गर्मी के मौसम के एक दोपहर की गर्मी में, अमरीकी दक्षिण की ओर यात्रा करते समय, मेरी पत्नी आइसक्रीम खरीदने रुकी l हमारे पीछे दीवार पर एक संकेत लिखा था, “बर्फ ले जाना बिल्कुल निषेध l” अनपेक्षित होने के कारण हास्य अच्छा था l

कभी-कभी अनपेक्षित शब्द सबसे अधिक प्रभावित करते हैं l इस सम्बन्ध में यीशु के कथन पर विचार करें : “जो अपने प्राण बचाता है, वह उसे खोएगा; और जो मेरे कारण अपना प्राण खोता है, वह उसे पाएगा” (मत्ती 10:39) l एक राज्य में जहाँ राजा एक सेवक हो (मरकुस 10:45), जीवन पाने का एक मात्र तरीका अपना जीवन खोना होता है l यह आत्म-समर्थक और आत्म-सुरक्षा केन्द्रित संसार के लिए चौंकानेवाला सन्देश है l

व्यवहारिक भाषा में, हम “अपना जीवन” कैसे खो सकते हैं? उत्तर एक शब्द बलिदान  में समाहित है l बलिदान करके हम यीशु के जीने का तरीका अपनाते हैं l अपनी चाहत और ज़रूरत को थामने की जगह, हम दूसरों की ज़रूरत और देखभाल को प्राथमिकता देते हैं l

यीशु ने बलिदान की शिक्षा ही नहीं दी किन्तु उसने बलिदान देकर दिखाया l क्रूस पर उसकी मृत्यु उस राजा के मन का आखिरी प्रगटन बन गया जिसने अपने शब्दों को जीया : इससे बड़ा प्रेम किसी का नहीं कि कोई अपने मित्रों के लिए अपने प्राण दे” (यूहन्ना 15:13) l