यात्री समूह के साथ एअरपोर्ट शटल में बैठकर विमान की ओर जाते समय बस चालक को थोड़ा ठहरने का आदेश मिला l ऐसा लगा जैसे हमारी फ्लाइट छूट जाएगी, और समस्या का हल एक व्यक्ति से परे l एक यात्री चालक पर क्रोधित होकर उस आदेश की अवहेलना या “मुक़दमा का जोखिम उठाने को कहा l” उसी समय एक एयरलाइन कर्मचारी भागता हुआ आकर क्रोधित व्यक्ति की ओर देखकर विजयी भाव से सूटकेस ऊपर उठाया l वह थोड़ा दम लेकर बोला,, “आपका सूटकेस छुट गया था, मुझे सुनाई दिया था आपकी सभा कितनी महत्वपूर्ण थी, और मैंने आंकलन लगाया आपको इसकी आवशयकता होगी l”
कभी-कभी मैं परमेश्वर के साथ अधीर होता हूँ, विशेषकर उसकी वापसी के विषय, वह किस बात का इंतज़ार कर रहा है? हमारे चारों ओर की त्रासदियाँ, प्रेमी लोगों का दुःख, और दैनिक जीवन के तनाव भी सब दृश्य कठिनाइयों से भी बड़े लगते हैं l
तब कोई यीशु से मुलाकात की कहानी बताता है, अथवा मैं इन गड़बड़ियों में भी परमेश्वर का कार्य देखता हूँ l मुझे उस दिन की शटल की बात याद आयी l कहानियां और विवरण हैं जो केवल परमेश्वर जानता है l मुझे उस पर भरोसा करना याद रखना है कि कहानी मेरे विषय नहीं है l यह परमेश्वर की योजना है कि दूसरे भी उसके पुत्र को जान जाएं (2 पतरस 3:9) l