किसी के जीवन में परमेश्वर के आश्चर्जनक कार्य की साक्षी सुनना हमें चुनौती दे सकता है l जबकि हम प्रार्थना के उत्तर सुनकर आनंदित हो सकते हैं, हम चकित हो सकते हैं कि क्यों परमेश्वर हमारे लिए हाल में कुछ अद्भुत नहीं किया l
सोचना सरल है कि यदि परमेश्वर अब्राहम की तरह हमारे लिए भी आश्चर्जजनक करता, तो हम भी परमेश्वर के विश्वासयोग्य सेवक बनने हेतु प्रेरित होते l किन्तु तब हमें स्मरण आता है कि परमेश्वर अब्राहम के लिए हर 12 से 14 वर्षों में किया, और अब्राहम की अधिकतर यात्रा अपेक्षाकृत साधारण थी (देखें उत्प..12:1-4; 15:1-6; 16-17:12) l
परमेश्वर का कार्य आमतौर पर दृश्य के पीछे जीवन की साधारण बातों में की जाती है l जैसे पाठ कहता है, “वह तुम्हें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन् परीक्षा के साथ निकास भी करेगा” (1 कुरिं. 10:13) l प्रतिदिन परमेश्वर हमें ध्वंशकारी आक्रमणों से बचाने में व्यस्त है जो हमें पूर्ण पराजित छोड़ देती l और परीक्षा के आक्रमण के समय, वह हमारे बचाव के लिए निकास मार्ग भी तैयार करता है l
रात को सोते समय, हमें ठहरकर अद्भुत बातों के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहिए जो वह हमारे लिए हमारे साधारण जीवन के मध्य किये हैं l इसलिए, अपने लिए उससे किसी असाधारण कार्य की अपेक्षा की चाहत करने की जगह, उसे धन्यवाद दें! वह कर चूका है l