जब एक अच्छे मित्र के पति की मृत्यु हृदयाघात से हुई, हम उसके साथ दुखित हुए l एक सलाहकार के तौर पर, उसने बहुतों को दिलासा दिया था l अब, विवाह के 40 वर्ष बाद, उसने दिन के अंत में एक खाली घर में अप्रिय अपेक्षा का सामना किया l
अपने दुःख के मध्य, हमारे मित्र ने उस पर भरोसा किया जो “टूटे मनवालों के समीप रहता है l” जब परमेश्वर उसके दुःख में उसके साथ चला, उसने हमसे कहा कि वह “विधवा नाम” गर्व से स्वीकार करेगी क्योंकि यह नाम उसे परमेश्वर ने दिया है l
सभी दुःख व्यक्तिगत होता है, और दूसरे दुःख भिन्न तरीके से पीड़ा देते हैं l उसका प्रतिउत्तर उसके दुःख को घटाता या उसके घर को कम खाली नहीं करता है l फिर भी यह हमें स्मरण कराता है कि हमारे कठिन दुःख में भी, हमारा श्रेष्ठ और प्रेमी परमेश्वर भरोसेमंद है l
हमारा स्वर्गिक पिता ने खुद से अत्यंत अलगाव सहा l जब यीशु ने क्रूस से पुकारा, “हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?” (मत्ती 27:46) l फिर भी उसने हमारे पापों के लिए और हमसे प्रेम करने के कारण क्रूस की पीड़ा और अलगाव सहा!
वह समझता है! और इसलिये कि “यहोवा टूटे मनवालों के पास रहता है” (भजन 34:18), हम आवश्यकतानुसार दिलासा पाते हैं l वह निकट है l