मुझे चिड़ियों को देखना पसंद है, एक गतिविधि जो मैंने बचपन में घाना के उस वन ग्राम में विकसित किया जहाँ चिड़ियों की विभिन्न प्रजातियाँ थीं l शहर के बाहरी भाग में जहाँ मैं अब रहता हूँ, कौवों की कुछ आदतों ने मुझमें रूचि उत्पन्न की l उन्होंने एक पेड़ पर विश्राम किया जिसने अपने सारे पत्ते गिरा दिए थे l किन्तु मज़बूत डालियों पर बैठने की जगह, वे सूखी और कमज़ोर डालियों पर बैठते थे जो तुरंत टूट जाती थीं l वे खतरे से दूर उड़ जाते थे और पुनः वही व्यर्थ प्रयास करते थे l शायद उनका पक्षी-बोध उनको बताने में विफल था कि मज़बूत डालियाँ भरोसेमंद और सुरक्षित विश्राम स्थल थे l
हमारे विषय कैसा है? हमारा भरोसा कहाँ है? दाऊद ने भजन 20:7 में कहा : “किसी को रथों का, और किसी को घोड़ों का भरोसा है, परन्तु हम तो अपने परमेश्वर यहोवा ही का नाम लेंगे l” रथ और घोड़े भौतिक और मानवीय संपत्ति के प्रतिरूप हैं l यद्यपि ये दैनिक जीवन में उपयोगी हो सकते हैं, परेशानी में वे सुरक्षा नहीं देते l वस्तु अथवा संपत्ति अथवा धन,में भरोसा रखने पर वे अंततः डालियों की तरह छोड़ देंगे l
रथों और घोड़ों पर भरोसा करनेवाले “झुक [कर] गिर [पड़ेंगे],” किन्तु परमेश्वर पर भरोसा करनेवाले “उठ[कर] और सीधे खड़े [होंगे]” (20:8) l