मैं अपनी क्रिया वापस नहीं ले सकती हूँ l एक स्त्री द्वारा पुनःचक्रण के लिए वस्तुएं उतारने के लिए अपनी कार रोकने के कारण मैं पेट्रोल पम्प तक नहीं पहुँच सक रही थी l अधीर होकर मैंने अपना हॉर्न बजाया l चिढ़कर, मैं दूसरी ओर से चली गई l मैं अधीर और उसके हटने में 30 सेकंड के विलम्ब होने पर तुरंत बुरा महसूस किया l मैंने परमेश्वर से क्षमा माँगा l मैं कठोरता की जगह नम्रता और धीरज दिखा सकती थी l दुर्भाग्यवश उससे क्षमा मागने में देर हो चुकी थी – वह चली गयी थी l

अनेक नीतिवचन हमें चुनौती देते हैं कि दूसरों के हमारी योजनाओं में बाधा डालने पर हमें कैसे प्रतिउत्तर देना चाहिए l यहाँ एक है जो कहता है, “मूढ़ की रिस उसी दिन प्रकट हो जाती है” (निति. 12:16) l और “मुक़द्दमा से हाथ उठाना, पुरुष की महिमा ठहरती है” (20:3) l और यह सीधे ह्रदय को छूनेवाला, “ मूर्ख … मन की बात खोल देता है, परन्तु बुद्धिमान अपने मन को रोकता और शांत कर देता है” (29:11) l

धीरज और दयालुता कभी-कभी कठिन लगते हैं l किन्तु प्रेरित पौलुस के अनुसार यह परमेश्वर का कार्य है, “आत्मा का फल” (गला.5:22-23) l जब हम उसके साथ सहयोग करके उस पर निर्भर होते हैं, वह हमारे अन्दर फल उत्पन्न करता है l प्रभु, कृपया हमें बदलिए l