मैं पाल्मर, अलास्का के एक वरिष्ठ नागरिक केंद्र, में पीछे खड़ा अपनी बेटी के हाईस्कूल संगीत मण्डली को “है खुशहाल, है खुशहाल मेरी जान,” गीत गाते सुनकर सोचने लगा क्यों निर्देशिका, मेरी बेटी ने यह गीत चुना l उसकी बहन मलेस्सा के अंतिम संस्कार में बजा था और लीसा जानती थी यह गीत मेरे लिए भावनात्मक प्रतिउत्तर के बिना सुनना कठिन था l
मेरी सोच बाधित हुई जब मेरे करीब बैठे एक व्यक्ति ने कहा, “यही मुझे सुनना था l” मैंने परिचय देकर उससे पुछा, क्यों l उसका उत्तर था, मैंने पिछले सप्ताह एक मोटरसाइकिल दुर्घटना में अपने पुत्र कैमरून को खो दिया l”
वह! मैंने स्व-केन्द्रित रहकर दूसरों की ज़रूरतों पर ध्यान नहीं दिया, और परमेश्वर ने उस गीत का उपयोग सही स्थान पर किया l उस केंद्र में कार्यरत अपने नए मित्र, मैक को मैं अलग ले गया और हम दोनों जीवन के कठिनाईयों में परमेश्वर की देखभाल के विषय बातें की l
हमारे चारों ओर ज़रूरतमंद लोग हैं, और कभी-कभी हमें अपनी भावनाओं और कार्यसूचियों को अलग रखकर उनकी मदद करनी होगी l एक तरीका अपनी पीड़ा और समस्याओं में परमेश्वर की दिलासा याद करना है ताकि “हम … उन्हें भी शांति दे सकें जो किसी प्रकार के क्लेश में [हैं]” (2 कुरिन्थियों 1:4) l अपनी चिंताओं में तल्लीन होकर भूल जाना कितना सरल है कि हमारे निकट किसी व्यक्ति को यीशु के नाम में प्रार्थना, सांत्वना के शब्द, प्यार, या करुणा चाहिए l