एक संगीत-समारोह में, गायक-गीतकार, डेविड विल्कोक ने दर्शकों द्वारा उसके गीत लेखन पर एक प्रश्न का उत्तर दिया l उसने कहा उसकी प्रक्रिया में तीन पहलु हैं : एक शांत कमरा, एक खाली पन्ना, और यह प्रश्न, “मुझे क्या जानना चाहिए?” इससे मैं प्रभावित हुआ कि यीशु का अनुयायी होकर हम किस तरह प्रतिदिन उसकी योजना जान सकते हैं l
यीशु की सार्वजनिक सेवा में, उसने अकेले प्रार्थना में समय बिताया l 5000 लोगों को पाँच रोटी और दो मछलियों से भोजन कराने के बाद, उसने अपने शिष्यों को गलील झील के उस पार भेजकर भीड़ को विदा किया (मत्ती 14:22) l उसके बाद “[यीशु ने] … प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चला गया; और सांझ को वह वहाँ अकेला था” (पद.23) l
यदि प्रभु यीशु पिता के साथ अकेले रहने की ज़रूरत समझता था, हमें भी प्रतिदिन परमेश्वर के समक्ष अपने हृदय खोलने, उसके वचन पर मनन करने, और उसके मार्गदर्शन हेतु कितना अधिक एकांत समय चाहिए l
एक शांत कमरा-विकर्षण मुक्त प्रभु पर केन्द्रित होने का स्थान l
एक खाली पन्ना-एक ग्रहणशील हृदय, एक खाली पन्ना, सुनने की इच्छा l
मुझे क्या जानना चाहिए? “प्रभु, अपनी आत्मा, लिखित वचन, और अपने मार्गदर्शन के आश्वासन द्वारा मुझ से संवाद कर l”
उस शांत पहाड़ी से, यीशु एक प्रचण्ड आंधी में प्रवेश किया, जानते हुए कि पिता की इच्छा क्या है (पद. 24-27) l