1878 में, स्कॉटलैंड निवासी एलेग्जेंडर मैके युगांडा में मिशनरी होकर गया, और राजा मुतेसा शासित कबिले में एक लोहारखाना बनाया l इस अजनबी को हाथों से काम करते देखकर लोग चकित हुए क्योंकि सभी “जानते थे” कि काम स्त्रियों का था l उस समय, यूगांडा के पुरुष अपने हाथों से काम न करके, दूसरे गाँवों के लोगों को दास बनाकर बाहरवालों को बेचते थे l और यहाँ एक विदेशी व्यक्ति अपने हाथों से किसानों के औजार बनाता था l

मैके के कार्य और जीवन ने गाँव के लोगों से उसकी मित्रता और राजा से परिचय करायी l मैके से चुनौती पाकर राजा मुतेसा ने दास व्यापर बंद कर दिया l

वचन में, हम बसलेल और ओहोलीआब के विषय पढ़ते हैं, जिन्हें परमेश्वर ने अपने हाथों से कार्य करने के लिए चुना, जो मिलापवाला तम्बू और उपासना के लिए सभी साज-सामान बनाते थे (निर्ग.31:1-11) l वे भी अपने गुण और परिश्रम द्वारा परमेश्वर को सम्मान देकर सेवा करते थे l

हम अपने काम को कलीसियाई कार्य या सांसारिक कार्य में वर्गीकृत करते हैं l वास्तव में, कोई फर्क नहीं है l परमेश्वर हमें अपने राज्य में अद्वितीय और सार्थक योगदान करने हेतु बनाया है l और हमारे पास काम और स्थान का चुनाव करने का कम अवसर होने पर भी, परमेश्वर चाहता है कि हम उसे पूर्ण रूप से जाने-और वह हमें अपनी सेवा करना सिखाएगा-अभी l