“हम आपकी नौकरी समाप्त कर रहे हैं l” एक दशक पूर्व यह सुनकर मैं चकरा गई जब कम्पनी ने मुझे निकाल दिया जिसमें मैं कार्यरत थी l उस समय, मैंने स्वयं को चूर-चूर देखा  क्योंकि संपादक होकर मेरी पहचान मेरी भूमिका से गुथी थी l हाल ही में, मैंने मेरे स्वतंत्र कार्य समाप्ति पर समान दुःख महसूस किया l किन्तु इस बार मैं अपनी बुनियाद पर डिगी नहीं, क्योंकि मैंने गत वर्षों में परमेश्वर की विश्वासयोग्यता देखी थी, कैसे उसने मेरे विलाप को हर्ष में बदल सकता है l

पतित संसार में रहकर दर्द और निराशा में, प्रभु हमारे निराशा को आनंद में बदल सकता है, जैसे हम यीशु सम्बंधित यशायाह की नबूवत में देखते हैं (यशा. 61:1-3) l प्रभु आशाहीनता में आशा; क्षमा करने की अक्षमता में क्षमा करने की क्षमता देता है; वह सिखाता है कि हमारी पहचान हमारे कार्य में नहीं उसमें है l वह हमें अज्ञात भविष्य का सामना करने हेतु साहस देता है l जब हम “राख” का वस्त्र पहनते हैं, वह हमें दया से स्तुति का अँगरखा पहनाता है l

हानि में, हम दुःख से न भागें, और न ही हम कडुआ अथवा कठोर बनें l वर्षों के परमेश्वर की विश्वासयोग्यता विचारने पर, हम जानते हैं कि वह हमारे दुःख को नृत्य में पुनः बदलने को इच्छित है-इस जीवन में प्रयाप्त् अनुग्रह और स्वर्ग में पूर्ण आनंद l