रहस्य खोलना
एक दिन मैं काम से घर लौटकर अपने घर के वाहनमार्ग पर किसी स्त्री की ऊँची एड़ी वाली जूतियाँ पड़ी देखकर समझ गया कि किसकी हो सकती है l इसलिए मैंने उन्हें अपनी बेटी लीसा को देने के लिए गराज में रख दी l वह अपने बच्चों को लेने आ रही थी l जब मैंने लीसा से जूतियों के विषय पूछा, तो मैंने जाना कि वे उसकी नहीं थीं l वास्तव में वे हमारे परिवार में किसी की नहीं थीं l इसलिए मैंने उन्हें वहीं पर रख दी जहां से उन्हें उठाया था l अगले दिन, वे वहां नहीं थीं l रहस्मय l
क्या आप जानते हैं कि प्रेरित पौलुस अपनी पत्रियों में एक रहस्य लिखता है? किन्तु उसके द्वारा वर्णित रहस्य किसी “जासूसी कहानी” से कहीं अधिक था l उदाहरण के लिए इफिसियों 3 में, पौलुस एक रहस्य के विषय बताता है जो “अन्य समयों में मनुष्यों की संतानों को ऐसा नहीं बताया गया था” (पद.5) l रहस्य यह है कि, बीते समयों में परमेश्वर खुद को इस्राएल द्वारा प्रगट किया, वर्तमान में, गैरमसीहियों(अन्यजातियों) पर यीशु द्वारा प्रगट किया अर्थात् जो इस्राएल के बाहर हैं वे भी “मीरास में साझी” हो सकते हैं (पद.6) l
विचार कीजिए कि इसका अर्थ क्या हो सकता है : यीशु को उद्धारकर्ता माननेवाले मिलकर परमेश्वर से प्रेम कर सकते हैं और उसकी सेवा कर सकते हैं l हम सभी के पास “भरोसे के साथ परमेश्वर के निकट आने का अधिकार है”(पद.12) l और चर्च की एकता के द्वारा संसार परमेश्वर का ज्ञान और अनुग्रह देखेगी (पद.10) l
अपने उद्धार के लिए परमेश्वर की स्तुति करें l यह हमारे लिए अर्थात् किसी भी और सभी पृष्ठभूमि के लोग जो यीशु में एक हो जाते हैं, के लिए एकता के रहस्य को खोलता है l
खेत में सिला बटोरना
तंजानिया की मेरी एक सहेली ने राजधानी दोदोमा में सुनसान/उजाड़ भूमि को खरीदने का दर्शन पाया l कुछ स्थानीय विधवाओं की ज़रूरतों को महसूस करके, रूत उस गन्दी भूमि को मुर्गी पालन और अनाज बोने के लिए तैयार करना चाहती थी l आवश्यक्तामंद लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने का उसका दर्शन परमेश्वर के लिए उसके प्रेम में स्थापित था, और बाइबल में उसके हमनाम, रूत से प्रेरित था l
परमेश्वर की व्यवस्था निर्धनों या परदेशियों को खेत के किनारों से अनाज की बालियाँ बीनने की अनुमति देता था (लैव्य. 19:9-10) l (बाइबल की) रूत परदेशी थी, इस कारण वह खेतों में काम करके, अपने लिए और अपनी सास के लिए भोजन बटोर सकती थी l एक निकट सम्बन्धी, बोअज़ के खेत में सिला बीनने से, रूत और नाओमी को आख़िरकार एक घर और सुरक्षा मिल गयी l रूत ने अपने दैनिक कार्य में होशियारी और मेहनत की अर्थात् खेत के किनारों से भोजन इकठ्ठा किया और परमेश्वर ने उसे आशीष दी l
मेरी सहेली रूत का उत्साह और बाइबल के रूत का समर्पण मुझे परमेश्वर को धन्यवाद देने के लिए उभारता है कि किस प्रकार वह निर्धनों और कुचले हुओं को संभालता है l ये लोग मुझे अपने समुदाय में दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित करते हैं और बड़े पैमाने पर देनेवाले परमेश्वर के प्रति मुझे धन्यवादी बनाते हैं l आप किस प्रकार दूसरों पर तरस दिखाकर परमेश्वर की उपासना कर सकते हैं?
पहले परमेश्वर से पूछना
हमारे विवाह के आरंभिक दिनों में, मैं अपनी पत्नी की प्रार्थमिकताओं को समझने में संघर्ष करता था l क्या वह घर में सादा डिनर खाना पसंद करेगी या किसी महेंगे रेस्टोरेंट में? क्या मैं अपने मित्रों के साथ घूम सकता हूँ या वह चाहती है कि मैं अपना सप्ताहांत उसके साथ रहने के लिए कार्यमुक्त रखूं? एक बार, अनुमान लगाने और निर्णय करने से पहले, मैंने उससे पूछा, “तुम क्या चाहती हो?”
उसने स्नेही मुस्करहट से जवाब दिया, “कोई भी एक मेरे लिए ठीक है l मैं खुश हूँ क्योंकि तुम ने मेरे विषय सोचा l”
कभी-कभी मैं मायूसी में स्पष्ट रूप से जानना चाहता था कि परमेश्वर क्या चाहता है कि मैं करूँ - जैसे कौन सी नौकरी करूँ l मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना और बाइबल पठन से मुझे कोई ख़ास उत्तर नहीं मिले l किन्तु एक उत्तर स्पष्ट था : मुझे प्रभु में भरोसा करना था, और उसी को अपना सुख का मूल जानना था, और अपने मार्ग की चिंता उसी पर छोड़नी थी (भजन 37:3-5) l
उसी समय मैंने जाना कि यदि हम अपनी इच्छा के आगे परमेश्वर की इच्छा को रखते हैं, वह अक्सर हमें चुनाव करने की स्वतंत्रता देता है l इसका मतलब है गलत चुनावों या उसको अप्रसन्न करने वाले चुनावों को छोड़ देना l वह कुछ अनैतिक, अधर्मी, या जो उसके साथ हमारे सम्बन्ध में सहायक नहीं हैं हो सकते हैं l यदि बाकी विकल्प परमेश्वर को प्रसन्न करते हैं, तो हम उनमें से चुनने के लिए स्वतंत्र हैं l हमारा प्रेमी पिता हमारे हृदय की इच्छाएँ पूरी करना चाहता है अर्थात् जो हृदय उसको अपने सुख का मूल मानते हैं l
जब हम थक जाते हैं
कभी-कभी सही काम थका देता है l हम सोच सकते हैं, क्या सही इरादों के साथ शब्दों और कार्यों से कुछ अंतर पड़ता है या नहीं? हाल ही में मैं इस पर विचार कर रही थी जब मैंने प्रार्थना के साथ विचार करके एक मित्र को उत्साहित करने के लिए ई-मेल भेजा, जिसका क्रोधित प्रतिउत्तर मिला l मेरी अविलम्ब प्रतिक्रिया ठेस और क्रोध दोनों ही थी l मुझे इतना गलत कैसे समझा जा सकता था?
क्रोध में प्रतिउत्तर देने से पहले, मैंने स्मरण किया कि ज़रूरी नहीं कि किसी को भी यीशु के प्रेम के विषय बताने का परिणाम(या इच्छित परिणाम) मिले l दूसरों की भलाई करके उन्हें यीशु के निकट लाने की आशा करने पर, वे हमें अस्वीकार करेंगे l किसी को सही कार्य करने के हमारे विनम्र प्रयास की उपेक्षा हो सकती है l
अपने सच्चे प्रयास के प्रतिउत्तर के परिणामस्वरूप निराश होने पर गलातियों 6 में जाना अच्छा है l यहाँ पर प्रेरित पौलुस हमें अपने इरादों पर विचार करने के लिए उत्साहित करता है अर्थात् जो कुछ हम बोलते और करते हैं, अर्थात् “अपने काम को जाँच [लें]” (पद.1-4) l ऐसा करने के बाद, वह हमें दृढ़ रहने हेतु उत्साहित करता है : “हम भले काम करने में साहस न छोड़ें, क्योंकि यदि हम ढीले न हों तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे l इसलिए जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें, विशेष करके विश्वासी भाईयों के साथ” (पद.9-10) l
परमेश्वर चाहता है कि हम उसके लिए निरंतर जीवन बिताएं, जिसमें दूसरों के लिए प्रार्थना और उसके विषय उनको बताना शामिल है अर्थात् “भले काम l” परिणाम वह देगा l
यह मछली के विषय नहीं है
मिगालू, पहला असाधारण कुबड़ा व्हेल(albino humpback whale) है जो कई बार ऑस्ट्रेलिया के साउथ क्वीन्सलैंड तट के निकट दिखाई दिया है l ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इस चालीस फीट से अधिक लम्बे दुर्लभ विशाल प्राणी को सुरक्षित रखने के लिए एक कानून भी बनाया है l
बाइबल हमें एक दुर्लभ “महामच्छ” के विषय बताती है जिसे परमेश्वर ने एक भगेड़ू नबी को निगलने के लिए बनाया था (योना 1:17) l अधिकतर लोग यह कहानी जानते हैं l परमेश्वर ने योना से न्याय का एक सन्देश नीनवे वासियों को बताने को कहा l लेकिन योना को नीनवे वासियों से, जो इब्रियों और सभी के साथ क्रूरता के लिए विख्यात थे, कुछ लेना-देना नहीं था l इसलिए वह भाग गया l स्थिति बिगड़ गयी l महामच्छ के पेट में, योना ने पश्चाताप किया l आखिर में वह नीनवे के लोगों में प्रचार किया, और उन्होंने भी मन फिराया (3:5-10) l
महान कहानी, ठीक है न? सिवाय इसके कि यह यहाँ पर समाप्त नहीं होती है l जब नीनवे ने मन फिराया, योना खिझ गया l “उसने प्रार्थना की, “क्या मैं यही बात न कहता था? मैं जानता था कि तू अनुग्रहकारी और दयालु परमेश्वर है, और विलम्ब से कोप करनेवाला करुनानिधान है” (4:2) l एक निश्चित मृत्यु से बचा लिए जाने के बाद, योना का पाप से भरा क्रोध बढ़कर आत्मघाती बन गया (पद.3) l
योना की कहानी मछली की कहानी नहीं है l यह मानवीय स्वभाव और परमेश्वर के स्वभाव के विषय है जो हमें विवश करता है l प्रेरित पतरस लिखता है, “[प्रभु] तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता कि कोई नष्ट हो, वरन् यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले” (2 पतरस 3:9) l परमेश्वर क्रूर नीनवे वासियों, खिझने वाले नबी, और आपके और मेरे ऊपर प्रेम दर्शाता है l
अनेक सुन्दर बातें
अपनी मृत्यु से ठीक पहले, कलाकार और मिशनरी, लिलिआस ट्रोटर ने खिड़की से बाहर झाँका और एक स्वर्गिक रथ का दर्शन देखा l उसकी जीवनी लिखनेवाले मित्र ने पूछा, “क्या आप बहुत सुन्दर वस्तुएँ देख रही हैं?” उनका उत्तर था, “हाँ, बहुत, बहुत सुन्दर वस्तुएँ l”
ट्रोटर के अंतिम शब्द उनके जीवन में परमेश्वर के कार्य दर्शाते हैं l केवल मृत्यु में ही नहीं, किन्तु उसने उसके सम्पूर्ण जीवन में, उस पर और उसके द्वारा बहुत सुन्दर बातें दर्शायीं l कुशल कलाकार होकर भी, उसने अल्जीरिया में यीशु का मिशनरी होने का चुनाव किया l प्रसिद्ध चित्रकार, जॉन रस्किन, और उसका शिक्षक टिप्पणी करता है, “कितना अधिक नुक्सान हुआ” उसने चित्रकारी में आजीविका बनाने की जगह मिशन क्षेत्र को चुना l
उसी प्रकार, नए नियम में, एक स्त्री शमौन के घर पर संगमरमर के पात्र में बहुमूल्य इत्र लेकर आयी और वहां उपस्थित यीशु के पांवों पर उंडेल दी, जिसे वहां बैठे लोगों ने बर्बादी कहा l इस बहुमूल्य इत्र की कीमत एक वर्ष की सामान्य मजदूरी के बराबर था, इस कारण वहां उपस्थित कुछ लोगों का विचार था कि उसे बेचकर गरीबों की मदद की जा सकती थी l हालाँकि, यीशु ने उसके प्रति इस स्त्री की गहरी भक्ति पर टिप्पणी करते हुए कहा, “इसने मेरे लिए एक सुन्दर कार्य किया है” (मरकुस 14:6(BSI/Hindi-C.L.) l
प्रतिदिन, मसीह का जीवन हमारे जीवनों से चमके और संसार पर उसकी खूबसूरती दर्शा सके l कुछ लोगों के लिए यह बर्बादी होगी, किन्तु हमारे अन्दर उसकी सेवा करने की इच्छा होनी चाहिए l काश यीशु कह सके कि हमने उसके लिए अनेक खूबसूरत काम किये हैं l
परमेश्वर के मार्ग पर चलना
“हम इस रास्ते जा रहे हैं,” भीड़ में अपनी पत्नी और बेटियों के साथ चलते हुए मैंने अपने बेटे के कंधे पर हाथ रखकर उसे उनके पीछे चलने को कहा l मनोरंजन पार्क में अपने परिवार के साथ घूमते हुए मैंने कई बार ऐसा किया था l मेरा बेटा थक चुका था और आसानी से विचलित हो रहा था l वह क्यों नहीं उनके पीछे चलता है? मैंने सोचा l
तब मुझे याद आया : कितनी बार मैं भी ऐसा ही करता हूँ? कितनी बार अनाज्ञाकारिता के कारण मैं परमेश्वर के विमुख हो जाता हूँ, परीक्षाओं से वशीभूत होकर उसकी इच्छा से दूर भागता हूँ?
इस्राएल के परमेश्वर की ओर से यशायाह के शब्दों पर विचार करें : “जब कभी तुम दाहिनी या बाईं ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, “मार्ग यही है, इसी पर चलो” (30:21) l इस अध्याय के आरम्भ में, परमेश्वर ने अपने लोगों को ढिठाई के लिए ताड़ित किया था l किन्तु यदि वे अपने मार्ग की बजाए उसकी सामर्थ्य पर भरोसा करते (पद.15), वह अनुग्रह और दया दिखाने की प्रतिज्ञा करता है (पद.18) l
परमेश्वर के अनुग्रह का एक प्रगटीकरण पवित्र आत्मा द्वारा हमारा मार्गदर्शन करने की प्रतिज्ञा है l यह तब होता है जब हम उससे अपनी इच्छाओं के विषय बातचीत करते हैं और प्रार्थना में अपने लिए उसकी इच्छा पूछते हैं l मैं धन्यवादित हूँ कि जब हम परमेश्वर पर भरोसा करके उसकी आवाज़ सुनते हैं, वह प्रतिदिन, हर कदम पर हमारा मार्गदर्शन करता है l
अपने भाई की सुनना
“आपको मेरी सुनना होगा, मैं आपका भाई हूँ!” यह अनुरोध पड़ोस में रहनेवाला एक बड़े भाई का अपने छोटे भाई से था जो अपने पिता को अपने घर से अलग कर रहा था और जो बड़े भाई को पसंद नहीं था l स्थिति के विषय स्पष्ट रूप से बड़ा भाई सर्वोत्तम निर्णय लेने में सक्षम था l
हममें से कितने लोग बड़े भाई या बहन का विवेकपूर्ण सलाह लेने से इनकार किये हैं? यदि आपने अपने से परिपक्व व्यक्ति की अच्छी सलाह नहीं मानने के परिणाम का अनुभव किये हैं, तो आप अकेले नहीं हैं l
यीशु में हम विश्वासियों के लिए सबसे महान शरणस्थान परिवार है – जो उसमें समान विश्वास रखने के कारण आत्मिक रूप से सम्बंधित हैं l इस परिवार में परिपक्व पुरुष और स्त्री शामिल हैं जो परमेश्वर से और एक दूसरे से प्रेम करते हैं l मेरे पड़ोस में उस छोटे भाई की तरह, हमें भी कभी-कभी वापस मार्ग पर लाने के लिए चेतावनी और सुधार की ज़रूरत होती है l यह ख़ास तौर से उस समय सच है जब हम किसी का अपमान करते हैं या कोई हमारा अपमान करता है l उचित करना कठिन हो सकता है l फिर भी मत्ती 18:15-20 में यीशु के शब्द हमें बताते हैं कि हमारे आत्मिक परिवार में परस्पर अपमान होने पर हमें क्या करना चाहिए l
कृतज्ञता से, हमारे स्वर्गिक पिता ने हमारे जीवनों में ऐसे लोग रख रखे हैं जो उसे और दूसरों को आदर देने में हमारी मदद करने को तैयार हैं l और जब हम सुनते हैं, परिवार में सब कुछ भला होता है (पद.15) l
प्रोत्साहित करनेवालों की आशीष
2010 में बनी फिल्म द किंग्स स्पीच इंग्लैंड के राजा जॉर्ज षष्टम(King George VI) की कहानी है, जिसमें वह अपने भाई द्वारा सिंहासन त्याग देने के कारण अपेक्षा के विपरीत राजा बना l देश द्वितीय विश्व युद्ध के कगार पर खड़ा था, सरकारी अधिकारी रेडियो की प्रभावशाली भूमिका के कारण एक शिष्ट और युक्तिपूर्ण नेतृत्व चाहते थे l हालाँकि, राजा जॉर्ज षष्टम, हकलाने की समस्या से संघर्ष करते थे l
मैं फिल्म द्वारा जॉर्ज की पत्नी, एलिजाबेथ के चित्रण की ओर विशेष तौर से आकर्षित हुआ l जॉर्ज द्वारा भाषण की कठिनाई पर विजय पाने के लिए उसके सम्पूर्ण कठिन संघर्ष में, वह निरंतर उसके उत्साह का श्रोत बनी रही l उसकी पत्नी के दृढ़ समर्पण से उसे आवश्यक सहायता मिली जिससे युद्ध के दौरान चुनौती पर विजय प्राप्त करके वह अच्छी प्रकार शासन चला सका l
बाइबल प्रोत्साहित करनेवालों की कहानियों को चिन्हांकित करती है जिन्होंने चुनौतीपूर्ण समयों में जबरदस्त मदद की l इस्राएल के युद्ध के समय मूसा को हारून और हुर का समर्थन मिला (निर्गमन 17:8-16) l इलीशिबा ने अपनी गर्भवती रिश्तेदार, मरियम को प्रोत्साहित किया (लुका 1:42-45) l
अपने मन-परिवर्तन के बाद, पौलुस को बरनबास का समर्थन चाहिए था, जिसके नाम का शब्दश: अर्थ है “शांति का पुत्र l” जब शिष्य पौलुस से भयभीत थे, बरनबास ने, खुद की ख्याति की जोखिम उठाकर, उसकी जिम्मेदारी ली (प्रेरितों 9:27) l मसीही समुदाय द्वारा पौलुस को स्वीकारे जाने के लिए उसका समर्थन महत्वपूर्ण था l बाद में बरनबास पौलुस का सहचर और प्रचारक साथी बना (प्रेरितों 14) l खतरों के बावजूद, दोनों ने मिलकर सुसमाचार प्रचार किया l
यीशु के विश्वासियों को आज भी “एक दूसरे को शांति [देने] और एक दूसरे की उन्नति का कारण” बनने के लिए बुलाया गया है (1 थिस्स. 5:11) l काश हम भी दूसरों को प्रोत्साहित करने के लिए उत्सुक हों, विशेषकर उनके कठिन समयों में l