मैं एक युवा माँ कभी-कभी भावुक होकर घबरा जाती हूँ l मेरी पहली प्रतिक्रिया अपनी माँ से फ़ोन पर अपने पुत्र की एलर्जी या अपनी पुत्री के अचानक खांसने पर उपाय पूछना होता है l
माँ एक महान आस है, किन्तु भजन मुझे ताकीद देती है कि कितनी बार हमें मानव सहायता से बढ़कर चाहिए l भजन 18 में दाऊद बड़े खतरे में, भयभीत, मृत्यु के निकट, और पीड़ा में, प्रभु को पुकारा l
दाऊद कह सकता था, “प्रभु मैं तुमसे प्रेम करता हूँ” क्योंकि उसे समझ थी परमेश्वर एक गढ़, चट्टान, और छुड़ानेवाला है (पद.1-2) l परमेश्वर उसका ढाल, उद्धार, और उसका दुर्ग था l शायद हम दाऊद की प्रशंसा नहीं समझ सकते हैं क्योंकि हमने परमेश्वर की सहायता अनुभव नहीं की है l शायद हम सलाह और सहायता हेतु परमेश्वर के पास जाने से पूर्व फ़ोन उठाते हैं l
वास्तव में परमेश्वर लोगों को हमारे जीवन में हमारी सहायता और सुख हेतु देता है l किन्तु हम प्रार्थना न भूलें l परमेश्वर सुनता है l जैसे दाऊद ने गाया, “उसने अपने मंदिर में से मेरी बातें सुनी; और मेरी दोहाई … उसके कानों में पड़ी” (पद.6) l हम परमेश्वर के निकट जाकर, दाऊद के गीत गाते हैं और अपनी चट्टान, गढ़, और उद्धारक का आनंद लेते हैं l
अगली बार, फ़ोन उठाने से पूर्व प्रार्थना करना न भूलें l