अक्सर जीवन मार्ग कठिन है l इसलिए यदि हमारी अपेक्षा है कि परमेश्वर हमें सरल मार्ग देगा, मार्ग कठिन होने पर हम उसकी ओर अपनी पीठ करने की परीक्षा में पड़ सकते हैं l
यदि आपने कभी ऐसी कोशिश की है, इस्राएलियों के विषय विचारें l सैंकड़ों वर्षों के दासत्व पश्चात स्वतंत्रता मिलने पर वे प्रतिज्ञात देश की ओर चल पड़े l किन्तु परमेश्वर ने उनको सीधे उनके घर नहीं पहुँचाया l वह “पलाश्तियों के देश में होकर जो मार्ग … छोटा था; उनको … नहीं ले गया” (निर. 13:17) l इसके बदले वह उनको मरुभूमि के कठिन रास्ते ले गया l छोटे मार्ग ने, उनको युद्ध से बचाया (पद.17), किन्तु लम्बे रास्ते पर कुछ बड़े काम थे l
परमेश्वर ने उस समय का उपयोग मरुभूमि में उनको सिखाने और परिपक्व बनाने के लिए किया l सरल मार्ग उनको मुसीबत में डाल सकता था l लम्बा मार्ग इस्राएल राष्ट्र के प्रतिज्ञात देश में सफल प्रवेश हेतु तैयार करने वाला था l
हम हर अवस्था में अपने विश्वासयोग्य परमेश्वर पर मार्गदर्शन एवं देखभाल के लिए भरोसा कर सकते हैं l हम जिस मार्ग पर हैं उसका कारण नहीं समझ सकते, किन्तु मार्ग में विश्वास में विकास और परिपक्वता के लिए उस पर भरोसा कर सकते हैं l