने के लिए आमन्त्रित किया। उसने उससे कहा “चलकर देख ले।”
मैं फिलिप्पुस के आनन्द की कल्पना कर सकती हूँ, जब उसने नतनएल को यह कहते हुए सुना कि यीशु “परमेश्वर का पुत्र” और “इस्राएल का राजा” है (पद 49) । यह जानना कितनी बड़ी आशीष है कि उसका मित्र “बड़े बड़े कामों” को देखने से चूकेगा नहीं, जिनकी प्रतिज्ञा यीशु ने की थी कि वे उन्हें देखेंगे (पद 50-51)।
पवित्र आत्मा परमेश्वर के साथ हमारे घनिष्ठ सम्बन्ध का आरम्भ करते हैं और फिर उन सब में वास करते हैं, जो विश्वास के साथ उत्तर देते हैं। वह हमें उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानने और अपने आत्मा और पवित्रशास्त्र के द्वारा प्रतिदिन उनसे मिलने के योग्य करते हैं। यीशु को और अच्छे से जानने का आमन्त्रण देने और लेने के लिए सबसे बड़ा उपहार है।
सृष्टिकर्ता और सम्भालने वाला
आवर्धक लैंस और चिमटी के साथ काम करते हुए, स्विस घड़ीसाज फिलिप्प ने सतर्कतापूर्वक मुझे बताया कि वह विशेष घड़ियों के छोटे-छोटे कलपुर्ज़ों को किस प्रकार निकालता, साफ़ करता और फिर से जोड़ता है। जटिल पुर्जों को देखते हुए फिलिप्प ने मुझे घड़ी के मुख्य पुर्जे, मुख्य स्प्रिंग, को दिखाया। मुख्य स्प्रिंग वह कलपुर्जा है, जो घड़ी को समय दिखाने के लिए सभी गरारियों को चलाता है और घड़ी को समय बताने में सहायता करता है। इसके बिना, अत्यधिक कुशलता से बनाई गई घड़ियाँ भी काम नहीं करेंगी।
नया नियम के एक सुन्दर पद्यांश में, जो इब्रानियों की पुस्तक में पाया जाता है, लेखक बहुत ही उत्तम रीति से यीशु की वह व्यक्ति होने के लिए प्रशंसा करता है जिसके द्वारा परमेश्वर ने आकाशमण्डल और पृथ्वी को बनाया था। एक विशेष घड़ी की जटिलता के समान हमारे आकाशमण्डल को यीशु ने बनाया है (इब्रानियों 1:2)। हमारे सौरमण्डल से लेकर हमारे ऊँगलियों के निशान तक, सभी वस्तुएँ उनके द्वारा ही बनाई गई हैं।
परन्तु एक सृष्टिकर्ता से अधिक, यीशु, एक घड़ी के एक मुख्य स्प्रिंग के समान सृष्टि के कार्य करने और फलने-फूलने के लिए जरूरी हैं। उनकी उपस्थिति “सब वस्तुओं को अपनी सामर्थ्य के वचन से” संभालती है (पद 3) और जो कुछ उसने बनाया है, उसे इसकी अद्भुत जटिलता में काम करते रहने के लिए बनाए रखता है।
आज जब आप सृष्टि की सुन्दरता का अनुभव करने का अवसर पाते हैं, तो याद रखें कि “सब वस्तुएँ उसी में स्थिर रहती हैं” (कुलुस्सियों 1:17)। प्रभु करे कि आकाशमण्डल को बनाने और सम्भालने में यीशु की मुख्य भूमिका का परिणाम एक आनन्द से भरा हुआ हृदय और एक प्रशंसा की एक प्रतिक्रिया हो, जब हम हमारे लिए उनकी लगातार उपलब्धता को पहचानते हैं।
चमकदार ज्योतियाँ
2015 के ग्रीष्मकाल में हमारी कलीसिया से एक समूह उस बात से बहुत ही गम्भीर हो गया, जो उन्होंने मैथरी, नैरोबी, केन्या, की एक गन्दी बस्ती में देखा। हम कच्ची भूमी के फ़र्श, जंग लगी इस्पात की दीवारों और लकड़ी के बैंच वाले स्कूल में गए। परन्तु बहुत ही गरीब परिदृश्य की पृष्ठभूमी में एक व्यक्ति असाधारण था।
उसका नाम ब्रिलियंट था, जो उसके लिए बिलकुल उपयुक्त था। वह एक प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका थी, जो आनन्द और दृढ निश्चय से भरी हुई थी, जो उसके कार्य के लिए सटीक थे। रंग-बिरंगी पौशाक पहने हुए, उसकी दिखावट और आनन्द, जिसके साथ वह वच्चों को पढ़ाती थी, हक्का-बक्का कर देने वाला था।
ब्रिलियंट अपने आस-पास के क्षेत्र में जो चमकदार ज्योति ले कर आई थी, वह उस रीति से मेल खाता है, जिस रीति से फिलिप्पी के मसीहियों को उनके जगत में रहने के लिए रखा गया था, जब प्रथम शताब्दी में पौलुस ने उनके लिए एक पत्री को लिखा था। आत्मिक जरूरत वाले जगत की पृष्ठभूमी के विपरीत, प्रभु यीशु में विश्वासियों को “जलते हुए दीपकों” के समान चमकना था (फिलिप्पियों 2:15)। हमारा कार्य बदला नहीं है। चमकदार ज्योतियों की हर जगह ज़रूरत है! यह जानना कितना उत्साहवर्धक है कि “अपनी सुइच्छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्छा और काम, दोनों बातों के करने का प्रभाव डाला है” (पद 13), ताकि यीशु में विश्वासी उस रीति से चमक सकें, जिनके लिए यीशु का वह कथन मेल खाता है, जो उनके पीछे चलते हैं। वह हमें अभी भी यह कहता है तुम जगत की ज्योति हो. . . उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने ऐसा चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में है, बड़ाई करें” (मत्ती 5:14–16)।
परमेश्वर के द्वारा घिरे
एक व्यस्त एयरपोर्ट पर एक युवा माता अकेली संघर्ष कर रही थी। उसका बच्चा बुरी तरह से चिढ़ा हुआ था-वह चिल्ला रहा था, पैर पटक रहा था और वायुयान पर चढ़ने से मना कर रहा था। घबराई हुई और गर्भवती बोझ से दबी उस युवा महिला ने हार मान ली, वह अपने चेहरे को ढक कर निराशा में फ़र्श पर ही बैठ गई थी,और उसने सुबकना शुरू कर दिया था।
अचानक ही सात महिला सहयात्रियों, सभी अजनबी, ने उस युवा महिला और उसके बच्चे के चारों ओर घेरा बना लिया और उनके साथ खाना पीना, पानी बाँटने लगे एक-दूसरे के गले लगने लगे और कुछ नर्सरी राईम्स भी गाने लगे। प्रेम से भरे उनके उस घेरे ने उस माता और बच्चे को शान्त कर दिया, जो फिर अपने वायुयान में चढ़ गए। वे महिलाएं फिर अपनी-अपनी सीट पर चली गईं, इस बात की परवाह कि उनके सहयोग ने एक युवा माता को बल प्रदान किया, जब उसे इसकी आवश्यकता थी।
यह भजन संहिता 125 के एक सुन्दर सत्य का उदाहरण प्रस्तुत करता है। “जिस प्रकार यरूशलेम के चारों ओर पहाड़ हैं” पद 2 बताता है, “उसी प्रकार यहोवा अपनी प्रजा के चारों ओर अब से लेकर सर्वदा तक बना रहेगा।” यह दृश्य हमें याद दिलाता है कि यरूशलेम कितनी हलचल वाला नगर था, जो वास्तव में पहाड़ों से घिरा था-जिनमें जैतून पर्वत और मौरियाह पर्वत शामिल थे।
उसी प्रकार परमेश्वर अपने लोगों को घेरे रखते हैं-हमारी आत्माओं का “सर्वदा” सहयोग और सुरक्षा करते हुए। इसलिए भजनकार लिखता है कि कठिन दिनों में “पर्वतों की ओर” आँखें लगाओ (भजन संहिता 121:1)। परमेश्वर प्रबल सहायता, स्थिर आशा और अनन्त प्रेम के साथ प्रतीक्षा करते हैं।