Our Authors

सब कुछ देखें

Articles by एलिसन कीडा

परमेश्वर से जूझना

मेरे पति की मृत्यु के बाद एक पुराने मित्र ने मुझे एक नोट भेजा: “एलन परमेश्वर के साथ एक मल्ल युद्ध करने वाला था।।  वह एक वास्तविक याकूब थे और यही एक मजबूत कारण है कि मैं आज मसीही हूँ ।” मैंने एलन के संघर्षों की तुलना पुरुष मुखिया समुदाय याकूब से करने के बारे में कभी नहीं सोचा था, लेकिन यह सटीक बैठता है। अपने पूरे जीवन में, एलन स्वयं से संघर्ष करता रहा और उत्तर के लिए परमेश्वर से संघर्ष करता रहा। वह परमेश्वर से प्यार करता था लेकिन हमेशा इस सच्चाई को नहीं समझ सका कि उसने उससे प्यार किया, उसे माफ कर दिया और उसकी प्रार्थनाएँ सुनीं। फिर भी उनके जीवन में आशीषें थीं और उन्होंने कई लोगों को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया।

याकूब का जीवन संघर्षमय था। उसने अपने भाई एसाव का पहिलौठे का अधिकार पाने के लिये षडयंत्र रचा। वह घर से भाग गया और अपने रिश्तेदार और ससुर लाबान के साथ वर्षों तक संघर्ष करता रहा। फिर वह लाबान से भाग गया। वह अकेला था और एसाव से मिलने से डरता था। फिर भी उसे अभी-अभी एक स्वर्गीय मुकाबला हुआ : "परमेश्वर के स्वर्गदूत उससे मिले" (उत्पत्ति 32:1), शायद परमेश्वर की ओर से उसके पहले के सपने की याद दिलाता है (28:10-22)। अब याकूब याकूब का  एक और मुकाबला हुआ।  पूरी रात उसने एक "मनुष्य", मानव रूप में परमेश्वर के साथ कुश्ती की, जिसने उसका नाम इस्राएल रखा, क्योंकि उसने "परमेश्वर और मनुष्यों के साथ संघर्ष किया और [जीत हासिल की]" (32:28)। इन सबके बावजूद परमेश्वर याकूब के साथ था और उससे प्यार करता था। 

हम सभी को संघर्ष करना पड़ता है। लेकिन हम अकेले नहीं हैं; प्रत्येक परीक्षाओं में परमेश्वर हमारे साथ हैं। जो लोग उस पर विश्वास करते हैं उनसे प्रेम किया जाता है, उन्हें क्षमा किया जाता है और अनन्त जीवन का वादा किया जाता है (यूहन्ना 3:16)। हम उसे मजबूती से पकड़ सकते हैं।

 

देने में/का आनंद

जब केरी का छोटा बेटा मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी(muscular dystrophy-एक बीमारी) से सम्बंधित एक और सर्जरी से गुजर रहा था, तो वह किसी और के लिए कुछ करके अपने परिवार की स्थिति से अपना ध्यान हटाना चाहती थी l इसलिए उसने अपने बेटे के छोटे हो चुके लेकिन कम उपयोग किए गए जूतों को इकठ्ठा किया और उन्हें एक सेवकाई को दान कर दिया l उसके योगदान ने मित्रों, परिवार के सदस्यों और यहाँ तक कि पड़ोसियों को भी इसमें शामिल होने के लिए प्रेरित किया और जल्द ही दो सौ से अधिक जोड़ी जूते दान कर दिए गए l 

हालाँकि जूती मुहीम(shoe drive) चलाने का उद्देश्य दूसरों को आशीष देना था, केरी को लगता है कि उसके परिवार को अधिक आशीष मिली l “पूरे अनुभव ने वास्तव में हमारा उत्साह बढ़ाया और हमें बाहर की ओर ध्यान केन्द्रित करने में मदद की l” 

पौलुस समझ गया था कि यीशु के अनुयायियों के लिए उदारतापूर्वक देना कितना विशेष है l यरूशलेम जाते समय प्रेरित पौलुस इफिसुस में रुका l वह जानता था कि यह संभवतः उस चर्च के लोगों के साथ उसकी आखिरी मुलाकात होगी जिसकी स्थापना उसने वहाँ की थी l चर्च के वृद्धों को अपने विदाई भाषण में, उसने उन्हें याद दिलाया कि कैसे उसने परमेश्वर की सेवा में लगन से काम किया था (प्रेरितों 20:17-20) और उन्हें भी ऐसा करने के लिए उत्साहित किया l फिर उसने यीशु के शब्दों के साथ अंत किया : “लेने से देना धन्य है” (पद.35) l 

यीशु चाहता है कि हम स्वतंत्र रूप से और विनम्रतापूर्वक अपने आप को दे दें (लूका 6:38) l जब हम उस पर हमारा मार्गदर्शन करने के लिए भरोसा करते हैं, तो वह हमें ऐसा करने के लिए अवसर प्रदान करेगा l केरी के परिवार की तरह, हम भी इसके फलस्वरूप प्राप्त होने वाले आनंद से आश्चर्यचकित हो सकते हैं l 

 

यीशु में एक साथ मिलना

“और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और त्यों–त्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों–त्यों और भी अधिक यह किया करो।” इब्रानियों 10:25 

जब मैं अपने जीवन में कठिन परिस्थितियों के कारण लंबे समय तक भावनात्मक और आध्यात्मिक पीड़ा और संघर्ष से गुज़रा, तो मेरे लिए चर्च से हटना आसान लगता था। (और कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता था, परेशान क्यों होना?)। लेकिन मैंने प्रत्येक रविवार को चर्च में उपस्थित होने के लिए अपने को मजबूर पाया।

हालाँकि मेरी स्थिति कई वर्षों तक वैसी ही रही, आराधना करने और सेवाओं, प्रार्थना सभाओं और बाइबल अध्ययन में अन्य विश्वासियों के साथ इकट्ठा होने से मुझे दृढ़ रहने और आशावान बने रहने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन मिला। और प्रायः मैं न केवल एक अभिप्रेरणात्मक संदेश या शिक्षा सुनता हूँ, बल्कि मुझे दूसरों से सांत्वना, एक सुनने वाला कान, या एक आलिंगन भी मिलता रहा जिसकी मुझे ज़रूरत थी।

इब्रानियों के लेखक ने लिखा, "[एक साथ मिलना मत छोड़ो], जैसा कि कुछ लोगों की आदत होती है, लेकिन एक दूसरे को [प्रोत्साहित करो]" (इब्रानियों 10:25)। यह लेखक जानता था कि जब हम कष्टों और कठिनाइयों का सामना करते हैं, तो हमें दूसरों के आश्वासन की आवश्यकता होगी - और दूसरों को हमारे आश्वासन की आवश्यकता होगी। इसलिए इस पुस्तक के लेखक ने पाठकों को याद दिलाया कि "हम जिस आशा का दावा करते हैं, उस पर अटल रहें" और इस बात पर विचार करें कि कैसे "एक दूसरे को प्रेम और अच्छे कार्यों की ओर प्रेरित करें" (पद 23-24)। प्रोत्साहन इसका एक बड़ा हिस्सा है। इसीलिए परमेश्वर हमें एक साथ मिलते रहने के लिए प्रेरित करते हैं। किसी को आपके प्रेमपूर्ण प्रोत्साहन की आवश्यकता हो सकती है, और बदले में आपको जो मिलेगा उससे आप आश्चर्यचकित हो सकते हैं।

मसीह का जुनून (बहुत प्रबल मनोभाव)

जिम कैविज़ेल को फिल्म द पैशन ऑफ द क्राइस्ट में जीसस की भूमिका निभाने से पहले, निर्देशक मेल गिब्सन ने  चेतावनी दी थी, कि यह भूमिका बेहद कठिन होगी। और हॉलीवुड में उनके करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कैविज़ेल ने फिर भी इस महान भूमिका को किया और कहा , "मुझे लगता है कि हमें इसे बनाना होगा, भले ही यह कठिन हो।"

फिल्मांकन के दौरान, कैविज़ेल बिजली की चपेट में आ गए, उनका वज़न पैंतालीस पाउंड (बीस किलो) कम हो गया, और कोड़े मारने के दृश्य के दौरान गलती से उन्हें कोड़े मार दिए गए। बाद में, उन्होंने कहा, "मैं नहीं चाहता था कि लोग मुझे देखें। मैं बस यही चाहता था कि वे यीशु को देखें। उसी से परिवर्तन होगा।” फिल्म ने सेट पर कैविज़ेल और अन्य लोगों को गहराई से प्रभावित किया, और केवल परमेश्वर ही जानता है कि इसे देखने वाले लाखों लोगों में से कितने लोगों के जीवन में बदलाव आया। द पैशन ऑफ द क्राइस्ट यीशु की सबसे बड़ी पीड़ा के समय को दिखाता है, पाम संडे (Palm Sunday) पर उनके विजयी प्रवेश से लेकर उनके उनके साथ विशवासघात किये जाने तक, उनका मज़ाक बनाने, कोडे मारने, और क्रूस पर चढ़ाये जाने तक — इन सब का वर्णन वारों सुसमाचारों में पाया जाता है।

यशायाह 53 में, उनकी पीड़ा और उसके परिणाम की भविष्यवाणी की गई है: “वह हमारे अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शांति के लिए उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाए” (पद- 5)। हम सभी, "भेड़ की नाई, भटक गए थे" (पद 6)। लेकिन यीशु के क्रूस पर मरने और पुनरुत्थान के कारण, हम परमेश्वर के साथ शांति पा सकते हैं। उनकी पीड़ा ने हमारे लिए उनके साथ रहने का रास्ता खोल दिया।

प्रार्थना के लिए एक आह्वान

अब्राहम लिंकन ने अपने एक मित्र को गुप्त रूप से कहा, "मैं कई बार इस भारी विश्वास के कारण घुटनों परबैठा हूं क्योंकि थी मेरे पास जाने के लिए और कोई जगह नहींथी ।" अमेरिकी गृहयुद्ध के भयावह वर्षों में, राष्ट्रपति लिंकन ने न केवल उत्साहीप्रार्थना में समय बिताया, बल्कि पूरे देश को अपने साथ शामिल होने के लिए भी बुलाया। 1861 में, उन्होंने एक दिन "अपमान, प्रार्थना और उपवास” का  घोषित किया। और उन्होंने 1863 में फिर से ऐसा करते हुए कहा,  "यह राष्ट्रों के साथ-साथ मनुष्यों का भी कर्तव्य है कि वे ईश्वर की सर्वशक्तिमान शक्ति पर अपनी निर्भरता रखें:  विनम्र दुःख के साथ अपने पापों और अपराधों को स्वीकार करें,फिर भी आश्वस्त आशा के साथ कि सच्चा पश्चाताप दया और क्षमा की ओर ले जाएगा।''

इस्राएलियों के सत्तर वर्ष तक बाबुल में बंदी रहने के बाद, राजा साइरस ने इस्राएलियों को यरूशलेम लौटने की अनुमति दी,बचे हुये कुछ लोग वापस लौटे। और जब नहेमायाह,जो एकइस्राएली (नहेमायाह 1:6) और बेबीलोन के राजा का पिलानेवाला था  (पद 11) को पता चला कि जो लोग लौट आए थे वे "बड़े संकट और अपमान में थे" (पद3), तो वह "बैठ गया और रोने लगा" ”औरशोक, उपवास और प्रार्थना करते हुए दिन बिताए (पद 4)। उन्होंने अपने राष्ट्र के लिए दिन रात प्रार्थना की (पद5-11)। और बाद में, उसने भी अपने लोगों को उपवास और प्रार्थना करने के लिए बुलाया (9:1-37)।

सदियों बाद, रोमन साम्राज्य के दिनों में, प्रेरित पौलुस ने इसी तरह अपने पाठकों से अधिकार प्राप्त लोगों के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया (1 तीमुथियुस 2:1-2)। हमारा परमेश्वर अभी भी उन मामलों के बारे में हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है जो दूसरों के जीवन को प्रभावित करते हैं।

परीक्षाओं पर विजय पाना

ऐनी गरीबी और दुःख में पली बढ़ी। उसके दो भाई-बहनों की मृत्यु बचपन में ही हो गयी। पाँच साल की उम्र में, एक नेत्र रोग के कारण वह आंशिक रूप से अंधी हो गई और पढ़ने या लिखने में असमर्थ हो गई। जब ऐनी आठ वर्ष की थी, तब उसकी माँ की मृत्यु टी.बी./क्षय रोग से हो गई। कुछ ही समय बाद, उसके दुर्व्यवहारी पिता ने अपने तीन जीवित बच्चों को छोड़ दिया। सबसे छोटे को रिश्तेदारों के साथ रहने के लिए भेजा गया, लेकिन ऐनी और उसका भाई, जिम्मी, सरकार द्वारा संचालित अनाथालय में चले गए। कुछ महीनों बाद जिम्मी की मृत्यु हो गई।

 

चौदह वर्ष की उम्र में ऐनी की परिस्थितियाँ उज्ज्वल हो गईं। उन्हें अंधों के लिए एक स्कूल में भेजा गया, जहां उनकी दृष्टि में सुधार के लिए सर्जरी हुई और पढ़ना-लिखना सीखा। यद्दपि उसे इसमें फिट होने के लिए संघर्ष करना पड़ा, फिर भी उसने शैक्षणिक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और स्नातक की उपाधि प्राप्त की। आज हम उन्हें ऐनी सुलिवन के नाम से जानते हैं, हेलेन केलर की शिक्षिका और साथी। प्रयास, धैर्य और प्रेम के द्वारा, ऐनी ने अंधी और बहरी हेलेन को बोलना, ब्रेल पढ़ना और कॉलेज से स्नातक करना सिखाया।

 

यूसुफ को भी कठिन परीक्षा जीतना पड़ा : सत्रह साल की उम्र में, उसके ईर्ष्यालु भाइयों ने उसे गुलामी में  बेच दिया और बाद में वह ग़लत तरीके से कैद हुआ (उत्पत्ति 37; 39-41)। फिर भी परमेश्वर ने मिस्र और उसके परिवार को अकाल से बचाने के लिए उसका उपयोग किया (50:20)।

 

हम सब परीक्षाओं और परेशानियों का सामना करते हैं। लेकिन जिस तरह परमेश्वर ने युसूफ और ऐनी को दूसरों के जीवन पर काबू पाने और गहरा प्रभाव डालने में मदद किया, वह हमारी सहायता और उपयोग कर सकते हैं। मदद और मार्गदर्शन के लिए उन्हें ढूंढें जो देखते और सुनते हैं।

अमूल्य परिणाम

तीन साल से हर स्कूली दिन पर, जब बच्चों दोपहर में स्कूल बस से बाहर निकलते थे, अपने बच्चों का स्वागत करने के लिए, कोलीन नामक एक शिक्षिका हर दिन अलग पोशाक(costume) या मास्क पहनती थी। यह बस में सभी का दिन रोशन कर देता था— बस चालक का भी: “[वह] मेरी बस में बच्चों के लिए इतनी खुशी लेकर आती है, यह आश्चर्यजनक है। मुझे वह अच्छा लगता है।" कोलीन के बच्चे सहमत हैं।

यह सब तब शुरू हुआ जब कोलीन ने बच्चों का पालन-पोषण करना शुरू किया। यह जानते हुए कि माता-पिता से अलग होना और नए स्कूल में दाखिला लेना कितना कठिन है, वह पोशाक पहनकर बच्चों का अभिवादन करने लगी। ऐसा तीन दिन करने के बाद, बच्चे नहीं चाह रहे थे कि वह रुके। तो कोलीन ने जारी रखा। यह किफायती दुकानों पर समय और पैसा लग रहा था, लेकिन, जैसा कि एक रिपोर्टर ने वर्णन किया है, यह "अमूल्य परिणाम: खुशी" लेकर आया।

राजा सुलैमान द्वारा अपने बेटे को दी गई बुद्धिमानी और मजाकिया सलाह की किताब के बीच एक छोटा सा पद, इस माँ की कार्यों के परिणामों का सार प्रस्तुत करती है:" मन का आनन्द अच्छी औषधि है, परन्तु मन के टूटने से हड्डियाँ सूख जाती हैं।"( नीतिवचन 17:22) अपने सभी बच्चों (अपना, गोद लिए गए और पालक) को खुश करके, उसने कुचली हुई आत्माओं को रोकने की आशा की।

सच्चे और स्थायी आनंद का स्रोत पवित्र आत्मा के माध्यम से परमेश्वर है(लूका 10:21, गलतियों 5:22)।  जब हम दूसरों को खुशी देने का प्रयास करते हैं तो आत्मा हमें परमेश्वर की रोशनी चमकाने में सक्षम बनाती है, एक ऐसी खुशी जो आशा और परीक्षणों का सामना करने की शक्ति प्रदान करती है।

बगीचे में

मेरे पिताजी को बाहर परमेश्वर की सृष्टि के बीच में रह कर कैंपिंग करना, मछली पकड़ना और रॉक-क्लाइम्बिंग करना पसंद था। उन्हें अपने आँगन और बगीचे में काम करने में भी आनंद आता था। लेकिन इसमें बहुत मेहनत लगी! उन्होंने छँटाई, गुड़ाई, बीज या फूल रोपने, खरपतवार निकालने, लॉन की घास काटने और आँगन तथा बगीचे में पानी देने में घंटों बिताये। परिणाम इसके योग्य थे - एक सुंदर लॉन, स्वादिष्ट टमाटर और सुंदर शांति गुलाब (peace roses)। हर साल वह गुलाबों को जमीन के करीब से काटते थे, और हर साल वे वापस उग आते थे और हमें अपनी सुगंध और सुंदरता से भर देते थे।

उत्पत्ति में, हम अदन के बगीचे के बारे में पढ़ते हैं जहाँ आदम और हव्वा रहते थे, फले-फूले और परमेश्वर के साथ रहते थे । वहाँ, परमेश्वर ने "भूमि से सब भांति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्छे है उगाए” (उत्पत्ति 2:9)। मैं कल्पना करता हूं कि उस आदर्श बगीचे में सुंदर, मीठी महक वाले फूल भी शामिल थे - शायद कांटों के बिना गुलाब के फूल भी  !

परमेश्वर के विरुद्ध आदम और हव्वा के विद्रोह के बाद, उन्हें बगीचे से निकाल दिया गया और फिर उन्हें अपने बगीचे लगाने और उनकी देखभाल करने की आवश्यकता पड़ी, जिसका अर्थ था कठोर भूमि को तोड़ना, कांटों से लड़ना और अन्य चुनौतियाँ (3:17-19, 23-24)I फिर भी परमेश्वर ने उनका भरण पोषण करना जारी रखा (पद 21)। और उसने हमें उसकी ओर आकर्षित करने के लिए सृष्टि की सुंदरता के बिना मानवता को नहीं छोड़ा   (रोमियों 1:20) बगीचे में फूल हमें ईश्वर के निरंतर प्रेम और नवीनीकृत सृष्टि के वादे की याद दिलाते हैं - आशा और आराम के प्रतीक!

करुणामय कार्य

गर्भपात से पीड़ित होने के कुछ महीनों के बाद, वैलेरी ने गेराज सेल (विक्रेता के परिसर में आयोजित प्रयुक्त व्यक्तिगत या घरेलू वस्तुओं की बाहरी बिक्री) करने का निर्णय लिया । कुछ मील की दूरी पर रहने वाले उसके एक पड़ोसी शिल्पकार, जेरल्ड ने बड़ी उत्सुकता से उससे बच्चे का वह पालना खरीद लिया जिसे वह बेच रही थी। वहाँ पर बात करते हुए, उसकी पत्नी को वैलेरी के गर्भपात के बारे में मालूम हुआ। घर जाते हुए रास्ते में उसकी स्थिति के बारे में सुनने के बाद, जेरल्ड ने वैलेरी के उस पालने का उपयोग करके उसके लिए एक उपहार बनाने का निर्णय लिया। एक सप्ताह के बाद, उसने आँसुओं के साथ वैलेरी को एक सुंदर बेंच भेंट की। वैलेरी ने कहा कि “संसार में अच्छे लोग भी हैं, और उसका प्रमाण यहाँ पर है।” 

वैलेरी की तरह, रूत और नाओमी को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा। नाओमी के पति और दो पुत्रों की मृत्यु हो गई थी। और अब उसके तथा उसकी दुखी बहू रूत के कोई वारिस न थे, और न ही कोई उनका भरण-पोषण करनेवाला था (रूत 1:1-5)। यहीं पर बोअज का आना हुआ। जब रूत बचे हुए अनाज को चुनने के लिए एक खेत में गई, तो खेत के मालिक बोअज ने उसके बारे में पूछा। जब उसे पता चला कि वह कौन है, तो वह उसके प्रति दयालु हुआ (2:5-9)। रूत ने चकित होकर पूछा, “क्या कारण है कि तूने मुझ परदेशिन पर अनुग्रह की दृष्टि करके मेरी सुधि ली है?” (पद 10 ) बोआज़ ने उत्तर दिया कि “जो कुछ तूने पति की मृत्यु के बाद अपनी सास से किया है...यह सब मुझे विस्तार के साथ बताया गया है।” (पद 11)

बाद में बोअज ने रूत से विवाह किया और नाओमी की देखभाल की (4 अध्याय)। उनके विवाह से, दाऊद और यीशु के एक पूर्वज का जन्म हुआ। जैसे दूसरे के दुःख को बदलने में सहायता करने के लिए परमेश्वर ने जेरल्ड और बोअज को उपयोग किया, वैसे ही वह पीड़ा में पड़े दूसरे लोगों के प्रति करुणा और सहानुभूति प्रकट करने के लिए हमारे माध्यम से भी काम कर सकता है।