मेरे देश में एक महिला प्रार्थना समूह घाना और दूसरे अफ्रीकी देशों के लिए नियमित प्रार्थना सत्र चलाती है l उनकी अगुआ, गिफ्टी डाडज़ी देशों के लिए निरंतर प्रार्थना करने का कारण बताती है, “अपने चारों ओर देखें, सुने और समाचार देखें l हमारे देश आहात हैं : युद्ध, ध्वंश, बीमारियाँ, और हिंसा मानवता के लिए परमेश्वर का प्रेम और हमारे आशीषों को फीका कर रहे हैं l हमारा विश्वास है परमेश्वर राष्ट्रों के काम में हस्तक्षेप करता है, और हम उसकी आशीष और हस्तक्षेप हेतु उसको सराहते हैं l

बाइबल कहती है कि परमेश्वर वास्तव में राष्ट्रों में हस्तक्षेप करता है (2 इति. 7:14) l और साधारण लोगों का उपयोग करता है l हमारी जिम्मेदारी छोटी, किन्तु शांति और धार्मिकता हेतु हमारी भूमिका से कोई देश उन्नत होगा (निति.14:34) l यह  प्रार्थना द्वारा संभव है l प्रेरित पौलुस ने लिखा, “विनती, और प्रार्थना, और निवेदन, और धन्यवाद, सब मनुष्यों के लिए किए जाएँ l राजाओं और सब ऊँचे पदवालों के निमित्त इसलिए कि हम विश्राम और चैन के साथ सारी भक्ति और गंभीरता से जीवन बिताएँ” (1 तीमु. 2:1-2) l

जिस तरह भजनकार प्राचीन इस्राएलियों को “यरूशलेम की शांति के लिए प्रार्थना करने” को कहा (भजन 122:6), हम भी अपने राष्ट्रों की शांति और चंगाई के लिए करें l दीनता में प्रार्थना करके, बुराई से फिरकर, और परमेश्वर को खोजने पर वह हमारी सुनेगा l