यीशु फोटोग्राफी और वीडिओ से पहले इस धरती पर क्यों आया? यदि सभी के उसे देखने पर वह और लोगों तक पहुँच पाता? आख़िरकार, एक तस्वीर 1,000 शब्दों के बराबर है l

“नहीं,” कहते हैं रवि ज़कराया, एक शब्द “हज़ार तस्वीरों” के बराबर है l” प्रमाणस्वरुप, उन्होंने कवि रिचर्ड क्रोशो की भव्य पंक्तियाँ उद्धृत किया, “अभिज्ञ जल अपने स्वामी को देखकर फूट पड़ा l” एक सरल पंक्ति में, क्रोशो यीशु के पहले आश्चर्यकर्म का सार जीत लिया (युहन्ना 2:1-11) l प्रकृति स्वयं यीशु को सृष्टिकर्ता स्वीकारती है l एक अदना सा बढ़ई जल को दाखरस में नहीं बदल सकता l

मसीह के “शांत रह, थम जा” शब्दों, द्वारा आंधी को शांत करने पर, चकित शिष्यों ने पूछा, “यह कौन है कि आंधी और पानी भी उसकी आज्ञा मानते हैं?” (मरकुस 4:39,41) l बाद में, यीशु ने कहा, “पत्थर चिल्ला उठेंगे” (लूका 19:40) l पत्थर भी उसको पहचानते हैं l

यूहन्ना कहता है, “वचन देहधारी हुआ; … और हमारे बीच में डेरा किया” हमने उसकी महिमा … देखी” (यूहन्ना 1:14) l उस चश्मदीद अनुभव से यूहन्ना ने लिखा, “उस जीवन के वचन के विषय में … जिसे हम ने सुना, और जिसे … देखा, … उसकी गवाही देते हैं” (1 यूहन्ना 1:1) l यूहन्ना की तरह, हम अपने शब्दों से दूसरों का परिचय यीशु से करा सकते हैं जिसकी बात आंधी और पानी मानते हैं l