जब शिक्षा मनोवैज्ञानिक बेंजामिन ब्लूम ने शोध की कि कैसे युवाओं में प्रतिभा विकसित की जाए, तो 120 विशिष्ट अदाकारों-धावकों, कलाकारों और विद्वानों-के बचपन में देखकर पाया कि सबमें एक समानता थी: उन्होंने लंबे समय तक कठोर अभ्यास किया था।

उनके अनुसार जीवन के किसी भी क्षेत्र में बढ़ने के लिए अनुशासन आवश्यक है। परमेश्वर के साथ संबंध में भी नियमित रूप से उनके साथ समय बिताने के आत्मिक अनुशासन से हम विश्वास में बढ़ सकते हैं।

परमेश्वर के साथ अनुशासित संबंध होने का दानिय्येल एक अच्छा उदाहरण हैं। युवावस्था में ही वह चौकस और बुद्धिपूर्ण निर्णय लेने लगा (1:8)। वह नियमित रूप से “परमेश्वर को धन्यवाद” देते हुए प्रार्थना करता था (6:10)। परमेश्वर की खोज में नित रहने के परिणाम स्वरूप उसके आस-पास लोग उसके विश्वास को पहचान लेते थे। वास्तव में, राजा ने दानिय्येल को “जीवित परमेश्वर का दास” और “निरन्तर” परमेश्वर की सेवा करने वाला व्यक्ति कहा ((पद 16, 20)।

हमें भी परमेश्वर की आवश्यकता है। परमेश्वर हमारे भीतर कार्य करते हैं जिससे हमारे भीतर उनके साथ समय बिताने का प्रभाव उत्पन हो! (फिलिप्पियों 2:13)। आइए हम प्रतिदिन इस विश्वास से परमेश्वर के सामने आयें, कि उसके साथ बिताए समय के परिणाम स्वरूप हमें अधिक उमड़ता प्रेम मिलेगा और मुक्तिदाता को जानने और समझने में हम बड़ेंगे (1:9-11)।