ऐनी गरीबी और दुःख में पली बढ़ी। उसके दो भाई-बहनों की मृत्यु बचपन में ही हो गयी। पाँच साल की उम्र में, एक नेत्र रोग के कारण वह आंशिक रूप से अंधी हो गई और पढ़ने या लिखने में असमर्थ हो गई। जब ऐनी आठ वर्ष की थी, तब उसकी माँ की मृत्यु टी.बी./क्षय रोग से हो गई। कुछ ही समय बाद, उसके दुर्व्यवहारी पिता ने अपने तीन जीवित बच्चों को छोड़ दिया। सबसे छोटे को रिश्तेदारों के साथ रहने के लिए भेजा गया, लेकिन ऐनी और उसका भाई, जिम्मी, सरकार द्वारा संचालित अनाथालय में चले गए। कुछ महीनों बाद जिम्मी की मृत्यु हो गई।

चौदह वर्ष की उम्र में ऐनी की परिस्थितियाँ उज्ज्वल हो गईं। उन्हें अंधों के लिए एक स्कूल में भेजा गया, जहां उनकी दृष्टि में सुधार के लिए सर्जरी हुई और पढ़ना-लिखना सीखा। यद्दपि उसे इसमें फिट होने के लिए संघर्ष करना पड़ा, फिर भी उसने शैक्षणिक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और स्नातक की उपाधि प्राप्त की। आज हम उन्हें ऐनी सुलिवन के नाम से जानते हैं, हेलेन केलर की शिक्षिका और साथी। प्रयास, धैर्य और प्रेम के द्वारा, ऐनी ने अंधी और बहरी हेलेन को बोलना, ब्रेल पढ़ना और कॉलेज से स्नातक करना सिखाया।

यूसुफ को भी कठिन परीक्षा जीतना पड़ा : सत्रह साल की उम्र में, उसके ईर्ष्यालु भाइयों ने उसे गुलामी में  बेच दिया और बाद में वह ग़लत तरीके से कैद हुआ (उत्पत्ति 37; 39-41)। फिर भी परमेश्वर ने मिस्र और उसके परिवार को अकाल से बचाने के लिए उसका उपयोग किया (50:20)।

हम सब परीक्षाओं और परेशानियों का सामना करते हैं। लेकिन जिस तरह परमेश्वर ने युसूफ और ऐनी को दूसरों के जीवन पर काबू पाने और गहरा प्रभाव डालने में मदद किया, वह हमारी सहायता और उपयोग कर सकते हैं। मदद और मार्गदर्शन के लिए उन्हें ढूंढें जो देखते और सुनते हैं।