एक दिन मैं काम से घर लौटकर अपने घर के वाहनमार्ग पर किसी स्त्री की ऊँची एड़ी वाली जूतियाँ पड़ी देखकर समझ गया कि किसकी हो सकती है l इसलिए मैंने उन्हें अपनी बेटी लीसा को देने के लिए गराज में रख दी l वह अपने बच्चों को लेने आ रही थी l जब मैंने लीसा से जूतियों के विषय पूछा, तो मैंने जाना कि वे उसकी नहीं थीं l वास्तव में वे हमारे परिवार में किसी की नहीं थीं l इसलिए मैंने उन्हें वहीं पर रख दी जहां से उन्हें उठाया था l अगले दिन, वे वहां नहीं थीं l रहस्मय l

क्या आप जानते हैं कि प्रेरित पौलुस अपनी पत्रियों में एक रहस्य लिखता है? किन्तु उसके द्वारा वर्णित रहस्य किसी “जासूसी कहानी” से कहीं अधिक था l उदाहरण के लिए इफिसियों 3 में, पौलुस एक रहस्य के विषय बताता है जो “अन्य समयों में मनुष्यों की संतानों को ऐसा नहीं बताया गया था” (पद.5) l रहस्य यह है कि, बीते समयों में परमेश्वर खुद को इस्राएल द्वारा प्रगट किया, वर्तमान में, गैरमसीहियों(अन्यजातियों) पर यीशु द्वारा प्रगट किया अर्थात् जो इस्राएल के बाहर हैं वे भी “मीरास में साझी” हो सकते हैं (पद.6) l

विचार कीजिए कि इसका अर्थ क्या हो सकता है : यीशु को उद्धारकर्ता माननेवाले मिलकर परमेश्वर से प्रेम कर सकते हैं और उसकी सेवा कर सकते हैं l हम सभी के पास “भरोसे के साथ परमेश्वर के निकट आने का अधिकार है”(पद.12) l और चर्च की एकता के द्वारा संसार परमेश्वर का ज्ञान और अनुग्रह देखेगी (पद.10) l

अपने उद्धार के लिए परमेश्वर की स्तुति करें l यह हमारे लिए अर्थात् किसी भी और सभी पृष्ठभूमि के लोग जो यीशु में एक हो जाते हैं, के लिए एकता के रहस्य को खोलता है l