माई आस्या के तीस सहपाठी और उनके अभिभावकों ने उसे आकुलता से अपनी पांचवीं कक्षा दीक्षांत समारोह में मंच से बोलने के लिए जाते देखा l  प्राचार्य द्वारा माइक्रोफोन को उसकी उंचाई तक ठीक करने पर, उसने अपनी पीठ माइक्रोफोन और दर्शकों की ओर फेर दी l दर्शकों ने उत्साहित किया : “प्रिय, तुम कर सकती हो l” किन्तु वह हिली तक नहीं l तब एक सहपाठी आगे चलकर उसके निकट खड़ा हुआ l माई आस्या की एक ओर प्राचार्य और दूसरी ओर सहपाठी, तीनों ने मिलकर व्याख्यान पढ़ा l सहयोग का क्या ही खूबसूरत नमूना!

अमालेकियों के साथ युद्ध के मध्य मूसा को सहायता और सहयोग चाहिए थी (निर्गमन 17:10-16) l “जब तक मूसा अपने हाथ उठाए रहता था तब तक तो इस्राएल प्रबल होता था, परन्तु जब जब वह उसे नीचे करता तब तब अमलेक प्रबल होता था” (पद. 11) l हारुन और हूर ने स्थिति को देखकर, मूसा के निकट, “एक एक अलंग में,” खड़े होकर उसके हाथों को संभाले रहे l उनकी सहायता से, सूर्यास्त तक विजय मिल गया l

हमें परस्पर सहायता चाहिए l परमेश्वर के परिवार में भाई-बहनों के रूप में, हमारे विश्वास के सहभाजित यात्रा में हमारे पास परस्पर उत्साहित करने के कई अवसर हैं l और परमेश्वर हमारे बीच में रहकर इसे करने हेतु अपना अनुग्रह देता है l