एक संवाददाता की नीला पेन उपयोग नहीं करने की आदत थी l इसलिए उसके सहयोगी द्वारा उससे पूछने पर कि उसे स्टोर से कुछ चाहिए, उसने पेन माँगा l “किन्तु नीला पेन नहीं,” उसने कहा l मुझे नीला पेन नहीं चाहिए l मुझे नीला पेन पसंद नहीं है l नीला बहुत गहरा है l इसलिए कृपया नीला छोड़कर अन्य रंगों के 12 बॉल पेन लेते आइये!” अगले दिन उसके सहयोगी ने पेन लाकर दिए – सारे नीले थे l पूछने पर क्यों, उसने कहा, “तुम बार-बार कहते रहे ‘नीला, नीला l’ उसी शब्द ने गहरी छाप छोड़ी!” संवाददाता के दोहराने की आदत ने एक प्रभाव छोड़ा, किन्तु वह नहीं जो उसकी इच्छा थी l
इस्राएल का व्यवस्था देनेवाला, मूसा, अपने लोगों से निवेदन करते समय दोहराव का उपयोग किया l 30 से अधिक बार उसने अपने लोगों से अपने परमेश्वर की व्यवस्था के प्रति विश्वासयोग्य रहने को कहा l किन्तु परिणाम उसके आग्रह के विपरीत था l उसने उनसे कहा कि आज्ञाकारिता उनको जीवन और समृद्धि देगी, अनाज्ञाकारिता उनको विनाश की ओर ले जाएगा (व्यव. 30:15-18) l
जब हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं, हम उसके मार्गों में चलना चाहते हैं इसलिए नहीं कि हम परिणाम से डरते हैं किन्तु इसलिए कि हम जिस परमेश्वर से प्रेम करते हैं उसको प्रसन्न करना हमारा आनंद है l यह शब्द याद रखना अच्छा है l