गलील की झील के निकट कफरनहूम में, आपको जैतून का कोल्हू दिखाई देगा l असिताश्म पत्थर(Basalt Rock) से बने इस कोल्हू में, एक चौड़ा, गोलाकार आधार, उसके चारों-ओर नांद और एक पीसनेवाला चाक होता है l जैतून का तेल निकालने के लिए जैतून को इस नांद में रख कर उसके ऊपर भारी पत्थर से बना चाक घुमाया जाता था l
अपनी मृत्यु से पूर्व संध्या में, यीशु जैतून पहाड़ पर गया l उसने भावी बातों को जानते हुए, गतसमनी के बगीचे में, पिता से प्रार्थना की l
गतसमनी शब्द अर्थात् जैतून का “कोल्हू” – और यह सर्वथा हमारे एवज में मसीह के दुःख के आरंभिक समयों का वर्णन करता है l वहाँ, वह “व्याकुल होकर … प्रार्थना करने लगा; और उसका पसीना मानो लहू की बड़ी बड़ी बूंदों के सामान भूमि पर गिर रहा था” (लूका 22:44) l
यीशु परमेश्वर पुत्र “जगत का पाप” उठाने को (यूहन्ना 1:29) दुःख सहकर और मर कर पिता के साथ हमारे टूटे सम्बन्ध को पुनःस्थापित किया l “निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दुखों को उठा लिया … हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गया; हमारी ही शांति के लिए उस पर ताड़ना पड़ी, कि उसके कोड़े खाने से हम लोग चंगे हो जाएँ” (यशा. 53:4-5) l
हमारे हृदय आराधना और धन्यवाद में दोहाई देते हैं l