डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग जूनियर 1957 में एक रविवार को प्रचार करते समय जातिवाद में तर एक समाज पर पलटवार करने की परीक्षा का सामना किया l

“आप किस तरह अपने शत्रु से प्रेम कर सकते हैं?” उन्होंने एलबामा, मोंटगोमरी में डेक्सटर अवेन्यु बैप्टिस्ट मंडली से प्रश्न किया l “स्वयं से आरंभ करें …. शत्रु को पराजित करने का अवसर मिलने पर, आप ऐसा न करें l”
यीशु का सन्दर्भ देते हुए, किंग ने कहा : “अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सतानेवालों के लिए प्रार्थना करो, जिस से तुम अपने स्वर्गीय पिता की संतान ठहरोगे” (मत्ती 5:44-45) l

हमारी हानि करनेवालों पर विचार करते समय, हम अपनी पूर्व अवस्था स्मरण कर बुद्धिमान हों कि हम परमेश्वर के शत्रु थे (रोमि. 5:10) l “ [परमेश्वर ने] मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल-मिलाप कर लिया, और मेल-मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है” (2 कुरिं. 5:18) l अब हम बाध्य हैं l “उसने मेल-मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है” (पद.19) जिसे संदेश संसार फैलाना है l

जातिवाद और राजनैतिक तनाव नयी बात नहीं हैं l किन्तु कलीसिया का कर्तव्य भेदभाव प्रोत्साहित करना कभी नहीं है l हम अपने से भिन्न लोगों अथवा हमें नाश करने की इच्छा रखनेवालों पर आक्रमण नहीं करना है l हमारी सेवा “मेल-मिलाप” की है जो यीशु के स्वार्थहीन दास के से ह्रदय का अनुसरण करता है l