एक दिन मेरे मित्र के बेटे ने अपने स्कूल के पोशाक के ऊपर एक स्पोर्ट्स स्वेटर पहना l वह अपने पसंदीदा टीम के लिए सहयोग प्रदर्शित करना चाहता था जो उस रात एक विशेष गेम खेलने वाली थी l घर से चलने से पूर्व, उसने स्पोर्ट्स स्वेटर के ऊपर एक ज़ंजीर में लटकन पहन लिए जिसपर लिखा था “यीशु l”उसकी सरल क्रिया एक गहरी सच्चाई दर्शा रही थी : हमारे जीवन में यीशु सर्वोपरि है l

यीशु ऊपर और सर्वोपरि है l “वही सब बातों में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं” (कुलु.1:17) l समस्त सृष्टि में यीशु श्रेष्ठ है (पद. 15-16) l वह “देह, अर्थात् कलीसिया का सिर है” (पद. 18) l इस कारण, उसे सभी बातों में प्रथम स्थान मिलना चाहिए l

जब हम यीशु को अपने जीवन के सभी क्षेत्र में सम्मान का सर्वोच्च स्थान देते हैं, यह सच्चाई हमारे चारों ओर के लोगों में विदित होता है l कार्य में, हम परमेश्वर के लिए मेहनत कर रहे हैं या अपने मालिक को प्रसन्न करने हेतु? (3:23) l दूसरों के साथ हमारे व्यवहार में क्या परमेश्वर का मानक प्रगट है? पद. 12-14) l क्या हम अपने जीवन में उसे प्रथम रखते हैं और अपने सुख का पीछा करते हैं?

जब सम्पूर्ण जीवन में यीशु हमारा महानतम् प्रभाव है, हमारे हृदयों में उसका सही स्थान होगा l