तिब्बती शेरपा नवांग गोम्बू और अमरीकी जिम विहिटेकर मई 1, 1963 को एवेरेस्ट की चोटी पर पहुंचे l दोनों ने चोटी पर सबसे पहले पहुंचते समय अपने को सम्मानित महसूस किया l विहिटेकर ने गोम्बू से आगे जाने को कहा, किन्तु गोम्बू ने मुस्कराते हुए कहा, “जिम पहले आप!” अंततः उन्होंने साथ में चोटी पर कदम रखा l
पौलुस ने फिलिप्पी के विश्वासियों से इसी तरह की दीनता प्रदर्शित करने को कहा l उसने कहा, “हर एक अपने ही हित की नहीं, वरन् दूसरों के हित की भी चिंता करे” (फ़िलि.2:4) l स्वार्थ और श्रेष्ठता लोगों को विभाजित कर सकता है, किन्तु दीनता हमें एक करता है, क्योंकि यह “एक ही मन … एक ही मनसा” (पद.2) वाला गुण है l
जब झगड़े और मतभेद उत्पन्न होते हैं, हम सही होने के लिए अपने अधिकार त्यागकर अक्सर उन्हें समाप्त कर सकते हैं l अपनी इच्छा न रखते हुए दीनता हमें अनुग्रह और कोमलता प्रगट करने को कहती है l “दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो” (पद.3) l
दीनता का अभ्यास हमें और अधिक यीशु की तरह बनता है, जिसने हमारे लिए, “ अपने आप को …. दीन किया, और मृत्यु भी सह ली” (पद.7-8) l यीशु का अनुसरण अर्थात् दूसरों के लिए अपने को सर्वोत्तम से वंचित करना है l