अपनी मृत्यु से ठीक पहले, कलाकार और मिशनरी, लिलिआस ट्रोटर ने खिड़की से बाहर झाँका और एक स्वर्गिक रथ का दर्शन देखा l उसकी जीवनी लिखनेवाले मित्र ने पूछा, “क्या आप बहुत सुन्दर वस्तुएँ देख रही हैं?” उनका उत्तर था, “हाँ, बहुत, बहुत सुन्दर वस्तुएँ l”

ट्रोटर के अंतिम शब्द उनके जीवन में परमेश्वर के कार्य दर्शाते हैं l केवल मृत्यु में ही नहीं, किन्तु उसने उसके सम्पूर्ण जीवन में, उस पर और उसके द्वारा बहुत सुन्दर बातें दर्शायीं l कुशल कलाकार होकर भी, उसने अल्जीरिया में यीशु का मिशनरी होने का चुनाव किया l प्रसिद्ध चित्रकार, जॉन रस्किन, और उसका शिक्षक टिप्पणी करता है, “कितना अधिक नुक्सान हुआ” उसने चित्रकारी में आजीविका बनाने की जगह मिशन क्षेत्र को चुना l

उसी प्रकार, नए नियम में, एक स्त्री शमौन के घर पर संगमरमर के पात्र में बहुमूल्य इत्र  लेकर आयी और वहां उपस्थित यीशु के पांवों पर उंडेल दी, जिसे वहां बैठे लोगों ने बर्बादी कहा l इस बहुमूल्य इत्र की कीमत एक वर्ष की सामान्य मजदूरी के बराबर था, इस कारण वहां उपस्थित कुछ लोगों का विचार था कि उसे बेचकर गरीबों की मदद की जा सकती थी l हालाँकि, यीशु ने उसके प्रति इस स्त्री की गहरी भक्ति पर टिप्पणी करते हुए कहा, “इसने मेरे लिए एक सुन्दर कार्य किया है” (मरकुस 14:6(BSI/Hindi-C.L.) l

हम प्रतिदिन यह चुनाव कर सकते हैं कि मसीह के जीवन को अपने जीवन में चमकने दें और उसकी सुन्दरता को संसार के सामने प्रदर्शित करें l कुछ लोगों के लिए यह बर्बादी होगी, किन्तु हमारे अन्दर उसकी सेवा करने की इच्छा होनी चाहिए l काश यीशु कह सके कि हमने उसके लिए अनेक खूबसूरत काम किये हैं l